पटना: बिहार में अब विधायक जी और पार्षद साहब की पावर कम हो गई. अब पहले की तरह गांव के गली-मोहल्ले सोलर लाइट नहीं लगवा सकेंगे. यानी अब विधायक जी के पास भी यह पावर नहीं रहा कि वह ग्रामीण इलाकों में सोलर लाइट लगवा सकें. इस योजना पर सरकार ने रोक लगा दी है.
सोलर स्ट्रीट लाइट पर सरकार ने लगाई रोक: दरअसल, सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना केवल पंचायती राज विभाग संचालित करेगी. ब्रेडा के सहयोग से चयनित एजेंसी अभी काम कर रही है. अब मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना में सोलर लाइट नहीं लगेगा. योजना एवं विकास विभाग ने इसके कार्यान्वयन पर रोक लगा दी गई है. सरकार के फैसले से बिहार में 243 विधायक और 75 विधान पार्षद हर साल मिलने वाले अब अपने 4 करोड़ के विधायक निधि से ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लाइट नहीं लगा पाएंगे.
दो साल बाद भी लक्ष्य को पूरा नहीं: बिहार में महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री ग्रामीण सौर स्ट्रीट लाइट योजना शुरू होने के लगभग दो साल बाद भी लक्ष्य को पूरा नहीं कर सकी है. अब नया लक्ष्य 2025 तक सभी जगह लगाने का रखा गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस योजना की शुरुआत करते हुए कहा था कि इससे अगले दो सालों में ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदल जाएगी. सरकार ने ग्राम पंचायत के हर वार्ड में 10 सोलर लाइट लगाने का फैसला किया है.
गड़बड़ी की मिल रही थी शिकायत: अब यह काम केवल पंचायती राज विभाग एजेंसियों के माध्यम से कराएगा. इसके पीछे सरकार ने तर्क दिया है कि अभी पंचायती राज विभाग इस योजना को लागू कर रहा है और मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के तहत विधायक और विधान पार्षद जो अनुशंसा करते हैं. वह योजना विकास विभाग के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है. ऐसे में दो विभाग के द्वारा काम होने से कई तरह की परेशानी हो रही थी और शिकायतें भी मिलने लगी थी.
सिर्फ तीन लाख सोलर स्ट्रीट लाइटें ही लगी: सोलर स्ट्रीट लाइट में हो रहे विलंब पर मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि विभाग इसको लेकर काफी गंभीर है. मुख्यमंत्री सोलर स्ट्रीट लाइट योजना को जल्द से जल्द लागू करने के लिये सभी डीएम को कहा गया है. राज्य के एक लाख नौ हजार वार्डों में 11 लाख 75 हजार सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी हैं. अभी तक राज्य में सिर्फ तीन लाख सोलर स्ट्रीट लाइटें ही लगी हैं.
72 घंटे के अंदर ठीक होगी गड़बड़ी: मंत्री केदार प्रसाद गुप्ता ने कहा कि सभी सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने वाली एजेंसियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां लाइट ठीक करने वाले तकनीशियन रखें. शिकायत मिलने पर तुरंत लाइट ठीक की जाए. सभी लाइटों की निगरानी सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम से की जाएगी. इसको लेकर पटना, मुजफ्फरपुर, गया और नालंदा में सेंट्रल मॉनीटरिंग सिस्टम लगाया गया है. किसी भी वार्ड की स्ट्रीट लाइट के खराब होने के 72 घंटे के अंदर ठीक कर दिया जायेगा.
"ग्रामीण इलाकों में लोगों की सबसे अधिक डिमांड सोलर स्ट्रीट लाइट को लेकर ही होती है. अब सोलर स्ट्रीट लाइट को लेकर अनुशंसा नहीं ली जा रही है जबकि विधायकों के फंड से इसके लगाने की व्यवस्था होनी चाहिए थी. सरकार का यह सही फैसला नहीं है. सरकार को इस पर फिर से विचार करना चाहिए. विधायकों को जनता की नाराजगी सरकार के इस फैसले से झेलनी पड़ेगी." -रणविजय साहू, विधायक, राजद
सरकार को 1,100 करोड़ रुपये मिला था: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत केंद्र से वित्तीय सहायता के साथ सौर स्ट्रीट लाइट योजना शुरू की गई थी. राज्य सरकार को 1,100 करोड़ रुपये मिले थे, जिसका एक हिस्सा सौर स्ट्रीट लाइट लगाने में इस्तेमाल करना है. इसके अलावा मुख्यमंत्री सौर स्ट्रीट लाइट योजना से बिहार सरकार भी सभी गांव को जगमग करना चाहती है लेकिन एजेंसियों के काम धीमी गति होने के कारण विधानसभा चुनाव 2025 से पहले लक्ष्य पूरा हो पाएगा एक बड़ी चुनौती है और उसमें अब विधायकों की मुश्किलें भी सरकार ने बढ़ा दी है.
2022 में शुरू हुई थी मुख्यमंत्री सौर स्ट्रीट लाइट योजना: 2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ग्रामीण सड़कों को सोलर एलईडी लैंप से रोशन करने की योजना शुरू की थी. यह तय किया गया कि राज्य भर में 8,000 से अधिक ग्राम पंचायतों के 1,109,647 वार्डों में 11 लाख से अधिक सोलर स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी. यह ग्रामीण क्षेत्रों में हरित या स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना का भी हिस्सा थी.
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