बरेली: बरेली में अपर सत्र न्यायाधीश 7 ने हत्या के आरोप में एक दोस्त को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनायी. साथ ही 15 हजार रुपये का अर्थ दंड भी लगाया. वारदात 20 मई 2003 को हुई थी. बरेली में फरीदपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में महेंद्र पाल की लाश खेत में मिली थी. परिजनों ने उसके तीन दोस्तों पर हत्या का आरोप लगाकर मुकदमा दर्ज कराया था. तब से मामला कोर्ट में विचाराधीन था.
एडीजीसी राजेश्वरी गंगवार ने बताया कि बरेली के फरीदपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला 35 वर्षीय महेंद्र पाल की गांव में रहने वाले चरण सिंह, मोती और कन्हैयालाल से दोस्ती थी और तीनों एक साथ रहते थे. किसी बात को लेकर वारदात से कुछ महीने पहले महेंद्र पाल ने मोती, चरण सिंह और कन्हैया का साथ छोड़ दिया था. 20 मई 2003 को महेंद्र पाल की लाश गांव के पास खेत में खून से लथपथ मिली थी. उसके सिर पर वार करके मौत के घाट उतारा गया था.
हत्या के बाद महेंद्र के भाई ने उसके तीन दोस्तों के खिलाफ हत्या का मुकदमा फरीदपुर थाने में दर्ज कराया. वहां पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मामला तब से कोर्ट में विचाराधीन था. इस दौरान मोती और चरण सिंह की मौत हो गई. शुक्रवार को अपर सत्र न्यायाधीश 7 ने महेंद्र पाल की हत्या का दोषी मानते हुए उसके दोस्त कन्हैया लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनायी और 15 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया.