रामपुर: शिमला जिले के सुन्नी डैम में आए दिन लगातार शव मिल रहे हैं. 31 जुलाई की रात को शिमला व कुल्लू जिले के क्षेत्रों में आई भारी बाढ़ में कई लोग लापता हुए हैं. प्रशासन और रेस्क्यू टीम द्वारा लगातार लापता लोगों की तलाश की जा रही है. वहीं, रामपुर से करीब 85 किलोमीटर दूर सतलुज नदी पर बना सुन्नी डैम अब जैसे शव उगल रहा हो. सुन्नी डैम और इसके आसपास के क्षेत्रों से करीब शव बरामद किए जा चुके हैं.
सुन्नी डैम और आसपास के इलाकों से 10 शव बरामद
31 जुलाई की रात को आई त्रासदी के बाद शिमला जिला प्रशासन द्वारा एडीसी शिमला की देखरेख में एक टीम का गठन किया गया. जिसके बाद टीम सुन्नी डैम पर पहुंची और वहां पर लापता लोगों की खोज के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया. जैसे-जैसे समय बीत रहा है, सुन्नी डैम से भी शवों के मिलने का सिलसिला जारी हो गया है. बीते रोज शुक्रवार को भी सुन्नी डैम के पास दोघरी क्षेत्र में 4 शव बरामद हुए थे. अब तक करीब 10 शव सुन्नी डैम के क्षेत्र से बरामद किए गए हैं.
सुन्नी डैम में फंसता है रामपुर का मलबा
बता दें कि सिर्फ सुन्नी में ही डैम होने के कारण रामपुर क्षेत्र से जो भी मलबा इत्यादी सतलुज नदी में आता है, वो सुन्नी डैम में लगभग 85 किलोमीटर के दायरे में फंस जाता है. जिसके चलते अब प्रशासन ने लापता लोगों को खोजने के लिए सुन्नी डैम के आसपास के इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाया है और रेस्क्यू टीम को यहां पर शव मिलना भी शुरू हो गए हैं.
समेज व बागीपुल से लापता लोगों के मिल रहे शव
गृह रक्षा विभाग के कंपनी कमांडर इश्वर गौतम ने बताया, "सतलुज नदी में पानी का बहाव 5 से 6 बार है. ऐसे में जो रेस्क्यू ऑपरेशन करने वाली टीमें होती हैं, वो भी सिर्फ 3 बार के करीब ही पानी के अंदर तक जा सकती हैं. ऐसे में सुन्नी डैम से पहले पानी के बहाव का अधिक बार होने के कारण यहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन भी नहीं चलाया जा सकता है. जिसके चलते सतलुज नदी पर बने सुन्नी डैम के गेट बंद होने के बाद ही शव बरामद किए जा सकते हैं."
गृह रक्षा विभाग के कंपनी कमांडर इश्वर गौतम ने बताया, "सतलुज नदी का बहाव मुख्यत चार से छह प्रमुख चरणों में विभाजित होता है. पहले चरण में, जब बारिश होती है, नदी में पानी का स्तर तेजी से बढ़ जाता है और इसका बहाव काफी अधिक होता है. दूसरे चरण में, मानसून के बाद, पानी का बहाव सामान्य स्तर पर लौटता है. तीसरे चरण में, सर्दियों के मौसम में, बर्फबारी और हिमपात के कारण नदी का बहाव कम हो जाता है. चौथे चरण में, गर्मियों में, जब हिमनद पिघलते हैं, पानी का बहाव फिर से बढ़ जाता है. पांचवें और छठे चरण में, सूखे के दौरान और अंत में, पानी का बहाव काफी कम हो जाता है."