लखनऊ: बनर सिंह कला महाराजगंज (देवदह) में उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग की ओर से की गई खोदाई में पुरातत्व विभाग को भगवान बुद्ध के समय काल से जुड़े अवशेष मिले हैं. पुरातत्व विभाग द्वारा इस क्षेत्र के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए बीते कुछ महीनो से यहां पर अवशेषों को खोजने के लिए इस गांव में स्थित तिलों की खोदाई की जा रही थी.
अभियान के दौरान पुरातत्व विभाग को कई ऐसे आर्टीफैक्ट्स और भगवान बुद्ध के समय काल से जुड़ी चीजें मिली हैं, जिससे यह प्रमाणित हो रहा है कि यह सभी चीजें उनके समय काल की हैं. खोदाई में मिली चीजों को दुनिया के सामने लाने के लिए और इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए पर्यटन विभाग ने भी यहां पर अब एक म्यूजियम के साथ ही इको टूरिज्म और धार्मिक महत्व को बढ़ावा देने का काम शुरू कर दिया है.
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मिश्रा ने बताया कि बीते दिनों महाराजगंज में हुए पुरातत्व खोज के दौरान यहां पर कई ऐतिहासिक चीजें मिली हैं. ऐसे में विभाग इस पूरे क्षेत्र का विकास कर इसे एक नए टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित करने की प्लानिंग कर रहा है. भगवान बुद्ध के समय की चीजें मिलने से इस क्षेत्र का धार्मिक महत्व बढ़ा है. साथ ही यहां पर सोहगीबरवा सेंचुरी होने के करण जंगल सफारी और इको टूरिज्म को भी बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी.
प्रमुख सचिव पर्यटन ने बताया कि बनर सिंह कला गांव में मौजूद टीलों का उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले में देवदह एक गांव है. जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में आता है. इतिहास में इसका संदर्भ आता है. गौतम बुद्ध की माता का यह मायका था. एक तरह से यह गौतम बुद्ध का ननिहाल था. लेकिन वहां बहुत सारी मान्यताएं होने के बावजूद यह जगह अच्छी तरह से पर्यटन एवं संस्कृति के नक्शे पर नहीं ला पाए थे.
टीलों की खोदाई में बहुत सारी पुरातत्व महत्व की वस्तुएं प्राप्त हुई हैं. राज्य पुरातत्व के द्वारा अभी खोदाई जारी है, हमें उम्मीद है कि हम ऐतिहासिक तौर पर स्थापित करने में सफल हो जाएंगे कि उसका कितना महत्वपूर्ण और एक प्रचलित इतिहास है. इसके साथ ही वहीं पास में सोहगीबरवा सेंचुरी लगा हुआ है. तो इको टूरिज्म का भी स्कोप है और एक रिलिजन टूरिज्म का भी स्कोप है.
इस क्षेत्र को उसी के ध्यान में रखकर विकसित किया जाएगा. इसी के साथ ही हम यहां पर एक साइट म्यूजियम भी स्थापित करेंगे, जिससे खोदाई में मिले अवशेषों को आम लोगों और पर्यटकों के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा. प्रमुख सचिव पर्यटन ने बताया कि प्राचीन बौद्ध साहित्य और चीनी यात्रियों फाहियान व ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में देवदह क्षेत्र में भगवान बुद्ध के जीवन यात्रा के संदर्भों में एक महत्वपूर्ण जगह के रूप में बताया है.
यह भूमि बौद्धकाल में यहां भगवान बुद्ध की माता महामाया, मौसी महाप्रजापति गौतमी और पत्नी यशोधरा की जन्मभूमि के रूप में जानी जाती थी. इसके आधार पर यहां की पूरी भूमि को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित करने का निर्णय लिया था. देवदह, जिसे आजकल बनर सिंह कला के नाम से जाना जाता है, भगवान बुद्ध के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं में से एक है. बनर सिंह कला क्षेत्र में लगभग 35 हेक्टेयर क्षेत्र पर कई टीले और तालाब हैं. यहां की सुंदर प्राकृतिक छटा काफी सुंदर है. इसके साथ ही, यहां एक प्राचीन शिवलिंग और भगवान बुद्ध की एक चतुर्भुजाकार मूर्ति भी है.