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भाजपा के अजेय गढ़ बीकानेर में क्या गोविंद रोक सकेंगे अर्जुन का रथ ? - rajasthan Lok sabha election 2024

bikaner constituency , पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में जिले की 7 विधानसभा सीटों के अलावा नए बने अनूपगढ़ जिले की अनूपगढ़ विधानसभा सीट भी शामिल है. 8 विधानसभा सीटों से बने इस संसदीय क्षेत्र के कई दिलचस्प आंकड़े हैं. वहीं, पिछले चार चुनावों की बात करें तो ये सीट भाजपा के लिए जयगढ़ बन गई है. इस रिपोर्ट में जानिए विस्तार से इस सीट के सियासी समीकरण और राजनीतिक इतिहास. बीकानेर लोकसभा सीट पर मतदान 19 अप्रैल को है. बीकानेर लोकसभा सीट की मतगणना 4 जून को होगी.

BIKANER LOKSABHA ELECTION
LOKSABHA ELECTION 2024
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 3, 2024, 11:56 AM IST

Updated : Apr 18, 2024, 3:54 PM IST

बीकानेर. नमकीन के तीखेपन और रसगुल्लों की मिठास के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर का सियासी जायका भी हमेशा से सुर्खियों में रहा है. देश में पहली बार हुए आम चुनाव से लेकर 2019 तक के आम चुनाव तक कभी भी ऐसी स्थिति नहीं रही, जब बीकानेर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही हो. पहली बार हुए आम चुनाव से लेकर लगातार पांच बार इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा डॉ. करणी सिंह जीतते रहे हैं. आज भी इस सीट पर सर्वाधिक जीत का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम पर है.

पहली बार जनता पार्टी ने खोला खाता : पहले आम चुनाव से लेकर 2014 तक देश में सर्वाधिक शासन कांग्रेस का रहा लेकिन बीकानेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को पहली बार जीत का स्वाद आजादी के 33 साल बाद 1980 के चुनाव में चखने को मिला. 1980 और 1984 की चुनाव में लगातार दो बार कांग्रेस यहां से चुनाव जीती.

भाजपा के रिकॉर्ड को नहीं छू पाई कांग्रेस : वैसे तो देश में ऐसी कई लोकसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस लगातार जीतती रही है, लेकिन बीकानेर लोकसभा सीट उन सीटों में शामिल है जहां ज्यादा जीत बीजेपी के नाम है. 2004 से 2019 तक लगातार चार बार भाजपा यहां से जीत हासिल कर चुकी है. 2004 में फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र ने जीत का जो खाता खोला था, वह परिसीमन के बाद 2009 से 2019 तक भी लगातार जारी है. इन तीन चुनावों में अर्जुन राम मेघवाल यहां से जीतते आ रहे हैं. इस बार चौथी बार अर्जुन राम मेघवाल को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के मुकाबले यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में कही जा सकती है.

इसे भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में सबसे कम और ज्यादा उम्र के उम्मीदवार कांग्रेस से, भाजपा प्रत्याशियों की औसत उम्र ज्यादा - Lok sabha Election 2024

माकपा के नाम भी है एक जीत का रिकॉर्ड : साल 1989 के चुनाव में माकपा ने यहां से जीत हासिल की थी. उस वक्त माकपा ने कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बड़े दलों को शिकस्त दी थी. बीकानेर लोकसभा सीट पर पहली बार वामपंथी विचारधारा से कोई सांसद चुना गया. इन चुनाव में माकपा के श्योपत सिंह मक्कासर ने जीत हासिल की थी.

