भोपाल: सरकारी विभागों आयुक्त जैसे पद पर काम करने वाले अधिकारियों को मोटी तनख्वाह मिलती है. रिटायरमेंट के बाद भी अधिकारी निगम-मंडलों या किसी विभाग में पुर्नवास के रास्ते खोजते हैं, ताकि उन्हें अच्छे वेतनमान के साथ दूसरी सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके, लेकिन राज्य सरकार ने सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण संचालनालय में आयुक्त पद पर ऐसे अधिकारी की तलाश शुरू की है, जो बिना वेतनमान यानी मुफ्त में अपनी सेवाएं दे सके. हालांकि इसके लिए संबंधित के पास दिव्यांगजन व्यक्तियों के पुनर्वास से जुड़े कामों का अनुभव होना चाहिए.
अभ्यर्थियों को दिए गए दोनों विकल्प
आयुक्त निशक्तजन पद के लिए सामाजिक न्याय विभाग द्वारा आवेदन निकाले हैं. इसमें आयुक्त के रूप में पदस्थापना के लिए वैतनिक और अवैतनिक दोनों का विकल्प दिया गया है. आवेदन करते समय दोनों में से किसी एक विकल्प को अंकित करना होगा. अब देखना होगा कि आखिर बिना वेतन के काम करने के लिए कौन-कौन रूचि दिखाता है. इस पद पर नियुक्ति तीन सालों के लिए की जाएगी. आयुक्त निशक्तजन पद पर वेतन के रूप में सचिव स्तर के अधिकारी के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं.
पेंशन प्राप्त करने वाले अधिकारी को रिटायरमेंट के समय मिलने वाले वेतन से पेंशन घटाने पर प्राप्त होने वाली राशि मानदेय के रूप में दी जाती है. अब देखना होगा कि इस राशि को अनदेखा कर कौन मुफ्त में सेवा देने को तैयार होता है.
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नियुक्ति के लिए यह रखी गई शर्त
- इस पद के लिए मध्य प्रदेश का निवासी होना अनिवार्य है. साथ ही दिव्यांगजन व्यक्तियों के पुनर्वास से जुड़े काम का अनुभव होना चाहिए.
- इस पद के लिए वह व्यक्ति पात्र होंगे जिन्होंने 1 जनवरी को 62 साल की आयु सीमा पूरी न की हो.
- यदि केन्द्र या राज्य सरकार में किसी पद पर कार्यरत हैं, तो नियुक्ति से पहले रिटायरमेंट होना चाहिए.
- आईएएस या राज्य प्रशासनिक सेवा के रिटायर्ड अधिकारी के लिए दिव्यांगता के क्षेत्र में नीति निर्धारण और प्रशासन का अनुभव होना चाहिए.
- ग्रेजुएशन के अलावा सामाजिक कार्य और विधि या प्रबंधन, मानव अधिकारों, दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास या शिक्षा में मान्यता प्राप्त उपाधि या डिप्लोमा होना चाहिए.
- इसके अलावा दिव्यांगजनों के पुनर्वास या सशक्तिकरण या सामाजिक सेवा के क्षेत्र में कम से कम 18 सालों का अनुभव होना चाहिए.