नैनीतालः उत्तराखंड के नैनीताल में तीन दिनों से हो रही बारिश ने स्थानीय लोगों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है. शहर के चार्टन लॉज क्षेत्र में बारिश के चलते बड़ा भूस्खलन हुआ है. जिससे अब पहाड़ी पर स्थित दर्जनों बहुमंजिला घरों पर खतरा मंडराने लगा है. भूस्खलन को देखते हुए जिला प्रशासन की टीम अलर्ट मोड पर है. किसी प्रकार की कोई बड़ी जनहानि ना हो उसको लेकर एसडीआरएफ, फायर और जिला प्रशासन की अन्य राहत और बचाव टीमें मौके पर मौजूद है.
बीते साल हुए भूस्खलन को रोकने के लिए लोक निर्माण विभाग की टीम ने जियो बैग की दीवार और तिरपाल लगाकर भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में भूस्खलन रोकने का काम किया था. लेकिन एक साल बीत जाने के बावजूद भी भूस्खलन नहीं रुक पाया. दस माह बाद भी प्रभावित क्षेत्र को स्थाई उपचार नहीं मिलने से अस्थाई दीवार टूट गई है. वहीं बारिश से क्षेत्र की रोकथाम के लिए लगाए गए तिरपाल भी फट गएं. जिसके चलते बीस से ज्यादा भवन खतरे की जद में आ गए हैं. जिला प्रशासन ने पहाड़ी के ऊपर स्थित घरों को खाली करने के निर्देश देते हुए कई घरों को खाली करवाना शुरू कर दिया है. वहीं लोग क्षेत्र में अपनी आंखें टिकाए बैठे हैं.
Uttarakhand | During a landslide near Charter Lodge Mallital in Nainital, SDRF team reached the spot and evacuated 10 local families amid heavy rain: SDRF pic.twitter.com/UoVQt3Syd3
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) July 6, 2024
बता दें कि बीते वर्ष सितंबर माह में चार्टन लॉज में भारी भूस्खलन हुआ था. जिसमें दो मंजिला भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गया था. साथ ही ऊपर स्थित कई आवासीय भवनों में दरारें उभर आई थी. जिसके बाद प्रशासन की ओर से तत्कालिक राहत के तौर पर 24 परिवारों को अन्यत्र विस्थापित किया था. बरसात खत्म होने के बाद लोनिवि ने जियो बैग से अस्थाई दीवार बनाकर भूस्खलन की रोकथाम की. जिसके बाद से अब तक पहाड़ी को स्थाई उपचार नहीं मिल पाया था. जबकि लोगों ने कई बार प्रशासन से पहाड़ी की उपचार की मांग की. लेकिन उसके बाद भी प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इधर बरसात शुरू होने के साथ क्षेत्र का पानी अस्थाई दीवार के ऊपर जाने लगा. लोगों की शिकायत के बाद प्रशासन ने क्षेत्र में तिरपाल डलवाकर वहां पानी की निकासी को रोक दिया. लेकिन भारी बारिश के चलते प्रशासन का यह जुगाड़ कारगर नहीं रहा. शनिवार शाम क्षेत्र में भू-कटाव होने से भारी मलबा नीचे गिरने लगा. जिसमें जियो बैग की दीवार भी ध्वस्त हो गई. पहाड़ी से लगातार मलबा गिरने से ऊपर स्थित बीस से ज्यादा भवन फिर एक बार खतरे की जद में आ गए हैं.
भूस्खलन की सूचना मिलने के बाद एसडीएम प्रमोद कुमार राजस्व टीम के साथ मौके पर पहुंच गए हैं. जहां से खतरे की जद में रह रहे लोगों को अन्यत्र विस्थापित करने की कवायद की जा रही है.
स्थानीय निवासी भारती जोशी का कहना है करीब 1 साल पूर्व क्षेत्र में भूस्खलन के चलते कई घरों पर खतरा मंडरा रहा था. लेकिन इसके बावजूद भी जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र का उपचार सही समय से नहीं किया. इस बार बरसात शुरू होते ही क्षेत्र में बड़ा खतरा मंडरा रहा है. विभाग की लापरवाहियों के चलते कई परिवार अब बेघर होने की स्थिति में है.
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