भाटी ने खिलाया पहली बार कमल : देश में बदलाव के दौर में साल 1996 के चुनाव में पहली बार युवा सांसद के तौर पर दिवंगत महेंद्र सिंह भाटी ने बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में जीत हासिल कर बड़ा उलट किया था. उन्होंने पहली बार बीकानेर लोक सभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाया था. हालांकि साल 1998 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ को कांग्रेस ने इस सीट से चुनाव लड़ाया. इस तरह उन्होंने वापस कांग्रेस के पाले में यह सीट डाल दी. 1999 में 13 महीने बाद फिर से हुए चुनाव में कांग्रेस ने यहां नए चेहरे के तौर पर बीकानेर की नोखा पंचायत समिति के प्रधान रहे रामेश्वर डूडी को मैदान में उतारा. डूडी यहां से चुनाव जीत संसद में पहुंचे, लेकिन इस चुनाव के बाद कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत फिर कभी नसीब नहीं हुई.

इसे भी पढ़ें- पहले चयन में बवाल और अब उम्मीदवार ही उठा रहे सवाल, आखिर क्या है कांग्रेस प्रत्याशियों की रणनीति ? - LOK SABHA ELECTION 2024

2004 से भाजपा का कब्जा : 2004 में एक बार फिर भाजपा ने इस सीट पर कब्जा करने के लिए बाहरी प्रत्याशी के तौर पर फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र को यहां से चुनाव लड़वाया. इस चुनाव में धर्मेंद्र के प्रचार में उनके पुत्र सनी देओल व बॉबी देओल भी रोड शो करते नजर आए. इस चुनाव में धर्मेंद्र ने रामेश्वर डूडी को कड़े मुकाबले में हराया. 2009 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट आरक्षित सीट बन गई. 2009 के चुनाव में बीकानेर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई, तब भाजपा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अर्जुन राम मेघवाल को यहां से मैदान में उतारा. तब से लगातार तीन बार अर्जुन राम यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी भाजपा ने अर्जुनराम मेघवाल को चौथी बार मैदान में उतारा है.

ग्रामीण मतदाताओं का प्रभाव : बीकानेर लोकसभा सीट क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं. इनमें बीकानेर शहर की दो सीटों को छोड़ दें तो शेष 6 सीटें ग्रामीण सीटें हैं. यहां ग्रामीण मतदाताओं का प्रभाव ज्यादा है और वो चुनाव में निर्णायक भी है. करीब 20 लाख मतदाताओं वाली यह इस लोकसभा सीट पर करीब 4 लाख से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. इस सीट पर करीब 11 लाख पुरुष और करीब 9.67 लाख महिला मतदाता है.

इसे भी पढ़ें- पूर्व मंत्री परसादी का खुलासा - मुरारीलाल मना करते रहे, फिर भी उन्हें टिकट दिया - lok sabha election 2024

इस बार गोविंद दे रहे अर्जुन को टक्कर : पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस ने हर बार अर्जुन मेघवाल से मुकाबले के लिए अपना प्रत्याशी बदला लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बार कांग्रेस ने चौथी बार अपना चेहरा बदला है. पार्टी ने पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल को मैदान में उतारा है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर दोनों ही प्रत्याशी अपना पूरा दमखम लगा रहे हैं. एक और जहां अर्जुन मेघवाल मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो वहीं दूसरी और गोविंद मेघवाल पिछले 15 सालों में अर्जुन मेघवाल की ओर से किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं करवाने का आरोप लगाते हुए जनता के बीच जा रहे हैं.

विधानसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी : करीब 4 महीने पहले प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीकानेर लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. बीकानेर शहर की दो विधानसभा सीट पूर्व और पश्चिम, कोलायत, श्रीडूंगरगढ़, खाजूवाला, लूणकरणसर पर भाजपा चुनाव जीती तो वहीं नोखा और अनूपगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. लेकिन, यह भी माना जाना चाहिए कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अलग-अलग मुद्दें होते हैं. जनता का मानस भी अलग-अलग होता है. ऐसे में दोनों दलों में टक्कर की बात कही जा सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोटों में हुए बिखराव को वापस कांग्रेस के खेमे में मिलाने के लिए लगातार गोविंद मेघवाल प्रयास कर रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि चौथी बार अर्जुन के रथ को रोकने में गोविंद कितना सफल हो पाते हैं या फिर एक बार फिर मोदी के नाम पर वोट मांग रहे अर्जुन अपनी चुनावी नैया को पार लगा पाते हैं या नहीं. फिलहाल दोनों ही प्रत्याशी और पार्टियां अपना पूरा दमखम लगाती हुई नजर आ रही है.

