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महेंद्र भट्ट ने राज्यसभा में उठाया उत्तराखंड वनाग्नि का मुद्दा, फॉरेस्ट फायर को आपदा सूची में शामिल करने की मांग - Forest fire issue in Rajya Sabha

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 9, 2024, 5:14 PM IST

Forest fire issue in Rajya Sabha, Rajya Sabha Member Mahendra Bhatt,Uttarakhand forest fire case राज्यसभा सांसद भट्ट ने सदन में वनाग्नि का मुद्दा उठाया. महेंद्र भट्ट ने कहा तकनीकी दिक्कतों के कारण पीड़ित परिवारों को नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है. उन्होंने राहत सहायता मानक निर्धारित करने की मांग की.

FOREST FIRE ISSUE IN RAJYA SABHA
महेंद्र भट्ट ने राज्यसभा में उठाया उत्तराखंड वनाग्नि का मुद्दा (फोटो क्रेडिट संसद टीवी)

देहरादून: उत्तराखंड राज्यसभा सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने संसद में वनाग्नि का मुद्दा उठाया. राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी. उन्होंने केंद्र सरकार से अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया. साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने के लिए भी मानक भी निर्धारित करने की मांग की.

राज्यसभा में महेंद्र भट्ट ने कहा पिछले कुछ सालो में उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में बहुत वृद्धि हुई है. अक्सर इसके कारण में मानव जनित घटना बताया जाता है, जो किसी भी तरह से उचित नहीं है. उन्होंने कहा जलवायु परिवर्तन के अतिरिक्त पर्वतीय क्षेत्रों में अनेकों कारण हैं जिसके चलते आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. चीड़ के पेड़ से गिरने वाला पीरूल भी इसका बड़ा कारण है. जिस पर सरकार 50 रुपए किलो पिरूल खरीद कर इसे कम करने का प्रयास कर रही है, जिस पर केंद्र से भी सहयोग की अपेक्षा है. उन्होंने राज्य में हुई वनाग्नि की घटनाओं का आंकड़ा प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा सर्वाधिक वन क्षेत्र होने के बावजूद उत्तराखंड में वनाग्नि को दैवीय आपदा में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने अपने प्रस्ताव में सरकार का ध्यान हिमालय राज्यों में बड़े पैमाने पर होने वाली वनाग्नि की घटनाओं की तरफ आकृष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा इन क्षेत्रों के लिए इसे प्राकृतिक आपदा में शामिल किया जाये. उन्होंने बताया राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में वनाग्नि घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है. जिसके कारण प्रभावितों को राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में बेहद कठिनाइयां होती हैं. विशेषकर ग्रीष्म काल में हिमालयी राज्यों में वन अग्नि की घटनाएं बहुत बढ़ जाती हैं. हजारों परिवार वनाग्नि की इन घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं. इन घटनाओं में जन धन हानि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पालतू पशुओं की मृत्यु हो जाती है. अनेकों फलदार वृक्ष भी नष्ट हो जाते हैं, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण इन पीड़ित परिवारों को नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है.

उत्तराखंड में वनाग्नि एक बड़ी समस्या है. हर साल इससे होने वाले नुकसान में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में अगर केंद्र इस आपदा को भी आपदा सूची में जगह देती है तो आने वाले समय में इसका अलग से एक फंड आपदा की तरह ही जारी किया जा सकेगा. महेंद्र भट्ट ने अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया. साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने के लिए भी मानक भी निर्धारित करने की मांग की.

पढे़ं- राज्यसभा जाने के बाद पहली बार सदन में बोले महेंद्र भट्ट, सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों के लिए कहा... - Rajya Sabha MP Mahendra Bhatt

देहरादून: उत्तराखंड राज्यसभा सांसद और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने संसद में वनाग्नि का मुद्दा उठाया. राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी. उन्होंने केंद्र सरकार से अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया. साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने के लिए भी मानक भी निर्धारित करने की मांग की.

राज्यसभा में महेंद्र भट्ट ने कहा पिछले कुछ सालो में उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में बहुत वृद्धि हुई है. अक्सर इसके कारण में मानव जनित घटना बताया जाता है, जो किसी भी तरह से उचित नहीं है. उन्होंने कहा जलवायु परिवर्तन के अतिरिक्त पर्वतीय क्षेत्रों में अनेकों कारण हैं जिसके चलते आग की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. चीड़ के पेड़ से गिरने वाला पीरूल भी इसका बड़ा कारण है. जिस पर सरकार 50 रुपए किलो पिरूल खरीद कर इसे कम करने का प्रयास कर रही है, जिस पर केंद्र से भी सहयोग की अपेक्षा है. उन्होंने राज्य में हुई वनाग्नि की घटनाओं का आंकड़ा प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा सर्वाधिक वन क्षेत्र होने के बावजूद उत्तराखंड में वनाग्नि को दैवीय आपदा में शामिल नहीं किया गया है.

उन्होंने अपने प्रस्ताव में सरकार का ध्यान हिमालय राज्यों में बड़े पैमाने पर होने वाली वनाग्नि की घटनाओं की तरफ आकृष्ट करने की कोशिश की. उन्होंने कहा इन क्षेत्रों के लिए इसे प्राकृतिक आपदा में शामिल किया जाये. उन्होंने बताया राज्य आपदा मोचन निधि के मानकों में वनाग्नि घटनाओं को परिभाषित नहीं किया गया है. जिसके कारण प्रभावितों को राहत सहायता अनुमन्य किए जाने में बेहद कठिनाइयां होती हैं. विशेषकर ग्रीष्म काल में हिमालयी राज्यों में वन अग्नि की घटनाएं बहुत बढ़ जाती हैं. हजारों परिवार वनाग्नि की इन घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हो जाते हैं. इन घटनाओं में जन धन हानि के अतिरिक्त बड़ी संख्या में पालतू पशुओं की मृत्यु हो जाती है. अनेकों फलदार वृक्ष भी नष्ट हो जाते हैं, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण इन पीड़ित परिवारों को नुकसान का उचित मुआवजा नहीं मिल पाता है.

उत्तराखंड में वनाग्नि एक बड़ी समस्या है. हर साल इससे होने वाले नुकसान में भी इजाफा हो रहा है. ऐसे में अगर केंद्र इस आपदा को भी आपदा सूची में जगह देती है तो आने वाले समय में इसका अलग से एक फंड आपदा की तरह ही जारी किया जा सकेगा. महेंद्र भट्ट ने अग्नि से घटित घटनाओं को प्राकृतिक आपदा मानने का अनुरोध किया. साथ ही राहत सहायता अनुमन्य किए जाने के लिए भी मानक भी निर्धारित करने की मांग की.

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