बक्सरः बक्सर जिले के अधिकारी महागठबंधन के विधायक और सांसद को तवज्जो नहीं देते हैं! दरअसल कुछ दिन पहले बक्सर के राजद सांसद सुधाकर सिंह ने आरोप लगाया था कि उन्हें एक थानेदार ने धमकाते हुए कहा था कि आपके जैसा सांसद-विधायक पॉकेट में रखते हैं. अब राजपुर के कांग्रेस विधायक ने एक मंच से अधिकारियों को गाली देते हुए निकम्मा बताया और कहा कि काम नहीं करते हैं.
क्या है मामलाः बक्सर जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने एक सार्वजनिक मंच से बिहार सरकार के अधिकारियों को गाली दी है. उनका कहना था कि अधिकारी काम नहीं करते हैं. उन्होंने मंच से अधिकारियों को चेतावनी दी कि उनके विधानसभा क्षेत्र राजपुर में में रहना है तो काम करना पड़ेगा. उन्होंने तल्ख लहजे में कहा, "यहां किसी के दादा का दलान नहीं है."
"बिहार के सभी अधिकारी**निक्कमे हैं. कोई काम नहीं करता है. राजपुर विधानसभा क्षेत्र किसी अधिकारी के दादा का दलान नहीं है कि वह काम भी ना करे और रह भी जाये, हमने जिलाधिकारी को कहा था कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई करिए नहीं तो हम अपने विधानसभा क्षेत्र में नहीं रहने देंगे."- विश्वनाथ राम, कांग्रेस विधायक
खुले मंच से अधिकारियों को दी गालीः बक्सर जिले के राजपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम के इस बयान ने बक्सर जिले के सियासी तापमान को बढ़ा दिया है. मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस विधायक का यह बयान 15 सितम्बर, रविवार का है. जिले के मुंगासी पंचायत में आयोजित अभिनंदन समारोह में कांग्रेस विधायक विश्वनाथ राम ने मंच से ही बिहार सरकार के अधिकारियों को गाली देना शुरू कर दिया था, जिसे सुनकर हर कोई हैरान था.
पार्टी ने विधायक के बयान से किया अलगः कांग्रेस विधायक के इस बयान के बाद अब पार्टी संगठन के नेताओं ने किनारा कर लिया है. कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज पांडेय ने कहा कि पार्टी इस तरह के बयान देने वाले लोगों से परहेज करती है. लोकतंत्र की एक अपनी मर्यादा है और सभी को संयमित तरिके से ही बयान देना चाहिए. वहीं विपक्ष के नेता इसे कांग्रेस का कल्चर बता रहे हैं. बता दें कि विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सभी पार्टी के नेता अभी से दमखम के साथ चुनाव की तैयारी में लगे हैं.
भाजपा बोली, हिस्सेदारी की लड़ाईः प्रदेश भाजपा के नेता मिथिलेश तिवारी ने कहा कि, बक्सर के सांसद सुधाकर सिंह और राजपुर के विधायक विश्वनाथ राम ने लोकतंत्र की मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह लड़ाई भ्रष्टाचार को लेकर नहीं है, बल्कि अधिकारियों से हिस्सा लेने के लिए है. किसी को दारोगा धमकाता है तो किसी को क्लर्क ही भगा देता है. मैं तो किसी पद पर नही हूं, उसके बाद भी अधिकारी सम्मानजनक भाषा का प्रयोग करते हैं. क्योकि, मुझे सेवा के बदले मेवा नहीं लेना है.
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