मसूरी: बजट 2025 को लेकर कई लोगों ने नाराजगी जताई, लेकिन सरकार ने कुछ ऐसे फैसले भी लिए हैं, जिन्हें देश के हित में माना जा सकता है. शनिवार को संसद में पेश केंद्रीय बजट पर पहाड़ों की रानी मसूरी में मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है. मसूरी में कांग्रेस ने बजट को निराशाजनक बताया है, तो वहीं, दूसरी ओर, मध्यवर्ग ने आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने पर संतोष व्यक्त किया है. हालांकि लोगों का कहना है कि महंगाई कम होती तो ज्यादा राहत मिलती.
मसूरी के स्थानीय निवासी अजय भार्गव, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, स्थानीय व्यापारी अशोक अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने देशभर में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की घोषणा की है. रेलवे, सड़कें, हवाई अड्डे और जलमार्गों में निवेश से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और देश में व्यापार के लिए बेहतर माहौल बनेगा. इससे न केवल शहरी क्षेत्रों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी विकास होगा, जो आर्थिक रूप से देश को मजबूत बनाएगा. उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया और प्रौद्योगिकी में निवेश बढ़ाने का वादा किया गया है. जिससे देश में तकनीकी विकास होगा और युवा वर्ग के लिए नए रोजगार के अवसर मिलेंगे.शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं में डिजिटल परिवर्तन से प्रशासन को पारदर्शी और सुलभ बनाया जाएग. जिससे देश की कार्यकुशलता बढ़ेगी. स्वास्थ्य क्षेत्र में अधिक बजट आवंटन किया गया है. सरकार ने आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं को और मजबूत करने की योजना बनाई है. जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को सस्ती और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी.
इसके अलावा, अस्पतालों और मेडिकल सुविधाओं में सुधार से स्वास्थ्य संकटों का प्रभावी समाधान मिल सकेगा. सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत रोजगार सृजन की दिशा में कदम उठाए हैं. इन्फ्रास्ट्रक्चर, प्रौद्योगिकी और छोटे उद्योगों में निवेश से कई नए रोजगार पैदा होंगे. इसके अलावा, युवाओं के लिए कौशल विकास पर जोर दिया गया है. जिससे उन्हें बेहतर नौकरी के अवसर मिलेंगे और वे उद्योगों की बदलती जरूरतों के अनुरूप खुद को अपडेट कर सकेंगे. कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा की गई है, जैसे कृषि उत्पादों की कीमतों को स्थिर करना, किसानों को सस्ती ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराना और कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को बढ़ावा देना शामिल है. इससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है और कृषि क्षेत्र में एक स्थिरता आ सकती है. सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा की है. जैसे महिलाओं के लिए विशेष ऋण योजनाएं, शिक्षा में निवेश, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार. महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं बनाई गई हैं, जिससे न केवल समाज में लैंगिक समानता बढ़ेगी, बल्कि आर्थिक रूप से भी महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी.
सरकार ने स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के लिए फंड बढ़ाया है, जिससे शहरी जीवन को और बेहतर और स्मार्ट बनाया जा सकेगा. पर्यावरण संरक्षण के लिए भी विशेष ध्यान दिया गया है. जिसमें सस्टेनेबल और ग्रीन टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाया जाएगा, ताकि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम किया जा सके. सरकार ने कुछ सुधारों की घोषणा की है, जो विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं. इससे देश में पूंजी निवेश बढ़ेगा और उद्योगों के लिए अवसर उत्पन्न होंगे. जिससे विकास दर को बढ़ावा मिलेगा. बजट के सकारात्मक पहलुओं में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार के लिए किए गए उपाय शामिल हैं. हालांकि कुछ वर्गों ने बजट से उम्मीदें पूरी नहीं होने की बात की है, फिर भी कई ऐसे कदम उठाए गए हैं, जो लंबे समय में देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में सहायक हो सकते हैं. अगर सरकार इन योजनाओं को सही ढंग से लागू करती है, तो इसका सकारात्मक असर भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज पर दिख सकता है.
पूर्व पालिकाध्यक्ष मनमोहन सिंह मल्ल, पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला सहित अन्य लोगों ने नाराजगी जाहिर करते हुए बजट के विभिन्न पहलुओं को लेकर आलोचनाएं की हैं. उनका कहना है कि कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया गया है. किसानों की समस्याओं को लेकर सरकार ने कुछ घोषणाएं की हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि असल में उन्हें राहत देने के लिए अधिक ठोस कदम उठाए जाने चाहिए थे.
उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग को टैक्स में ज्यादा राहत नहीं दी गई. टैक्स स्लैब में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गय. जिससे लोगों को अपनी आय के हिसाब से अपेक्षित राहत नहीं मिली. विशेषकर वे लोग जो 12 लाख रुपये से ऊपर कमाते हैं, उन्हें उम्मीद थी कि सरकार उन्हें अधिक टैक्स छूट देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. शहरी इलाकों में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है और लोग उम्मीद कर रहे थे कि सरकार इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाएगी.
हालांकि, बजट में रोजगार सृजन के लिए कोई विशेष योजना का जिक्र नहीं किया गया है. जिससे युवाओं और नौकरी की तलाश में लगे लोगों में नाराजगी बढ़ी. बजट में महंगाई को काबू में करने के लिए कोई महत्वपूर्ण कदम नहीं उठाए गए. खाद्य वस्तुओं और अन्य रोजमर्रा की चीजों की कीमतें पहले ही बढ़ चुकी हैं और लोग उम्मीद कर रहे थे कि बजट में इनकी कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कुछ ठोस उपाय किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बजट में आर्थिक असमानता को कम करने के लिए कोई प्रभावी योजनाएं नहीं दी गईं. गरीब और मिडिल क्लास के लिए अधिक सहायता की आवश्यकता है, लेकिन बजट में इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया.
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