मंडला। आदिवासी बाहुल्य जिलों में शिक्षा को लेकर तरह-तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं. गांव-गांव में स्कूल खोले जा रहे हैं ताकि शिक्षा का दायरा बढ़े और कोई भी बच्चा अनपढ़ न रहे. सभी बच्चे शिक्षित हो सकें जिससे देश एवं समाज में शिक्षा का क्षेत्र उन्नत हो, लेकिन कई जगह देखने में आ रहा है कि कई शिक्षक स्कूल तो पहुंचते हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं. कई शिक्षक रोजाना शराब पीकर पहुंचते हैं. हाल ही में मंडला जिले में एक स्कूल में शिक्षिका ने अपने जूते बच्चों से धुलवाए.
पढ़ाई छोड़कर सभी काम जरूरी
शिक्षा देने वाले कई शिक्षक जब अपना दायित्व भूलते जा रहे हैं और इनका अमानवीय चेहरा सामने आ रहा है. सरकार बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए जहां तरह तरह की सुविधाएं जैसे स्कूल ड्रेस,साइकिल,मध्यान्ह भोजन और अन्य प्रकार की सुविधाएं प्रदान कर रही है ताकि गरीब परिवार के बच्चे पैसों के अभाव में अच्छी शिक्षा प्राप्त करें. लेकिन कुछ शिक्षकों की मनमानी के चलते सरकारी स्कूल बदनाम हो रहे हैं. बच्चों से स्कूल में मिड डे मील के बर्तन धोने के कई मामले सामने आते रहते हैं लेकिन इस बार तो एक शिक्षिका ने हद कर दी बच्चों से अपने जूते ही साफ करवा डाले.
झिगरघटा प्राथमिक शाला का मामला
मामला मंडला जिले के घुघरी तहसील मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर दूर झिगरघटा प्राथमिक शाला का है.यहां पदस्थ शिक्षिका भागवती चौबे पर आरोप है कि वह आए दिन अपने जूते बच्चों से साफ कराती हैं. बच्चों ने जब परिजनों से शिकायत की तो कुछ ग्रामीणों ने पास लगे हैंडपंप पर बच्चों द्वारा जूते साफ करने की फोटो खींची. जिसमें बच्चे वाशिंग पाउडर के साथ बाल्टी में जूते धोते नजर आ रहे हैं.
सरपंच के साथ पहुंचकर की शिकायत
बच्चों से जूते धुलवाने का मामला सामने आने के बाद परिजनों ने सरपंच और बच्चों के साथ पहुंचकर जिला शिक्षाधिकारी और तहसीलदार से शिकायत की है. शिकायत में बच्चों के द्वारा जूते धोते फोटो भी दिए गए हैं. इधर अधिकारी जगदीश जगाते का कहना है कि "परिजनों के द्वारा शिकायत मिली है जिसकी जांच की जिम्मेदारी बीओ को दी गई है और रिपोर्ट आते ही नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी." परिजनों के साथ सरपंच का कहना है कि इसके पहले भी शिक्षिका की पढ़ाई नहीं करवाने की शिकायत की जा चुकी है लेकिन कभी कार्रवाई नहीं की जाती.