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गोपालगंज में प्रसूता की मौत, परिजन का आरोप 'जीवित महिला को डॉक्टर ने किया मृत घोषित', विशेषज्ञ बोले- 'ऐसा होता है' - Maternal Died In Gopalganj

Maternal died In Gopalganj: बिहार के गोपालगंज में प्रसूता की मौत मामले में परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया है. परिजनों के मुताबिक जीवित महिला को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर.

गोपालगंज में प्रसूता की मौत
गोपालगंज में प्रसूता की मौत
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 8, 2024, 11:01 PM IST

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में प्रसूता की मौत ऑपरेशन के दौरान हो गई. महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने कहा कि जीवित महिला को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. घर ले जाने पर पता चला कि महिला जीवित है. वहीं इस मामले में डीएस ने कहा कि कभी-कभी ऐसा हो जाता है. उन्होंने इसका कारण भी बताया.

सदर अस्पताल में प्रसवः मामला जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के गोनियार का है. मृतका की पहचान गुनियार गांव निवासी मिथिलेश कुमार की पत्नी नेहा कुमारी के रूप में की गई. परिजनों के मुताबिक नेहा दूसरी बार मां बनी थी. गुरुवार की शाम प्रसव पीड़ा के बाद गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टर ने ऑपरेशन कर उसका प्रसव कराया लेकिन ब्लड ज्यादा निकल जाने के कारण डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. महिला के शव को सरकारी वाहन से घर भेज दिया.

7 मार्च को महिला की मौतः मृतका का भाई गुड्डू कुमार ने बताया कि 7 मार्च की रात ऑपरेशन से बच्ची हुई. थोड़ी देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी और डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर घर लेकर जाने के लिए बोल दिया. शुक्रवार को दाह-संस्कार के पहले उसके शरीर में जीवित होने की गतिविधियां होने लगी. आनन-फानन में उसे वापस सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे जहां ईसीजी कराया गया.

8 को ईसीजी में जीवितः ईसीजी रिपोर्ट के आधार पर बताया कि महिला यह जीवित है, लेकिन बच पाना मुश्किल है. कुछ देर पहले आते तो बचाया जा सकता था. इसके बाद रिपोर्ट पर 7 तारीख अंकित कर दिया. जबकि ईसीजी 8 तारीख को कराया गया था. परिजनों का आरोप है कि चार घंटे तक महिला के शरीर में गतिविधि मौजूद थी. फिलहाल इस घटना के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया है.

"गुरुवार की रात प्रसव हुआ. इसके बाद डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. जब शुक्रवार को अंतिम संस्कार की बारी आयी तो शरीर में हलचल दिखने लगा. फिर से अस्पताल लेकर पहुंचें. ईसीजी कराने पर डॉक्टर ने कहा जीवित है, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि देर होने के कारण बचाया नहीं जा सका. डॉक्टर ने लापरवाही की है." -गुड्डू कुमार, मृतका का भाई

डॉक्टर आरोप को बताया निराधार: इस मामले में डीएस ने कहा कि इस तरह की घटना कभी-कभी हो जाती है. डीएस के मुताबिक महिला की मौत गुरुवार की रात ही हो गई थी. दरअसल, मौत के बाद कुछ देर तक शरीर गर्म रहता है तो इस तरह की गतिविधि कभी-कभी हो जाती है. परिजनों को लगा कि महिला जीवित है. परिजन जानबूझकर लापरवाही का आरोप लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

"रात में ही महिला की मौत हो चुकी थी लेकिन मौत के कुछ देर तक शरीर में गर्म ही रहता है. इसलिए ऐसा हुआ है. परिजन बेवजह मामले को तूल देकर हंगामा किए हैं." -शशि रंजन, डीएस, सदर अस्पताल

इस संदर्भ में नगर थानाध्यक्ष ओपी चौहान ने बताया की "सदर अस्पताल के प्रसूता वार्ड में महिला के मौत के बाद हंगामा की सूचना प्राप्त हुई थी. पुलिस पहुंची और समझा बुझा कर मामला शांत कराया. हालांकि इस संदर्भ में कोई लिखित आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. परिजनों से आवेदन मिलने के बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी."

