लखनऊ: उत्तर प्रदेश के फ्यूल स्टेशनों पर नाबालिग लड़कों और लड़कियों को पेट्रोल और डीजल नहीं दिया जाएगा. प्रदेश में बढ़ती घटनाओं को देखते हुए उत्तर प्रदेश बाल आयोग ने नए निर्देश जारी कर दिए हैं, जो 1 जुलाई से लागू हो गया है. बाल आयोग का मानना है कि जब नाबालिगों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा तो वह गाड़ी भी नहीं चला पाएंगे. इससे सड़क हादसों में कमी आएगी.
बाल आयोग की ओर से इस निर्देश को माध्यमिक और बेसिक शिक्षा विभाग को भी दिया गया है. इसके अलावा स्कूलों (सरकारी और निजी) द्वारा अभिभावकों से शपथ पत्र भरवाने का निर्देश दिया गया है. अभिभावकों से शपथ पत्र पर यह लिखवाया जाएगा कि वह अपने नाबालिग बच्चों को ट्रैफिक नियमों के विपरीत उन्हें कोई भी दो पहिया या चार पहिया वाहन न देंगे. कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता अपने बच्चों पर विश्वास करके स्कूल कॉलेज जाने के लिए वाहन दे देते हैं. बच्चे के पास न तो लर्निंग लाइसेंस होता है न ही वह ट्रैफिक नियमों का पालन करता है. इस स्थिति में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं, जिसमें जान मान की हानि होती है.
उत्तर प्रदेश बाल आयोग की सदस्य डॉक्टर सुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि घटनाओं को कम करना जरूरी है, इसी को देखते हुए यह निर्देश जारी किया गया है. माध्यमिक और बेसिक शिक्षा निदेशक पुलिस महानिदेशक खाद्य रसद विभाग के आयुक्त, परिवहन आयुक्त और अपर पुलिस महानिरीक्षक को दिशा निर्देश भेजा गया है. वह अपने स्तर से आगे की तैयारी करें. पेट्रोल पंप पर निगरानी रहेगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाने पर रोक लगाई गई है, यह निर्णय प्रदेश सरकार ने बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए किया है. सोमवार से यह प्रदेश में लागू हो गया है. इसके अलावा पेट्रोल पंप पर भी निगरानी रखी जाएगी अगर किसी पेट्रोल पंप पर नाबालिग को पेट्रोल देते हुए पकड़ा जाता है तो उसके ऊपर कड़ी कार्रवाई होगी.
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