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Mallika Alphonso Mango: अल्फांसो, दशहरी को टक्कर दे रही आम प्रेमियों की 'मल्लिका', स्वाद कर रहा मालामाल

Mallika Aam Beats Alphonso: गर्मियों के साथ ही फलों के राजा 'आम' का सीजन भी शुरु हो गया है. अल्फांसो, दशहरी, तोतापरी और चौसा आम लोगों की पहली पसंद हैं. लेकिन अब आमों की 'मल्लिका' इन आमों को टक्कर देती नजर आ रही है. जबलपुर के एक किसान 28 किस्म के आमों की खेती कर रहा है, जिसमें मल्लिका आम सबसे खास है. पढ़िये किसान की सफलता की कहानी-

mallika aam beats alphonso
मल्लिका आम की खासियत
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 11, 2024, 6:18 PM IST

Updated : Mar 11, 2024, 8:31 PM IST

जबलपुर के मैंगो मैन ने बाग में लगाए 28 किस्म के आम

जबलपुर। जिस तरह गुजरात में केसर आम ने, महाराष्ट्र में हाफुस आम ने किसानों की तकदीर बदल दी. उसी तरीके से मध्य प्रदेश में 'मल्लिका आम' की वैरायटी किसानों की आर्थिक स्थिति सुधार सकती है. मल्लिका आम के बगीचे लगाकर किसान मालामाल हो सकते हैं. जबलपुर के एक किसान संकल्प सिंह परिहार ने आम की सफल खेती की है. संकल्प परिहार बीते 7 सालों से आम की सफल खेती करते चले आ रहे हैं. उनके बगीचे में 28 किस्म के आम लगे हुए हैं. इनमें से कुछ देसी किस्म हैं और कुछ विदेशी किस्म के आम भी हैं, जिनकी खेती जापान में होती है. देसी किस्म में भारत में पाए जाने वाले लगभग सभी चर्चित आम की किस्म उनके बगीचे में है. संकल्प परिवार का कहना है कि इन सभी किस्म में उन्हें सबसे अच्छा रिजल्ट मल्लिका आम से मिला है.

jabalpur mallika Mango farmer successfull story
28 किस्म के आमों की खेती कर रहे किसान संकल्प सिंह

लीप ईयर की समस्या

आम की फसल में लीप ईयर की समस्या बड़ी समस्या है. आम की चर्चित देसी किस्म में यह समस्या सबसे ज्यादा आती है. अल्फाजों, दशहरी, चौसा, लंगड़ा, नीलम में लीप ईयर की समस्या आती है. आम के मामले में लीप ईयर हर दूसरे साल माना जाता है. मतलब एक आम का पेड़ लगातार उत्पादन नहीं देता बल्कि हर 2 साल में एक बार आम के पेड़ में फल नहीं आते और इसी वजह से फलों के बगीचे लगाने वाले किसान आम का बगीचा लगाने से कतराते हैं. इसके अलावा आम के बगीचे में दूसरी कोई बड़ी समस्या नहीं है. सामान्य तौर पर आम के पेड़ बड़े होते हैं इसलिए इनकी रेख देख भी दूसरी फसलों जैसे नहीं करनी होती. हालांकि आजकल की वैरायटी में आम के पेड़ों को ज्यादा बड़ा नहीं होने दिया जाता, क्योंकि ज्यादा बड़े पेड़ों में ज्यादा बड़े फल नहीं आते और छोटे पेड़ों में फलों की संख्या को कम करके बड़े फल लिए जाते हैं.

हाफुस महाराष्ट्र का और मध्य प्रदेश की मल्लिका

संकल्प परिहार ने बताया कि ''उन्होंने हाफुस आम की खेती भी की है और उनके दो बगीचों में हाफुस या अल्फांसो लगा हुआ है. उन्होंने अपनी तैयार फसल को स्थानीय बाजार के अलावा मुंबई भी भेजा, लेकिन महाराष्ट्र के बाजारों में बिकने वाला हाफुस आम हल्का खट्टा और मीठा होता है और यही खाट मीठा स्वाद उसके चाहने वालों को पसंद आता है. लेकिन मध्य प्रदेश में हाफूस में वह स्वाद नहीं आ पाता जो महाराष्ट्र में देखने को मिलता है. मध्य प्रदेश का हाफूस आम कुछ ज्यादा ही मीठा होता है.''

