वाराणसी: काशी का नाम पूरे भारत में एक बार फिर से ऊंचा हो गया है. वाराणसी स्थित IIT-BHU के एक वैज्ञानिक ने अपने नाम देश में सबसे अधिक पेटेंट रखने का रिकॉर्ड बना लिया है. जी हां! काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के IIT के प्रोफेसर प्रेम चंद पांडेय के नाम अब तक सबसे अधिक पेटेंट हैं. इतना ही नहीं उन्होंने इन पेटेंट को लेने के लिए आने वाले खर्च अपने पैसों से ही किए हैं. इसके लिए उन्होंने संस्थान से कोई मदद नहीं ली है. बीते गणतंत्र दिवस पर उनको इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किया गया है और परेड में भी आमंत्रित किया गया था. उनका कहना है कि उन्होंने अब तक 60 रिसर्च पर अपने नाम से पेटेंट कराया है.
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सर्वविद्या की राजधानी कही जाती है. वजह भी साफ है कि यहां पर उस स्तर की शिक्षा भी दी जा रही है. इसी का एक उदाहरण बने हैं IIT-BHU के वैज्ञानिक प्रोफेसर प्रेम चंद्र पांडेय. वे देश में सबसे अधिक पेटेंट फाइल करने वाले वैज्ञानिक बन गए हैं. उनके इस कार्य के लिए 26 जनवरी 2024 को दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान सम्मानित किया गया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने उन्हें प्रशस्ति पत्र सौंपा है. इसके साथ ही उन्हें परेड गैलरी में भी शामिल होने के लिए बुलाया गया था. पीयूष गोयल और प्रो. पांडेय के बीच स्टार्ट अप इंडिया अभियान को लेकर भी चर्चा हुई.
BHU का पहला पेटेंट इन्हीं के नाम: प्रो. प्रेम चंद पांडेय रिटायर हो चुके हैं. उन्होंने अपने नाम 60 पेटेंट कराए हैं. उनका कहना है कि संस्थान की मदद के बिना उन्होंने पेटेंट कराने और उसका खर्च खुद ही उठाने का काम किया है. इतना ही नहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से साल 1999 में पहला पेटेंट उन्हीं के नाम पर दर्ज है.
प्रो. पांडेय ऑर्गेनिकली मोडिफाइड सिलिकेट बेस्ड नैनोमैटेरियल, ऑप्टोइलेक्ट्रोकेमेस्ट्री, फंग्शनल नैनोपार्टिकल्स और सेंसर टेक्नोलॉजी, बायो केमेस्ट्री के विशेषज्ञ हैं. उनके नाम से 200 से अधिक अन्तरराष्ट्रीय जनरल पर रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि प्रो. प्रेम चंद पांडेय स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के टॉप 2 फीसदी वैज्ञानिकों में शामिल हैं.
स्टार्टअप इंडिया से जोड़ने का काम: प्रोफेसर प्रेम चंद पांडेय का कहना है कि स्टार्टअप इंडिया को लेकर हमारी चर्चा हुई है. सरकार इसको बढ़ावा देने के लिए देश के आम लोगों को भी इससे जोड़ रही है. स्टार्टअप में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने अपने नाम से उत्पादों का पेटेंट कराया हुआ है. सरकार ऐसे सभी लोगों को इस अभियान से जोड़ने की कोशिश कर रही है.
उनका ये भी कहना है कि उन वैज्ञानिकों को भी खोजा और जोड़ा जा रह है, जो इनोवेशन कर रहे हैं और लगातार एक्टिव रहे हैं. सरकार ऐसे लोगों की पहचान कर उन्हें मौका देना चाहती है. इसके साथ ही पब्लिक में जिनके नाम सामने नहीं आ सके हैं उनको भी एक तरह से मंच देने का काम किया जा रहा है.
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