मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत कभी भी दूसरों को अपने निर्णयों पर हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देगा. वह राष्ट्रीय हित तथा वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वह करेगा और उसे 'अनुरूपता' से डरने की जरूरत नहीं होगी.
जयशंकर ने मुंबई में एक समारोह के लिए दिए गए वीडियो संदेश में कहा कि जब भारत वैश्विक चेतना में अधिक गहराई से अंकित होता है. इसके परिणाम वास्तव में बहुत गहरे होते हैं. अस्वस्थ आदतों, तनावपूर्ण जीवनशैली या बार-बार होने वाली जलवायु घटनाओं से जूझ रही दुनिया में भारत की विरासत से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. हालांकि दुनिया को तभी पता चलेगा जब देशवासी इस पर गर्व करेंगे.'
जयशंकर ने कहा कि वैश्वीकरण के युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को एक साथ चलना चाहिए. भारत निश्चित रूप से प्रगति करेगा लेकिन उसे अपनी भारतीयता खोए बिना ऐसा करना होगा. तभी हम बहुध्रुवीय दुनिया में वास्तव में एक अग्रणी शक्ति के रूप में उभर सकते हैं.
जयशंकर को 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती राष्ट्रीय उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया. ये पुरस्कार चार क्षेत्रों में दिए जाते हैं. इनमें सार्वजनिक नेतृत्व, सामुदायिक नेतृत्व, मानव प्रयास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा सामाजिक नेतृत्व शामिल हैं. इसमें अध्यात्मवाद को प्राथमिकता दी जाती है.
इन पुरस्कारों का नाम कांची कामकोटि पीठम के दिवंगत 68वें संत श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है. विदेश मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा. उन्होंने कहा, 'स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए.
हम राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, वह बिना किसी डर के करेंगे. भारत कभी भी दूसरों को अपने विकल्पों पर वीटो लगाने की अनुमति नहीं दे सकता है. जयशंकर ने कहा, 'बहुत समय से हमें प्रगति और आधुनिकता को अपनी विरासत और परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने की शिक्षा दी गई है.'
जयशंकर ने कहा कि भारत एक असाधारण राष्ट्र है क्योंकि यह एक सभ्यता वाला देश है. उन्होंने कहा कि ऐसा देश तभी प्रभाव डालेगा जब वह वैश्विक क्षेत्र में अपनी सांस्कृतिक ताकत का पूरा लाभ उठाएगा. उन्होंने कहा, 'इसके लिए यह आवश्यक है कि हम खुद युवा पीढ़ी अपनी विरासत के मूल्य और महत्व से पूरी तरह अवगत हों.
जयशंकर ने कहा कि भारत आज एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है. एक ओर पिछले दशक ने यह प्रदर्शित किया है कि उसके पास क्षमताएं, आत्मविश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, व्यापक मोर्चों पर विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता है. इसने दिखाया है कि गरीबी, भेदभाव और अवसरों की कमी जैसी सदियों पुरानी समस्याओं का समाधान वास्तव में किया जा सकता है.