प्रयागराज : महाकुंभ के तीसरे प्रमुख स्नान पर्व बसंत पंचमी पर सोमवार को पुण्य की डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. सुबह से ही श्रद्धालु संगम सहित गंगा के विभिन्न घाटों पर उमड़ पड़े. इससे पहले सभी 13 अखाड़ों ने शाही स्नान कर लिया.
अखाड़ों के मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, नागा संन्यासी अपने-अपने रथों पर सवार होकर संगम पहुंचे और आस्था की डुबकी लगाई. सबसे पहले महानिर्वाणी, शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने अमृत स्नान किया. फिर तपोनिधि पंचायती श्री निरंजनी अखाड़ा और पंचायती अखाड़ा आनंद, उसके बाद पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री दशनाम आवाहन अखाड़ा, पंच अग्नि अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़े ने डुबकी लगाई. कुछ ही अखाड़ों का स्नान शेष है.
वहीं श्रद्धालु भी आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. श्रद्धालुओं ने कहा कि अच्छी व्यवस्था है. मौनी अमावस्या पर हुई भगदड़ के बाद भी जरा भय नहीं है. लगता था कि दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन यहां आकर कोई दिक्कत नहीं हुई.
92 साल के गुरु को कंधे पर लादकर पहुंचा अमृत स्नान करवाने: सनातन धर्म में हमेशा से माता-पिता और गुरु को उच्च स्थान दिया गया है. गुरु को ईश्वर से पहले पूजने के लिए कहा जाता है. कुंभ हरियाणा के बबलू राजपूत 92 वर्ष के अपने गुरु हरि शरण दुबे को अपने कंधे पर लेकर पहुंचे हैं. बबलू ने कहा कि हमारे गुरु की इच्छा थी कि वह महाकुंभ में पहुंचकर स्नान करें. वह चल नहीं सकते, बहुत ज्यादा वृद्धि हैं. इसलिए उन्हें मैं अपने कंधों पर उठाकर लाया हूं. इससे बड़ा पुण्य मेरे लिए क्या होगा कि शाही स्नान मेरे गुरु के साथ हुआ.