jabalpur mallika mango
मल्लिका आम बना लोगों की पहली पसंद

नर्मदा की अबो हवा मल्लिका के लिए बेस्ट

आम की फसल अलग-अलग अबो हवा में अलग-अलग तरीके से फलों को तैयार करती है. इसी वजह से इनके स्वाद में फर्क आता है, जैसे गुजरात में केसर आम बहुत अच्छी तरह से फलता फूलता है और गुजरात का केसर स्वाद में भी बाकी देश के केसर से अलग होता है. बिहार में आम्रपाली में कुछ अलग स्वाद पाया जाता है. कुछ इसी तरीके से मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे की अबो हवा मल्लिका आम के लिए सबसे अच्छी मानी जा रही है और इस पूरे इलाके में जहां-जहां भी मल्लिका आम लगाया गया उसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए.

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आमों की मल्लिका Noor Jahan की चमक पड़ी फीकी, अलीराजपुर में बचे मात्र इतने पेड़

हाइब्रिड की खेती सफल

मल्लिका वैरायटी ने मलिहाबाद में जितना अच्छा स्वाद नहीं दिया उससे अच्छा स्वाद जबलपुर के आसपास नर्मदा किनारे की फसल का पाया गया है. इस वैरायटी की खोज भारत सरकार के मलिहाबाद में आमों के शोध संस्थान के द्वारा की गई थी और यह वैरायटी आज से लगभग 30 साल पहले जारी की गई और अब जाकर इसके अच्छे परिणाम आना शुरू हुए हैं. संकल्प परिहार का कहना है कि ''मल्लिका वैरायटी में लीप ईयर की समस्या नहीं है और एक तैयार पौधे को फसल देने में मात्र 3 साल का वक्त लगता है. 3 साल का पौधा फल देने लगता है और चौथे पांचवें साल में इसके पौधे से पर्याप्त उत्पादन होने लगता है. इसलिए मध्य प्रदेश के आसपास के इलाकों में यदि कोई किसान आम की खेती करना चाहता है तो उसे मल्लिका आम की खेती करनी चाहिए. यह वैरायटी इस इलाके के लिए वरदान बन सकती है. बगीचा बनाने वाले किसानों के लिए यह वैरायटी लखपति बन सकती है.''

संकल्प के खेत में जापान आम मौजूद

संकल्प परिहार आम की सफल खेती कर रहे हैं. इन्हीं के बगीचे में जापान का वह आम भी लगा हुआ है, जिसकी कीमत जापान में ढाई लाख रुपए से ज्यादा है. इसके अलावा उनके बगीचे में साल भर फसल देने वाले राम भी लगे हुए हैं. लेकिन संकल्प का कहना है कि ''यदि कोई नया किसान आम की खेती करना चाहता है तो उसे मल्लिका वैरायटी से ही शुरुआत करनी चाहिए.''

जबलपुर के मैंगो मैन ने बाग में लगाए 28 किस्म के आम

जबलपुर। जिस तरह गुजरात में केसर आम ने, महाराष्ट्र में हाफुस आम ने किसानों की तकदीर बदल दी. उसी तरीके से मध्य प्रदेश में 'मल्लिका आम' की वैरायटी किसानों की आर्थिक स्थिति सुधार सकती है. मल्लिका आम के बगीचे लगाकर किसान मालामाल हो सकते हैं. जबलपुर के एक किसान संकल्प सिंह परिहार ने आम की सफल खेती की है. संकल्प परिहार बीते 7 सालों से आम की सफल खेती करते चले आ रहे हैं. उनके बगीचे में 28 किस्म के आम लगे हुए हैं. इनमें से कुछ देसी किस्म हैं और कुछ विदेशी किस्म के आम भी हैं, जिनकी खेती जापान में होती है. देसी किस्म में भारत में पाए जाने वाले लगभग सभी चर्चित आम की किस्म उनके बगीचे में है. संकल्प परिवार का कहना है कि इन सभी किस्म में उन्हें सबसे अच्छा रिजल्ट मल्लिका आम से मिला है.

jabalpur mallika Mango farmer successfull story
28 किस्म के आमों की खेती कर रहे किसान संकल्प सिंह

