भोपाल: एमपी अजब तो पहले से है लेकिन अब सबसे गजब भी हो रहा है, क्योंकि हिंदुस्तान का दिल एमपी अब गजब रिकॉर्ड बना रहा है. मध्य प्रदेश की पहचान अब रिकॉर्ड वाले एमपी के तौर पर होने जा रही है और एमपी में नई मोहन सरकार इन्हीं रिकॉर्ड के साथ एमपी की नए सिरे से ब्रांडिंग भी करने जा रही है. ये इत्तेफाक की बात है कि पिछले आठ महीने में एक के बाद एमपी में अलग-अलग वजहों से मध्य प्रदेश का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ और एमपी बन गया रिकार्डों में भी रिकॉर्ड बनाने वाला एमपी.
अब रिकॉर्ड वाला एमपी है मध्य प्रदेश
एमपी को अभी तक उसके भूगोल से ही जाना जाता रहा है. हिंदुस्तान के दिल में होने की वजह से इसकी पहचान भी भौगोलिक ही रही और एमपी को हिंदुस्तान का दिल कहा गया. लेकिन अब एमपी को रिकॉर्ड वाले एमपी की नई पहचान दी जा रही है और एमपी में डॉ मोहन यादव सरकार ने उस तरह से एमपी की ब्रांडिंग भी शुरु कर दी है.
वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया इस मामले में कहते हैं, "ये सही है कि मध्यप्रदेश की शिनाख्त अब तक उसके भूगोल से ही होती रही है. लेकिन ये जरुरी है कि उसकी पहचान दूसरी वजह से भी हो. रिकार्डों वाला मध्य प्रदेश भी एक उपलब्धि है, लेकिन मध्य प्रदेश को ये रिकॉर्ड कला, संस्कृति और पर्यावरण से अलग बाकी क्षेत्रों में भी बनाने चाहिए, तब सार्थकता है एमपी को रिकॉर्ड वाला मध्य प्रदेश कहने में."
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रिकॉर्ड वाला एमपी कैसे बना मध्य प्रदेश
एमपी कैसे बना रिकॉर्ड वाला एमपी. वो कौन से पांच रिकार्ड हैं जिनके जरिए एमपी की ब्रांडिग रिकार्ड वाले एमपी के तौर पर हो रही है. इसमें पहला है उज्जैन में 1500 डमरू के निनाद के साथ भस्म आरती का आयोजन. जो अपने आप में विश्व रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज हुआ. दूसरा रिकॉर्ड इंदौर में बना एक दिन में 11 लाख पौधे लगाने का रिकॉर्ड भी विश्व रिकार्ड था. इसी तरह तीसरा रिकॉर्ड खजुराहो में 1500 कथक कलाकारों की प्रस्तुति का विश्व रिकार्ड और चौथा रिकॉर्ड ग्वालियर में बना जब 1200 से ज्यादा तबला वादकों ने एक साथ तबला वादन किया.