पलामूः लैंड डिजिटाइजेशन झारखंड जैसे राज्य के लिए जरूरी नहीं है. यह केंद्र के द्वारा लागू की गई योजना है, जिससे झारखंड के लोग परेशान हैं. डिजिटाइजेशन के पूरी तरह से खिलाफ हैं. ये बातें कृषि एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने पलामू में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कही हैं. इस दौरान विधायक रामचंद्र सिंह भी मौजूद रहे.
रविवार को मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की पलामू में विभागीय समीक्षा के बाद मीडिया से बातचीत कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंखें बंद करके झारखंड में अपनी योजनाओं को लागू कर रही है. झारखंड के हालात अलग हैं, खतियान जैसी एक बड़ी समस्या है जिसका दस्तावेज सही से नहीं होने के कारण जमीन का डिजिटाइजेशन आसान नहीं है.
जमीन के दस्तावेज ऑनलाइन नहीं रहने से कारण बड़ी संख्या में लोगों को सरकारी योजनाओं को लाभ लेने में परेशानी भी हो रही है. राज्य सरकार सभी चीजों में ठीक करने में लगी हुई है लेकिन यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे आसानी से सुलझाया नहीं जा सकता है. पिछले विधानसभा में उन्होंने आग्रह किया था कि अनुचित इलाके में जमीन के डिजिटाइजेशन को प्रमोट नहीं किया जाए.
इसके साथ ही मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने प्रदेश में खेती को लेकर भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पलामू जिला के इलाके में कई खेती की अपार संभावनाएं हैं. यहां मत्स्य पालन 5000 टन के करीब है, जिसे और बढ़ाया जा सकता है. इस दिशा में कारगर कदम उठाए जा सकते हैं.
लैम्पस और पैक्स का होगा सत्यापन, ब्लॉक चेन सिस्टम को किया जा रहा डेवलप
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि पूरे झारखंड में लैम्पस और पैक्स का सत्यापन किया जा रहा. किसानों को भी उपलब्ध करवाने में जो भी लापरवाही बढ़ती जाएगी उसमें कारवाई की जाएगी. लैम्पस और पैक्स अवैध रूप से कार्य कर रहे थे उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा गया है. सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच रहा है या नहीं इसकी भी जांच की जा रही है. इसके साथ ही एक ब्लॉकचेन सिस्टम को डेवलप किया जा रहा है.