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मथुरा में रातोंरात काट दिए 300 से अधिक पेड़, संत प्रेमानंद महाराज भड़के, बोले- यह घोर अपराध, वे मटियामेट हो जाएंगे - Mathura Dalmia Farm House trees cut - MATHURA DALMIA FARM HOUSE TREES CUT

मथुरा में एक ही रात 300 से अधिक पेड़ों पर आरी चल गई. यह मामला सुर्खियों में है. वन विभाग समेत पुलिस-प्रशासन आरोपियों पर कार्रवाई कर रहा है. वहीं संत प्रेमानंद महाराज ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने धाम की लताओं का महत्व बताते हुए इसे घोर अपराध करार दिया.

पेड़ काटने पर भड़के प्रेमानंद महाराज.
पेड़ काटने पर भड़के प्रेमानंद महाराज. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 29, 2024, 6:43 AM IST

मथुरा : जिले के छटीकरा रोड स्थित डालमिया फार्म हाउस में रातोंरात 300 से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया. घटना 18 सितंबर को हुई थी. मामले में कई विभागों ने एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि ये पेड़ 50 से 100 साल में तैयार होते हैं. इन्हें काटना घोर अपराध है. जिन्होंने ऐसा किया है वह मटियामेट हो जाएंगे.

भक्तों को प्रवचन करते समय शनिवार को प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ब्रज में सबसे बड़ा भाग्यशाली वही है जिसने वृंदावन को अपना मान लिया. दुर्भाग्य का उदय हो रहा है. ब्रज क्षेत्र की लताओं का हनन हो रहा है. सैकड़ों वृक्ष काट दिए गए. यह वृक्ष 50 से 100 सालों में तैयार होते हैं. यह वृंदावन धाम है. केवल यहां के ही नहीं कहीं के भी वृक्ष नहीं काटने चाहिए. धाम के 84 कोस के वृक्ष महात्माएं हैं. यह घोर अपराध है. यह हम नहीं कह रहे, हमारी वाणी जी कह रही हैं. हरिराम व्यास जी कह रहे हैं.

मथुरा में पेड़ों को काटने पर संत ने जताई नाराजगी. (Video Credit; ETV Bharat)

एक शाखा काटने पर करोड़ों ब्रह्म हत्या का पाप : वृंदावन की लता की एक शाखा काटने पर करोड़ों ब्रह्म हत्या का पाप लगता है. इन पेड़ों के नीचे परिक्रमा लगाने पर सुख मिलता था. यहां लेटने पर थकान मिट जाती थी. अब रास्ते में ऐसे कंकर है कि पैर छलनी हो जाते हैं. दंडवत परिक्रमा में हाथ-पैर घायल हो जाते हैं. यहां की रज का महत्व है, रोड का महत्व नहीं, लेकिन कोई सुनता नहीं. आधुनिकता बढ़ती चली जा रही है जो धाम का अस्तित्व है वह तो है ही, उसे कोई नहीं मिटा सकता. उसे ढंक सकते हैं, और वह ढंक रहा है. आधुनिकता बढ़ रही है.

हम तड़प सकते हैं, कुछ कह नहीं सकते : प्रेमानंद महाराज ने कहा कि मुझे बहुत दुख है कि वृंदावन की लताएं काटी गईं. हम केवल तड़प सकते हैं, कुछ कह नहीं सकते. कहीं भी लताएं हो उसे गले लगा लो तीर्थ स्नान कर लो, उससे पवित्र नहीं होंगे, जितना वृंदावन की लताओं को गले लगाने से होंगे. यहां का नीम और बबूल भी पवित्र पावन है. आधुनिकता से ब्रजभूमि को बचाएं. यह आधुनिकता भजनहीन करने वाली है. पैसे के लोभ में लोगों ने इन वृक्षों को काटा है. तुम लाखों रुपया कमा सकते हो लेकिन इस अपराध से ऐसी परिस्थिति आएगी कि सब मटियामेट हो जाएगा. वृंदावन की ब्रज की लताओं को मत छेड़ो.

लताओं से है धाम की महिमा : वृंदावन के पशु पक्षी लता राजरानी यही हमारी सिद्धि है. इसी को ढंकना, इसी का नाश करना शुरू हो चुका है. जिधर देखो कोई भी जगह खरीदेगा, उधर वृक्षों को काट देगा. इस धाम की महिमा लताओं से है. ऐसे पवित्र जगह की लताओं को रात-रात में काटकर पाप किया जा रहा है. भागवत धामों की किसी तरह से रक्षा होनी चाहिए. बृजरानी की किसी तरह से रक्षा होनी चाहिए. यहां की लताओं की रक्षा होनी चाहिए. यह पशु-पक्षियों की जगह है.

50 साल में तैयार होता है वृक्ष : बहुत विचित्रता आती जा रही है. भजन के लिए जो चाहिए वह सब धीरे-धीरे ढंकता चला जा रहा है. जहां कहीं लताएं हैं वहां भी दुश्मन लोग उन्हें नहीं रहने दे रहे हैं. भवन तो बना सकते हो लेकिन वृक्षों को लगाकर उनका पालन पोषण करने के लिए जो मेहनत चाहिए, वह नहीं है. 50 वर्षों में एक ऐसा वृक्ष तैयार होता है जिसके नीचे 10-20 लोग बैठ सके. 100 लोग बैठकर कीर्तन कर सके. ऐसे वृक्षों को काट-काट करके फेंक दिए जाने पर बड़ा दुख होता है.

