मेरठ: शनिवार को मेरठ में 11 साल पूर्व हत्या के मामले में 3 सगे भाइयों को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई. तीनों सहगे भाइयों ने मिलकर 14 वर्षीय लड़के की हत्या कर दी थी. इसके बाद तीनों ने लड़के की लाश को गड्ढे में दफना दिया था. लाश मिलने के बाद पड़ोसियों ने उसकी पहचान की थी. पिछले 11 साल से लड़के के परिवार के लोग कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे थे. कोर्ट ने शनिवार को 3 सगे भाइयों को हत्या के आरोप में 30-30 हजार का अर्थदंड और उम्र कैद की सजा सुनाई.
मजीद नगर थाना लिसाड़ीगेट क्षेत्र निवासी शाहरुख पुत्र ज़हीर को पड़ोस के रहने वाले 3 सगे भाइयों ने हत्या कर दी थी. शाहरुख की उम्र उस वक्त 14 साल थी. खैबर, हुसैन और हसन उर्फ भैय्या पुत्र इस्माइल तीनों सगे भाई हैं. वह अहमदनगर गली नम्बर 3 लिसाड़ीगेट क्षेत्र में रहते हैं. 26 अगस्त 2012 को शाहरुख की लाश उसके घर के पास सड़क के गड्ढे के बीच पड़ी मिली थी. शाहरुख की हत्या के मामले में उसके परिवार वालो ने पड़ोसी 3 सगे भाइयों के खिलाफ हत्या करने का आरोप लगाया था. साथ ही तीनों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था.
पीड़ित पक्ष के वकील जगत सिंह ने बताया कि परिवार पिछले 11 साल से इस फैसले का इंतजार कर रहा था. शाहरुख के पिता जहीर का 3 साल पहले इंतकाल हो गया था. परिवार में शाहरुख का भाई और मां ही बाकी बचे हैं. मां ने हार नहीं मानी और केस लड़ती रही. महिला को आरोपी पक्ष डरा धमका रहा था. समझौते का दबाव बना रहा था, लेकिन महिला कोर्ट के फैसले का इंतजार करती रही.
शाहरुख की मां शन्नो ने कहा कि शाहरुख उसका 5वें नम्बर का बेटा था. अब उसके 7 बेटे बचे हैं. तीनों दोषी आपराधिक किस्म के हैं. तीनों ने शाहरुख को गलत काम करने के लिये उकसाया था. उसको रुपयों का लालच भी दिया था, लेकिन उनके बेटे ने मना कर दिया. शाहरुख मजदूरी करके खुश रहता था. तीनों भाइयों ने मिलकर शाहरुख की लोहे की रॉड से पीट-पीट कर हत्या कर दी थी. उसकी आंखें भी निकाल ली थीं. इसके बाद उसके शव को गड्ढे में दफना दिया था.