बीकानेर. महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि पर इस बार कई दुर्लभयोग का निर्माण भी हो रहा है. महाशिवरात्रि के दिन सूर्य, चंद्रमा, बुध और शनि का विशेष चतुर्ग्रही योग बन रहा है. यह योग सफलता और समृद्धि का प्रतीक है. महाशिवरात्रि के दिन शिव योग का संयोग भी बनेगा. इस योग की जाने वाली पूजा अर्चना से मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं. इस योग में किए गए कार्य और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है. ज्योतिर्विद कपिल जोशी ने बताया कि इस बार श्रवण नक्षत्र एवं परिध योग का भी संयोग है.
मंगल होंगे मार्गी होंगे, परिवर्तन रहेगा लाभदायक : ग्रहों के सेनापति मंगल 24 फरवरी को सुबह 7.30 बजे मिथुन राशि में मार्गी हो जाएंगे. उनकी चाल सीधी गति हो जाएगी. बुध प्रधान राशि में उनके मार्गी होने का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा. महाशिवरात्रि से पहले यह परिवर्तन फायदेमंद साबित होने वाला है. इसके बाद मंगल 25 अप्रैल की रात 1.29 बजे कर्क राशि में प्रवेश कर नीच के हो जाएंगे. मन्नासा बताया कि बुधवार को शिव रात्रि पर शनि से युक्त चतुर्ग्रही योग महादेव की आराधना के लिए श्रेष्ठ रहेगा.
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चार प्रहर की पूजा : भगवान शिव की महाशिवरात्रि को पूजा की विधि होती है. महाशिवरात्रि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए चार प्रहर में पूजा की जाती है. पूजा के प्रत्येक प्रहर में दूध, दही, मधु, चीनी से भगवान शिव का अलग-अलग अभिषेक किया जाना चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और शिव परिवार का रात्रि पर्यंत अभिषेक करना चाहिए. रात्रि के समय जागरण करके व्रत रखना चाहिए. इस दिन ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए. चार प्रहर की पूजा में प्रत्येक प्रसाद में खीर, मालपुआ, गुलाब जामुन, रेवड़ी, ऋतु फल चढ़ाकर शिव परिवार को प्रसन्न करना चाहिए. इस दिन भगवान विशेष श्रृंगार किया जाता है.