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SDM कोर्ट ने ग्राम पंचायत बाग के प्रधान का चुनाव किया निरस्त, सरकारी जमीन अवैध कब्जे के कारण अयोग्य करार - GRAM PANCHAYAT PRADHAN RAJIV KHAN

मंडी जिला के जोगिंद्रनगर एसडीएम कोर्ट ने ग्राम पंचायत बाग के प्रधान राजीव खान का चुनाव निरस्त कर दिया.

ग्राम पंचायत बाग के प्रधान का चुनाव निरस्त
ग्राम पंचायत बाग के प्रधान का चुनाव निरस्त (FILE)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 3, 2025, 7:23 PM IST

मंडी: हिमाचल के जिला मंडी में जोगिंदर नगर एसडीएम कोर्ट ने लडभड़ोल तहसील की ग्राम पंचायत बाग के प्रधान के चुनाव को निरस्त कर दिया है. एसडीएम न्यायालय ने याचिकाकर्ता दलीप सिंह की याचिका को स्वीकारते हुए बाग पंचायत के निर्वाचित प्रधान राजीव खान को हिमाचल पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 (1)(सी) के तहत अयोग्य मानते हुए उनके चुनाव को निरस्त कर दिया है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रधान का नामांकन भरने के दिन तक सरकारी जमीन पर कब्जा था. याचिकाकर्ता ने निर्वाचित प्रधान राजीव खान के निर्वाचन को चुनौती देते हुए पंचायती राज अधिनियम के तहत यह चुनाव याचिका दायर की दी. इस मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता दलीप सिंह और प्रतिवादी प्रधान राजीव खान ने प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र भरे थे.

नामांकन पत्रों की छंटाई के समय याचिकाकर्ता ने प्रधान के नामांकन पत्र पर आपत्ति दर्ज करते हुए एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें प्रधान ने सरकारी जमीन पर किए कब्जे को नियमित करने के लिए प्रार्थना की थी. लेकिन ग्राम पंचायत बाग के सहायक निर्वाचन अधिकारी ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता की आपत्तियों को खारिज कर दिया था. मतगणना के बाद याचिकाकर्ता मात्र 18 मतों से हार गया था और प्रतिवादी प्रधान को निर्वाचित घोषित किया गया था. जिसके चलते याचिकाकर्ता ने एसडीएम कोर्ट में यह याचिका दायर कर इस निर्वाचन को चुनौती दी थी.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी के प्रार्थना पत्र से जाहिर होता है कि उन्होंने 1-13-00 बीघा सरकारी भूमि को नियमित करने के लिए आवेदन किया था. फील्ड कानूनगो द्वारा सत्यापित ततीमा से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है. प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न पटवारी की रिपोर्ट से भी साबित होता है कि प्रतिवादी ने उक्त रकबा पर कब्जा किया हुआ है. रेंज वन अधिकारी की रिपोर्ट और प्रतिवादी के शपथ पत्र के मुताबिक उन्होंने 0-13-00 बीघा सरकारी भूमि से अपना कब्जा छोड़ दिया है. ये तथ्य साबित करता है कि प्रतिवादी 1-00-00 बीघा सरकारी भूमि के रकबे पर अभी भी कब्जा कायम है.

ऐसे में अदालत ने माना कि प्रधान के पास नामांकन के दिन तक सरकारी भूमि का अवैध कब्जा था, जिसके चलते अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य मानते हुए उनके निर्वाचन को निरस्त करने का फैसला सुनाया है. दलीप सिंह की तरफ से अधिवक्ता राजेश राणा ने मामले की पैरवी की.

ये भी पढ़ें: ब्लैकमेलिंग से तंग आकर महिला ने की थी खुदकुशी!, मृतका के मोबाइल में मिले धमकी भरे मैसेज, बेटी की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ केस दर्ज

मंडी: हिमाचल के जिला मंडी में जोगिंदर नगर एसडीएम कोर्ट ने लडभड़ोल तहसील की ग्राम पंचायत बाग के प्रधान के चुनाव को निरस्त कर दिया है. एसडीएम न्यायालय ने याचिकाकर्ता दलीप सिंह की याचिका को स्वीकारते हुए बाग पंचायत के निर्वाचित प्रधान राजीव खान को हिमाचल पंचायती राज अधिनियम की धारा 122 (1)(सी) के तहत अयोग्य मानते हुए उनके चुनाव को निरस्त कर दिया है.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता की ओर से महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए गए हैं, जिससे यह साबित होता है कि प्रधान का नामांकन भरने के दिन तक सरकारी जमीन पर कब्जा था. याचिकाकर्ता ने निर्वाचित प्रधान राजीव खान के निर्वाचन को चुनौती देते हुए पंचायती राज अधिनियम के तहत यह चुनाव याचिका दायर की दी. इस मामले के तथ्यों के अनुसार याचिकाकर्ता दलीप सिंह और प्रतिवादी प्रधान राजीव खान ने प्रधान पद के लिए नामांकन पत्र भरे थे.

नामांकन पत्रों की छंटाई के समय याचिकाकर्ता ने प्रधान के नामांकन पत्र पर आपत्ति दर्ज करते हुए एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें प्रधान ने सरकारी जमीन पर किए कब्जे को नियमित करने के लिए प्रार्थना की थी. लेकिन ग्राम पंचायत बाग के सहायक निर्वाचन अधिकारी ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता की आपत्तियों को खारिज कर दिया था. मतगणना के बाद याचिकाकर्ता मात्र 18 मतों से हार गया था और प्रतिवादी प्रधान को निर्वाचित घोषित किया गया था. जिसके चलते याचिकाकर्ता ने एसडीएम कोर्ट में यह याचिका दायर कर इस निर्वाचन को चुनौती दी थी.

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रतिवादी के प्रार्थना पत्र से जाहिर होता है कि उन्होंने 1-13-00 बीघा सरकारी भूमि को नियमित करने के लिए आवेदन किया था. फील्ड कानूनगो द्वारा सत्यापित ततीमा से भी इस तथ्य की पुष्टि होती है. प्रार्थना पत्र के साथ संलग्न पटवारी की रिपोर्ट से भी साबित होता है कि प्रतिवादी ने उक्त रकबा पर कब्जा किया हुआ है. रेंज वन अधिकारी की रिपोर्ट और प्रतिवादी के शपथ पत्र के मुताबिक उन्होंने 0-13-00 बीघा सरकारी भूमि से अपना कब्जा छोड़ दिया है. ये तथ्य साबित करता है कि प्रतिवादी 1-00-00 बीघा सरकारी भूमि के रकबे पर अभी भी कब्जा कायम है.

ऐसे में अदालत ने माना कि प्रधान के पास नामांकन के दिन तक सरकारी भूमि का अवैध कब्जा था, जिसके चलते अदालत ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य मानते हुए उनके निर्वाचन को निरस्त करने का फैसला सुनाया है. दलीप सिंह की तरफ से अधिवक्ता राजेश राणा ने मामले की पैरवी की.

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