लीप ईयर की समस्या

आम की फसल में लीप ईयर की समस्या बड़ी समस्या है. आम की चर्चित देसी किस्म में यह समस्या सबसे ज्यादा आती है. अल्फाजों, दशहरी, चौसा, लंगड़ा, नीलम में लीप ईयर की समस्या आती है. आम के मामले में लीप ईयर हर दूसरे साल माना जाता है. मतलब एक आम का पेड़ लगातार उत्पादन नहीं देता बल्कि हर 2 साल में एक बार आम के पेड़ में फल नहीं आते और इसी वजह से फलों के बगीचे लगाने वाले किसान आम का बगीचा लगाने से कतराते हैं. इसके अलावा आम के बगीचे में दूसरी कोई बड़ी समस्या नहीं है. सामान्य तौर पर आम के पेड़ बड़े होते हैं इसलिए इनकी रेख देख भी दूसरी फसलों जैसे नहीं करनी होती. हालांकि आजकल की वैरायटी में आम के पेड़ों को ज्यादा बड़ा नहीं होने दिया जाता, क्योंकि ज्यादा बड़े पेड़ों में ज्यादा बड़े फल नहीं आते और छोटे पेड़ों में फलों की संख्या को कम करके बड़े फल लिए जाते हैं.

हाफुस महाराष्ट्र का और मध्य प्रदेश की मल्लिका

संकल्प परिहार ने बताया कि ''उन्होंने हाफुस आम की खेती भी की है और उनके दो बगीचों में हाफुस या अल्फांसो लगा हुआ है. उन्होंने अपनी तैयार फसल को स्थानीय बाजार के अलावा मुंबई भी भेजा, लेकिन महाराष्ट्र के बाजारों में बिकने वाला हाफुस आम हल्का खट्टा और मीठा होता है और यही खाट मीठा स्वाद उसके चाहने वालों को पसंद आता है. लेकिन मध्य प्रदेश में हाफूस में वह स्वाद नहीं आ पाता जो महाराष्ट्र में देखने को मिलता है. मध्य प्रदेश का हाफूस आम कुछ ज्यादा ही मीठा होता है.''

jabalpur mallika mango
मल्लिका आम बना लोगों की पहली पसंद

नर्मदा की अबो हवा मल्लिका के लिए बेस्ट

आम की फसल अलग-अलग अबो हवा में अलग-अलग तरीके से फलों को तैयार करती है. इसी वजह से इनके स्वाद में फर्क आता है, जैसे गुजरात में केसर आम बहुत अच्छी तरह से फलता फूलता है और गुजरात का केसर स्वाद में भी बाकी देश के केसर से अलग होता है. बिहार में आम्रपाली में कुछ अलग स्वाद पाया जाता है. कुछ इसी तरीके से मध्य प्रदेश के नर्मदा किनारे की अबो हवा मल्लिका आम के लिए सबसे अच्छी मानी जा रही है और इस पूरे इलाके में जहां-जहां भी मल्लिका आम लगाया गया उसके रिजल्ट बहुत अच्छे आए.

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हाइब्रिड की खेती सफल

मल्लिका वैरायटी ने मलिहाबाद में जितना अच्छा स्वाद नहीं दिया उससे अच्छा स्वाद जबलपुर के आसपास नर्मदा किनारे की फसल का पाया गया है. इस वैरायटी की खोज भारत सरकार के मलिहाबाद में आमों के शोध संस्थान के द्वारा की गई थी और यह वैरायटी आज से लगभग 30 साल पहले जारी की गई और अब जाकर इसके अच्छे परिणाम आना शुरू हुए हैं. संकल्प परिहार का कहना है कि ''मल्लिका वैरायटी में लीप ईयर की समस्या नहीं है और एक तैयार पौधे को फसल देने में मात्र 3 साल का वक्त लगता है. 3 साल का पौधा फल देने लगता है और चौथे पांचवें साल में इसके पौधे से पर्याप्त उत्पादन होने लगता है. इसलिए मध्य प्रदेश के आसपास के इलाकों में यदि कोई किसान आम की खेती करना चाहता है तो उसे मल्लिका आम की खेती करनी चाहिए. यह वैरायटी इस इलाके के लिए वरदान बन सकती है. बगीचा बनाने वाले किसानों के लिए यह वैरायटी लखपति बन सकती है.''

संकल्प के खेत में जापान आम मौजूद

संकल्प परिहार आम की सफल खेती कर रहे हैं. इन्हीं के बगीचे में जापान का वह आम भी लगा हुआ है, जिसकी कीमत जापान में ढाई लाख रुपए से ज्यादा है. इसके अलावा उनके बगीचे में साल भर फसल देने वाले राम भी लगे हुए हैं. लेकिन संकल्प का कहना है कि ''यदि कोई नया किसान आम की खेती करना चाहता है तो उसे मल्लिका वैरायटी से ही शुरुआत करनी चाहिए.''

Last Updated : Mar 11, 2024, 8:31 PM IST
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