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सड़क पर मशाल लेकर उतरे नियोजित शिक्षक, बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग

बिहार में शिक्षक एकता मंच के नेतृत्व में नियोजित शिक्षकों ने मशाल जुलूस निकालकर सरकार के सामने अपनी मांगों को रखा और कहा कि जब तक सरकार उनको बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा नहीं दे देती उनका प्रदर्शन जारी रहेगा.

अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस
अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 10, 2024, 10:59 PM IST

अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस

अररिया : बिहार में अलग अलग शहरों में नियोजित शिक्षक संघ ने मशाल जुलूस निकालकर बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग उठाई. इसी क्रम में अररिया जिले में भी नियोजित शिक्षकों का हुजूम मशाल लेकर सड़क पर उतरा. बिहार शिक्षक एकता मंच के आह्वान पर शनिवार की शाम को जिले के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा के मांग के समर्थन में हुंकार भरी और मशाल जुलूस निकाला.

अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस : बता दें कि मशाल जुलूस बस स्टैंड से एडीबी चौक होते हुए चांदनी चौक तक गई. मशाल जुलूस का नेतृत्व कर रहे शिक्षक एकता मंच अररिया के संयोजक व शिक्षकों के मुद्दे को अपना समर्थन दे रहे फैसल जावेद यासीन ने कहा कि शिक्षक परीक्षा से नहीं डर रहे हैं. विभाग की नियत साफ नहीं है, इसी से शिक्षकों को परेशानी है. शिक्षक जब दक्षता परीक्षा और टीईटी जैसी कठिन परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं, तो बार बार परीक्षा लेने का क्या औचित्य बनता है?

''नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित व वर्षों पुरानी मांग है कि बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा मिले. नियोजित शिक्षकों को सरकार ने राज्यकर्मी बनाने की घोषणा तो की, मगर उनमें जो शर्त लगा दी है वह कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. बीपीएससी से जब लाखों शिक्षकों की बहाली ऑफलाइन हो सकती है तो नियोजित शिक्षकों की परीक्षा ऑफलाइन क्यों नहीं हो सकती है.''- फैसल जावेद यासीन, प्रदर्शनकारी शिक्षक

'सरकार की नीयत साफ नहीं' : प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने बताया कि सरकार ऑनलाइन व अप्रत्यक्ष रूप से नेगेटिव मार्किंग के साथ परीक्षा लेकर शिक्षकों की छटनी की जो नीति बनाया है उसे कहीं से बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. ऐच्छिक स्थानांतरण की जगह जबरदस्ती शिक्षकों को अन्य जिलों में स्थानांतरण करने की ये योजना है. इस नीति में महिला और दिव्यांग शिक्षकों को भी कोई राहत नहीं है. इसलिए ये सरकार की नियोजित शिक्षकों के प्रति दोहरी नीति को दर्शाता है.

मांग पूरी होने तक प्रदर्शन : जब तक सरकार नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देने की घोषणा करती है, तबतक शिक्षक एकता मंच के बैनर तले शिक्षक आन्दोलन करते रहेंगे. शिक्षकों के मशाल जुलूस कार्यक्रम का अररिया किसान मंच, ड्राइवर मंच, स्टूडेंट संघ एवं अररिया का मुद्दा सहित आम नागरिकों का भी समर्थन रहा. इन सभी मंचों के सैकड़ों कार्यकर्ता शिक्षकों के साथ मशाल जुलूस में शामिल हुए.

ये भी पढ़ें- 'केके पाठक जनरल डायर तो भगत सिंह बनकर लड़ेंगे शिक्षक', बेगूसराय में सक्षमता परीक्षा के विरोध में मशाल जुलूस

अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस

अररिया : बिहार में अलग अलग शहरों में नियोजित शिक्षक संघ ने मशाल जुलूस निकालकर बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग उठाई. इसी क्रम में अररिया जिले में भी नियोजित शिक्षकों का हुजूम मशाल लेकर सड़क पर उतरा. बिहार शिक्षक एकता मंच के आह्वान पर शनिवार की शाम को जिले के सैकड़ों शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा के मांग के समर्थन में हुंकार भरी और मशाल जुलूस निकाला.

अररिया में नियोजित शिक्षकों का मशाल जुलूस : बता दें कि मशाल जुलूस बस स्टैंड से एडीबी चौक होते हुए चांदनी चौक तक गई. मशाल जुलूस का नेतृत्व कर रहे शिक्षक एकता मंच अररिया के संयोजक व शिक्षकों के मुद्दे को अपना समर्थन दे रहे फैसल जावेद यासीन ने कहा कि शिक्षक परीक्षा से नहीं डर रहे हैं. विभाग की नियत साफ नहीं है, इसी से शिक्षकों को परेशानी है. शिक्षक जब दक्षता परीक्षा और टीईटी जैसी कठिन परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं, तो बार बार परीक्षा लेने का क्या औचित्य बनता है?

''नियोजित शिक्षकों की बहुप्रतीक्षित व वर्षों पुरानी मांग है कि बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा मिले. नियोजित शिक्षकों को सरकार ने राज्यकर्मी बनाने की घोषणा तो की, मगर उनमें जो शर्त लगा दी है वह कहीं से भी न्यायोचित नहीं है. बीपीएससी से जब लाखों शिक्षकों की बहाली ऑफलाइन हो सकती है तो नियोजित शिक्षकों की परीक्षा ऑफलाइन क्यों नहीं हो सकती है.''- फैसल जावेद यासीन, प्रदर्शनकारी शिक्षक

'सरकार की नीयत साफ नहीं' : प्रदर्शनकारी शिक्षकों ने बताया कि सरकार ऑनलाइन व अप्रत्यक्ष रूप से नेगेटिव मार्किंग के साथ परीक्षा लेकर शिक्षकों की छटनी की जो नीति बनाया है उसे कहीं से बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. ऐच्छिक स्थानांतरण की जगह जबरदस्ती शिक्षकों को अन्य जिलों में स्थानांतरण करने की ये योजना है. इस नीति में महिला और दिव्यांग शिक्षकों को भी कोई राहत नहीं है. इसलिए ये सरकार की नियोजित शिक्षकों के प्रति दोहरी नीति को दर्शाता है.

मांग पूरी होने तक प्रदर्शन : जब तक सरकार नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देने की घोषणा करती है, तबतक शिक्षक एकता मंच के बैनर तले शिक्षक आन्दोलन करते रहेंगे. शिक्षकों के मशाल जुलूस कार्यक्रम का अररिया किसान मंच, ड्राइवर मंच, स्टूडेंट संघ एवं अररिया का मुद्दा सहित आम नागरिकों का भी समर्थन रहा. इन सभी मंचों के सैकड़ों कार्यकर्ता शिक्षकों के साथ मशाल जुलूस में शामिल हुए.

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