यह भी पढ़ेंः गोपालगंज सड़क हादसे में ITI छात्र की मौत, भाई के ससुराल से लौटने के दौरान वाहन की चपेट में आया

गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में प्रसूता की मौत ऑपरेशन के दौरान हो गई. महिला की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजनों ने कहा कि जीवित महिला को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. घर ले जाने पर पता चला कि महिला जीवित है. वहीं इस मामले में डीएस ने कहा कि कभी-कभी ऐसा हो जाता है. उन्होंने इसका कारण भी बताया.

सदर अस्पताल में प्रसवः मामला जिले के मांझागढ़ थाना क्षेत्र के गोनियार का है. मृतका की पहचान गुनियार गांव निवासी मिथिलेश कुमार की पत्नी नेहा कुमारी के रूप में की गई. परिजनों के मुताबिक नेहा दूसरी बार मां बनी थी. गुरुवार की शाम प्रसव पीड़ा के बाद गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती कराया था. डॉक्टर ने ऑपरेशन कर उसका प्रसव कराया लेकिन ब्लड ज्यादा निकल जाने के कारण डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. महिला के शव को सरकारी वाहन से घर भेज दिया.

7 मार्च को महिला की मौतः मृतका का भाई गुड्डू कुमार ने बताया कि 7 मार्च की रात ऑपरेशन से बच्ची हुई. थोड़ी देर बाद महिला की हालत बिगड़ने लगी और डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर घर लेकर जाने के लिए बोल दिया. शुक्रवार को दाह-संस्कार के पहले उसके शरीर में जीवित होने की गतिविधियां होने लगी. आनन-फानन में उसे वापस सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे जहां ईसीजी कराया गया.

8 को ईसीजी में जीवितः ईसीजी रिपोर्ट के आधार पर बताया कि महिला यह जीवित है, लेकिन बच पाना मुश्किल है. कुछ देर पहले आते तो बचाया जा सकता था. इसके बाद रिपोर्ट पर 7 तारीख अंकित कर दिया. जबकि ईसीजी 8 तारीख को कराया गया था. परिजनों का आरोप है कि चार घंटे तक महिला के शरीर में गतिविधि मौजूद थी. फिलहाल इस घटना के बाद परिजनों ने हंगामा शुरू कर दिया है.

"गुरुवार की रात प्रसव हुआ. इसके बाद डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. जब शुक्रवार को अंतिम संस्कार की बारी आयी तो शरीर में हलचल दिखने लगा. फिर से अस्पताल लेकर पहुंचें. ईसीजी कराने पर डॉक्टर ने कहा जीवित है, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि देर होने के कारण बचाया नहीं जा सका. डॉक्टर ने लापरवाही की है." -गुड्डू कुमार, मृतका का भाई

डॉक्टर आरोप को बताया निराधार: इस मामले में डीएस ने कहा कि इस तरह की घटना कभी-कभी हो जाती है. डीएस के मुताबिक महिला की मौत गुरुवार की रात ही हो गई थी. दरअसल, मौत के बाद कुछ देर तक शरीर गर्म रहता है तो इस तरह की गतिविधि कभी-कभी हो जाती है. परिजनों को लगा कि महिला जीवित है. परिजन जानबूझकर लापरवाही का आरोप लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

"रात में ही महिला की मौत हो चुकी थी लेकिन मौत के कुछ देर तक शरीर में गर्म ही रहता है. इसलिए ऐसा हुआ है. परिजन बेवजह मामले को तूल देकर हंगामा किए हैं." -शशि रंजन, डीएस, सदर अस्पताल

इस संदर्भ में नगर थानाध्यक्ष ओपी चौहान ने बताया की "सदर अस्पताल के प्रसूता वार्ड में महिला के मौत के बाद हंगामा की सूचना प्राप्त हुई थी. पुलिस पहुंची और समझा बुझा कर मामला शांत कराया. हालांकि इस संदर्भ में कोई लिखित आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है. परिजनों से आवेदन मिलने के बाद जांच कर कार्रवाई की जाएगी."

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