यह भी पढ़ें : मथुरा में रातों रात सैकड़ों हरे पेड़ काटने का मामला, आरोपियों पर मुकदमा दर्ज

मथुरा : जिले के छटीकरा रोड स्थित डालमिया फार्म हाउस में रातोंरात 300 से ज्यादा पेड़ों को काट दिया गया. घटना 18 सितंबर को हुई थी. मामले में कई विभागों ने एफआईआर दर्ज कराई है. पुलिस ने कुछ आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है. प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि ये पेड़ 50 से 100 साल में तैयार होते हैं. इन्हें काटना घोर अपराध है. जिन्होंने ऐसा किया है वह मटियामेट हो जाएंगे.

भक्तों को प्रवचन करते समय शनिवार को प्रेमानंद महाराज ने कहा कि ब्रज में सबसे बड़ा भाग्यशाली वही है जिसने वृंदावन को अपना मान लिया. दुर्भाग्य का उदय हो रहा है. ब्रज क्षेत्र की लताओं का हनन हो रहा है. सैकड़ों वृक्ष काट दिए गए. यह वृक्ष 50 से 100 सालों में तैयार होते हैं. यह वृंदावन धाम है. केवल यहां के ही नहीं कहीं के भी वृक्ष नहीं काटने चाहिए. धाम के 84 कोस के वृक्ष महात्माएं हैं. यह घोर अपराध है. यह हम नहीं कह रहे, हमारी वाणी जी कह रही हैं. हरिराम व्यास जी कह रहे हैं.

मथुरा में पेड़ों को काटने पर संत ने जताई नाराजगी. (Video Credit; ETV Bharat)

एक शाखा काटने पर करोड़ों ब्रह्म हत्या का पाप : वृंदावन की लता की एक शाखा काटने पर करोड़ों ब्रह्म हत्या का पाप लगता है. इन पेड़ों के नीचे परिक्रमा लगाने पर सुख मिलता था. यहां लेटने पर थकान मिट जाती थी. अब रास्ते में ऐसे कंकर है कि पैर छलनी हो जाते हैं. दंडवत परिक्रमा में हाथ-पैर घायल हो जाते हैं. यहां की रज का महत्व है, रोड का महत्व नहीं, लेकिन कोई सुनता नहीं. आधुनिकता बढ़ती चली जा रही है जो धाम का अस्तित्व है वह तो है ही, उसे कोई नहीं मिटा सकता. उसे ढंक सकते हैं, और वह ढंक रहा है. आधुनिकता बढ़ रही है.

हम तड़प सकते हैं, कुछ कह नहीं सकते : प्रेमानंद महाराज ने कहा कि मुझे बहुत दुख है कि वृंदावन की लताएं काटी गईं. हम केवल तड़प सकते हैं, कुछ कह नहीं सकते. कहीं भी लताएं हो उसे गले लगा लो तीर्थ स्नान कर लो, उससे पवित्र नहीं होंगे, जितना वृंदावन की लताओं को गले लगाने से होंगे. यहां का नीम और बबूल भी पवित्र पावन है. आधुनिकता से ब्रजभूमि को बचाएं. यह आधुनिकता भजनहीन करने वाली है. पैसे के लोभ में लोगों ने इन वृक्षों को काटा है. तुम लाखों रुपया कमा सकते हो लेकिन इस अपराध से ऐसी परिस्थिति आएगी कि सब मटियामेट हो जाएगा. वृंदावन की ब्रज की लताओं को मत छेड़ो.

लताओं से है धाम की महिमा : वृंदावन के पशु पक्षी लता राजरानी यही हमारी सिद्धि है. इसी को ढंकना, इसी का नाश करना शुरू हो चुका है. जिधर देखो कोई भी जगह खरीदेगा, उधर वृक्षों को काट देगा. इस धाम की महिमा लताओं से है. ऐसे पवित्र जगह की लताओं को रात-रात में काटकर पाप किया जा रहा है. भागवत धामों की किसी तरह से रक्षा होनी चाहिए. बृजरानी की किसी तरह से रक्षा होनी चाहिए. यहां की लताओं की रक्षा होनी चाहिए. यह पशु-पक्षियों की जगह है.

50 साल में तैयार होता है वृक्ष : बहुत विचित्रता आती जा रही है. भजन के लिए जो चाहिए वह सब धीरे-धीरे ढंकता चला जा रहा है. जहां कहीं लताएं हैं वहां भी दुश्मन लोग उन्हें नहीं रहने दे रहे हैं. भवन तो बना सकते हो लेकिन वृक्षों को लगाकर उनका पालन पोषण करने के लिए जो मेहनत चाहिए, वह नहीं है. 50 वर्षों में एक ऐसा वृक्ष तैयार होता है जिसके नीचे 10-20 लोग बैठ सके. 100 लोग बैठकर कीर्तन कर सके. ऐसे वृक्षों को काट-काट करके फेंक दिए जाने पर बड़ा दुख होता है.

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