भोपाल. राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि मंत्रियों के प्रभार की नई सूची जारी होते ही प्रदेश में बड़े स्तर पर ट्रांसफर होंगे. इस नई ट्रांसफर पॉलिसी में प्रभारी मंत्रियों का खासा दखल होगा. ऐसे में जिले के अंदर प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के बिना तबादले नहीं हो सकेंगे. इतना ही नहीं अगर सरकारी कर्मचारी-अधिकारी का एक जिले से दूसरे जिले के अंदर ट्रांसफर होना है, तब भी प्रभारी मंत्री की अनुशंसा जरूरी होगी. ट्रांसफर बैन हटते ही बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की भी संभावना है.
6 महीने बाद हटने जा रहा बैन
लोकसभा चुनाव के पहले लगी आचार संहिता के बाद से ट्रांसफर्स पर बैन लगा हुआ, लेकिन राजीनितक सूत्रों का कहना है कि 15 अगस्त से ट्रांसफर बैन हट जाएगा. सामान्य प्रशासन विभाग ने नई ट्रांसफर पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और मोहन यादव कैबिनेट से इस हरी झंडी मिलने के संकेत हैं. मोहन यादव कैबिनेट में प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही एक हफ्ते के अंदर तबादले भी शुरू हो सकते हैं.
स्वैच्छिक तबादलों के साथ बड़ी प्रशासनिक सर्जरी
जिले के प्रभारी मंत्रियों को प्रभार मिलने के बाद बड़ी प्रशासनिक सर्जरी की भी संभावना है. दरअसल, सरकारी कर्मचारी जहां ट्रांसफर बैन हटते ही स्वैच्छिक तबादले की अपील कर सकते हैं, तो वहीं प्रशासनिक व्यवस्थाओं को देखते हुए सरकार खुद कर्मचारियों व अधिकारियों को यहां से वहां कर सकती है. इसकी संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि प्रभारी मंत्री अपने हिसाब से अधिकारियों को एडजस्ट करना चाहेंगे.
20 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होंगे तबादले
नई ट्रांसफर पॉलिसी में भले ही जिले के प्रभरी मंत्रियों के पास ज्यादा पावर होगी लेकिन किसी भी कैडर में 20 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं किए जा सकेंगे. ऐसे में प्रशासनिक व्यवस्था, गंभीर बीमारी, स्वेच्छा और अन्य आधार को देखते हुए ही ट्रांसफर किए जाएंगे.
सीएम ने दिए मंत्रियों को जल्द प्रभार देने के संकेत
गौरतलब है कि डॉ. मोहन यादव ने पिछले दिनों कहा था कि 15 अगस्त को प्रभारी मंत्री ही जिले में झंडा फहराएंगे. ऐसे में यह तय माना जा रहा है एक हफ्ते के अंदर फाइनल लिस्ट पर मुहर लग जाएगी और 15 अगस्त से जिले के प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर ट्रांसफर होंगे.
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कौन होते हैं प्रभारी मंत्री?
जैसा कि नाम है 'प्रभारी मंत्री', इन मंत्रियों को जिलों का प्रभार मिला होता है. मध्यप्रदेश सरकार में ऐसी व्यवस्था है कि किसी भी मंत्री को उनका गृह जिला छोड़कर दूसरे जिला का प्रभार दिया जाता है. ये प्रभार एक तरह से वहां के पूरे प्रशासन का होता है. ऐसे में प्रशासन जिले की गतिविधियों के बारे में अपने प्रभारी मंत्री को रिपोर्ट करता है और प्रभारी मंत्री जिले की स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. पूर्व में संबंधित विभाग के मंत्री की ट्रांसफर में प्रमुख भूमिका रहती थी, वहीं अब प्रभारी मंत्री के अनुमोदन पर ही जिले के अफसरों-कर्मचारियों के ट्रांसफर हो सकेंगे. तबादलों से लेकर के वहां के विकास कार्यों तक पर पूरी नजर रखने का काम प्रभारी मंत्रियों का होता है. गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के सीनियर मंत्रियों को एक से ज्यादा जिलों के प्रभार भी सौंपे जा सकते हैं.