बीकानेर. नमकीन के तीखेपन और रसगुल्लों की मिठास के लिए पूरी दुनिया में मशहूर बीकानेर का सियासी जायका भी हमेशा से सुर्खियों में रहा है. देश में पहली बार हुए आम चुनाव से लेकर 2019 तक के आम चुनाव तक कभी भी ऐसी स्थिति नहीं रही, जब बीकानेर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रही हो. पहली बार हुए आम चुनाव से लेकर लगातार पांच बार इस सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर बीकानेर रियासत के पूर्व महाराजा डॉ. करणी सिंह जीतते रहे हैं. आज भी इस सीट पर सर्वाधिक जीत का रिकॉर्ड उन्हीं के नाम पर है.

पहली बार जनता पार्टी ने खोला खाता : पहले आम चुनाव से लेकर 2014 तक देश में सर्वाधिक शासन कांग्रेस का रहा लेकिन बीकानेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को पहली बार जीत का स्वाद आजादी के 33 साल बाद 1980 के चुनाव में चखने को मिला. 1980 और 1984 की चुनाव में लगातार दो बार कांग्रेस यहां से चुनाव जीती.

भाजपा के रिकॉर्ड को नहीं छू पाई कांग्रेस : वैसे तो देश में ऐसी कई लोकसभा सीटें हैं, जहां कांग्रेस लगातार जीतती रही है, लेकिन बीकानेर लोकसभा सीट उन सीटों में शामिल है जहां ज्यादा जीत बीजेपी के नाम है. 2004 से 2019 तक लगातार चार बार भाजपा यहां से जीत हासिल कर चुकी है. 2004 में फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र ने जीत का जो खाता खोला था, वह परिसीमन के बाद 2009 से 2019 तक भी लगातार जारी है. इन तीन चुनावों में अर्जुन राम मेघवाल यहां से जीतते आ रहे हैं. इस बार चौथी बार अर्जुन राम मेघवाल को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस के मुकाबले यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में कही जा सकती है.

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माकपा के नाम भी है एक जीत का रिकॉर्ड : साल 1989 के चुनाव में माकपा ने यहां से जीत हासिल की थी. उस वक्त माकपा ने कांग्रेस और भाजपा दोनों ही बड़े दलों को शिकस्त दी थी. बीकानेर लोकसभा सीट पर पहली बार वामपंथी विचारधारा से कोई सांसद चुना गया. इन चुनाव में माकपा के श्योपत सिंह मक्कासर ने जीत हासिल की थी.

भाटी ने खिलाया पहली बार कमल : देश में बदलाव के दौर में साल 1996 के चुनाव में पहली बार युवा सांसद के तौर पर दिवंगत महेंद्र सिंह भाटी ने बीकानेर लोकसभा क्षेत्र में जीत हासिल कर बड़ा उलट किया था. उन्होंने पहली बार बीकानेर लोक सभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाया था. हालांकि साल 1998 के चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष बलराम जाखड़ को कांग्रेस ने इस सीट से चुनाव लड़ाया. इस तरह उन्होंने वापस कांग्रेस के पाले में यह सीट डाल दी. 1999 में 13 महीने बाद फिर से हुए चुनाव में कांग्रेस ने यहां नए चेहरे के तौर पर बीकानेर की नोखा पंचायत समिति के प्रधान रहे रामेश्वर डूडी को मैदान में उतारा. डूडी यहां से चुनाव जीत संसद में पहुंचे, लेकिन इस चुनाव के बाद कांग्रेस के लिए इस सीट पर जीत फिर कभी नसीब नहीं हुई.

