भोपाल: मध्यप्रदेश में इन दिनों गांवों की नेम प्लेट बदली जा रही है. पहले उज्जैन के बाद अब शाजापुर जिले के 11 गांवों का नया नामकरण सीएम डॉ मोहन यादव के एक ऐलान में हो चुका है. सवाल ये है कि मालवा से हुई इस शुरुआत के दायरे में अब एमपी के कौन से नए जिले आएंगे. नए साल के साथ यूपी के योगी के नक्शेकदम पर चल रहे मोहन का नामकरण अभियान कहां तक जाएगा. और क्या वजह थी कि अचानक सीएम डॉ. मोहन यादव को शाजापुर के इन 11 गावों के नाम बदल देने पड़े. गांवों का नाम बदले जाने की कहानी शुरु कहां से हुई, जानिए.
एमपी में गांवों के नये नामकरण, कितने और बदले जाएंगे
एमपी में इन दिनों गांवों के नाम बदले जाने का अभियान कहा जाए क्या इसे. नए साल की शुरुआत के साथ मोहन सरकार प्रदेश के 14 गावों के नाम बदल चुकी है. नाम बदलने की राजनीति ने पहली बार जोर नहीं पकड़ा है. लेकिन शिवराज के मुकाबले सीएम डॉ मोहन यादव की नामकरण के मामले में रफ्तार ज्यादा है. और इतनी ज्यादा कि कमोबेश हफ्ते भर के अंदर उन्होंने चौदह गांवों की शिनाख्त कर उनका नाम बदल दिया. शुरुआत उज्जैन से हुई और आगे बढ़ी शाजापुर में.
राजनीजिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, ये सही है कि सरकार की जवाबदारी गांवों के नाम से ज्यादा उसकी स्थिति बदलने से है. गांव का सर्वागीण विकास हो, ये पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. लेकिन शाजापुर के जो गांव बदले गए हैं वो वहां के आम लोगों की मांग थी. फिर दूसरी महत्वपूर्ण बात ये है कि ये नाम मुगल कालीन हैं. लिहाजा ये नाम बदले जाने में बुराई भी नहीं है.''
जानिए वो 11 गांव जिनके बदल दिए गए हैं नाम
पहले जान लीजिए शाजापुर के वो कौन से ग्यारह जिले हैं, जिनके नाम अब बदल दिए गए हैं. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कालापीपल के अपने कार्यक्रम में जिन 11 गावों के नाम बदले उनमें हिसामुद्दीन गांव का नाम अब निपनिया देव हो गया है. अल्लाहाबाद को अब खजूरी राम के नाम से जाना जाएगा. ढाबला हुसैनपुर अब ढाबला राम होगा और मोहम्मदपुर पवाडिया को रामपुर पवाडिया के नाम से पहचाना जाएगा. इनके अलावा मोहम्मदपुर मछनाई का नाम मोहनपुर है. रिछरी मुरादाबाद रिछरी कहलाएगा. खलीलपुर को रामपुर का नाम दिया गया है. मुख्तियारपुर को घट्टी कहा जाएगा. अनछोड़ को ऊंचावद का नाम दिया गया है. शेखपुर बोंगी का नया नाम अवधपुरी रखा गया है.
क्यों बदले गए इन 11 गावों के नाम, पीछे की कहानी
शाजापुर के 11 गावों के नाम बदले जाने की घोषणा चंद मिनिटों में सीएम डॉ मोहन यादव ने कर दी हो. लेकिन नाम बदले जाने के पीछे वहां के ग्रामीणों की ही लंबे समय की मांग थी. असल में इन गावों के सरपंच समेत ग्राम सभा नाम बदले जाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित करवा कर उन्हें स्थानीय विधायक और सीएम के पास भेज चुके थे. इन प्रस्तावों में ये मांग की गई थी कि जल्द से जल्द इन गावों के नाम बदले जाएं.
कई गांवों के नाम बदले जाने के आवेदन को दो बरस बीत चुके थे. इन गावों का नाम बदले जाने के लिए ग्रामीणों का ही दबाव था. इसमें ग्राम रिछड़ी मुरादाबाद को केवल रिछड़ी, मोहम्मदपुर मछनाई का नाम मोहनपुरम खजूरी, अहलादाद का नाम केवल खजूरी किए जाने की मांग गांव के लोग ने ही विधायक समेत मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की थी. वहीं, मोहम्मदपुर का नाम मोहनपुर किए जाने की मांग भी ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित करके ही उठी है.
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नाम बदलने से नहीं काम से बदलेंगे गांव
कांग्रेस ने सीएम डॉ मोहन यादव के इस गावों के नए नामकरण अभियान पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि, ''मुख्यमंत्री मोहन यादव धर्म की राजनीति कर रहे हैं. प्रदेश के अंदर विकास की राजनीति होनी चाहिए, आर्थिक विकास की बात होनी चाहिए, युवाओं की नौकरी पर बात होनी चाहिए. MPPSC के जो छात्र धरने पर बैठे थे, उनकी बात होनी चाहिए. किसानों को खाद कैसे मिले इसपर बात होनी चाहिए.'' नेता प्रतिपक्ष ने तंज कसते हुए कहा कि, ''नाम बदलने से मुख्यमंत्री दोबारा मुख्यमंत्री थोड़े बन जाएंगे.''