जोधपुर : प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर गुरुवार को जोधपुर दौरे पर हैं. उन्होंने यहां पर सर्किट हाउस में जनसुनवाई की. उन्होंने पत्रकारों से वार्ता करते हुए वायरल हुए बयान के ऊपर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विद्यालय शिक्षा का मंदिर है और इस मंदिर में वेशभूषा का ध्यान रखना अति आवश्यक है. शिक्षक जो वेशभूषा पहन कर विद्यालय जाते हैं उनका सीधा प्रभाव विद्यार्थियों पर पड़ता है. ऐसे में सहज और शालीन कपड़े पहन कर शिक्षकों को विद्यालय जाना चाहिए. मैंने अर्धनग्न शब्द का उपयोग नहीं किया. मेरा भाव सिर्फ इतना है कि बच्चे के सामने कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े, ऐसे कपड़े पहनने चाहिए. अभिभावकों के साथ साथ शिक्षकों को भी बच्चों के लिए आदर्श बनना होगा. अगर कोई शिक्षक देरी से आकर बच्चों के सामने कहता है कि वह समय पर आया है तो इसे सुनने और देखने वाले बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ता है.
इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने लगातार सरकार की ओर से आदेश जारी करने और उसे वापस लेने पर कहा कि निर्णय में कुछ कमियां रह जाती हैं. ऐसे में कमियों को ठीक करने के लिए अगर कोई निर्णय वापस लिया जाता है, तो वह गलत नहीं है. गलत निर्णय से तो अच्छा है कि उसे वापस ले लिया जाए. विपक्ष की ओर से सरकार के निर्णय को वापस लेने को लेकर दिए बयान पर कटाक्ष करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि 'हम डोटासरा जी की तरह निकृष्ट तो नहीं हैं कि देश को लूट कर खा गए. दुष्कर्म के आरोपियों का सहयोग और जनता के साथ ज्यादती आतंकवादियों को ससम्मान बुलाना जैसे कार्य करें.'
बता दें कि नीमकाथाना में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बुधवार को एक कार्यक्रम में मंच से संबोधन में कहा था कि कुछ शिक्षिकाएं स्कूल में अपना पूरा शरीर दिखाकर जाती हैं. गलत पहनावे से बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षक गुटखा खाकर स्कूल आते हैं, यह गलत है. शिक्षामंत्री के इस बयान पर कांग्रेस उन पर हमलावर हो गई.