इसे भी पढ़ें- पहले चयन में बवाल और अब उम्मीदवार ही उठा रहे सवाल, आखिर क्या है कांग्रेस प्रत्याशियों की रणनीति ? - LOK SABHA ELECTION 2024

2004 से भाजपा का कब्जा : 2004 में एक बार फिर भाजपा ने इस सीट पर कब्जा करने के लिए बाहरी प्रत्याशी के तौर पर फिल्म अभिनेता धर्मेंद्र को यहां से चुनाव लड़वाया. इस चुनाव में धर्मेंद्र के प्रचार में उनके पुत्र सनी देओल व बॉबी देओल भी रोड शो करते नजर आए. इस चुनाव में धर्मेंद्र ने रामेश्वर डूडी को कड़े मुकाबले में हराया. 2009 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट आरक्षित सीट बन गई. 2009 के चुनाव में बीकानेर लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई, तब भाजपा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अर्जुन राम मेघवाल को यहां से मैदान में उतारा. तब से लगातार तीन बार अर्जुन राम यहां से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इस बार भी भाजपा ने अर्जुनराम मेघवाल को चौथी बार मैदान में उतारा है.

ग्रामीण मतदाताओं का प्रभाव : बीकानेर लोकसभा सीट क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें हैं. इनमें बीकानेर शहर की दो सीटों को छोड़ दें तो शेष 6 सीटें ग्रामीण सीटें हैं. यहां ग्रामीण मतदाताओं का प्रभाव ज्यादा है और वो चुनाव में निर्णायक भी है. करीब 20 लाख मतदाताओं वाली यह इस लोकसभा सीट पर करीब 4 लाख से ज्यादा अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. इस सीट पर करीब 11 लाख पुरुष और करीब 9.67 लाख महिला मतदाता है.

इसे भी पढ़ें- पूर्व मंत्री परसादी का खुलासा - मुरारीलाल मना करते रहे, फिर भी उन्हें टिकट दिया - lok sabha election 2024

इस बार गोविंद दे रहे अर्जुन को टक्कर : पिछले तीन चुनावों में कांग्रेस ने हर बार अर्जुन मेघवाल से मुकाबले के लिए अपना प्रत्याशी बदला लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बार कांग्रेस ने चौथी बार अपना चेहरा बदला है. पार्टी ने पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल को मैदान में उतारा है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर दोनों ही प्रत्याशी अपना पूरा दमखम लगा रहे हैं. एक और जहां अर्जुन मेघवाल मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं तो वहीं दूसरी और गोविंद मेघवाल पिछले 15 सालों में अर्जुन मेघवाल की ओर से किसी भी तरह का विकास कार्य नहीं करवाने का आरोप लगाते हुए जनता के बीच जा रहे हैं.

विधानसभा चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी : करीब 4 महीने पहले प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो बीकानेर लोकसभा क्षेत्र की 8 में से 6 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी. बीकानेर शहर की दो विधानसभा सीट पूर्व और पश्चिम, कोलायत, श्रीडूंगरगढ़, खाजूवाला, लूणकरणसर पर भाजपा चुनाव जीती तो वहीं नोखा और अनूपगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. लेकिन, यह भी माना जाना चाहिए कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के अलग-अलग मुद्दें होते हैं. जनता का मानस भी अलग-अलग होता है. ऐसे में दोनों दलों में टक्कर की बात कही जा सकती है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोटों में हुए बिखराव को वापस कांग्रेस के खेमे में मिलाने के लिए लगातार गोविंद मेघवाल प्रयास कर रहे हैं. अब देखने वाली बात है कि चौथी बार अर्जुन के रथ को रोकने में गोविंद कितना सफल हो पाते हैं या फिर एक बार फिर मोदी के नाम पर वोट मांग रहे अर्जुन अपनी चुनावी नैया को पार लगा पाते हैं या नहीं. फिलहाल दोनों ही प्रत्याशी और पार्टियां अपना पूरा दमखम लगाती हुई नजर आ रही है.

Last Updated : Apr 18, 2024, 3:54 PM IST
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