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युवा चेहरों की तिकड़ी ने उड़ाई भाजपा की नींद, इन सीटों पर दे रहे हैं कड़ी टक्कर - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

Youth Challenge for BJP, राजस्थान लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सभी 25 सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है, तो कांग्रेस भाजपा के मिशन को नाकामयाब करने के लिए गठबंधन के साथ मैदान पर है. इन सब सूरत-ए-हाल के बीच कुछ युवा चेहरे भाजपा के मिशन की राह में रोड़ा बनकर खड़े नजर आ रहे हैं, जिनकी चर्चा प्रदेश और राज्य से बाहर भी होने लगी है.

Youth Challenge for BJP
भाजपा को युवा चुनौती...
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 16, 2024, 9:11 PM IST

जयपुर. राजस्थान में 19 और 26 अप्रैल को दो चरणों में सांसद प्रत्याशी के चुनाव के लिए मतदान होगा 25 सीटों पर जहां लगातार तीसरी बार भाजपा जीतने की जुगत लगा रही है. वहीं, विपक्ष भाजपा के मिशन को रोकने में जुटा हुआ है. भाजपा के लिए पश्चिमी राजस्थान की जैसलमेर-बाड़मेर सीट परेशानी का सबब बनी हुई है. शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी इस सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुके हैं.

भाटी चुनाव से पहले भाजपा के संपर्क में रहे और भाजपा से टिकट हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. लिहाजा विधानसभा चुनाव की राह पर चलते हुए उन्होंने इस बार भी बगावत का रुख अख्तियार करते हुए निर्दलीय ताल ठोक दी. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए भाटी चुनौती बनकर सामने आए हैं. 26 साल के रविंद्र भाटी को यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद का बागी बनना पड़ा.

पढ़ें : ज्योति मिर्धा के बाद अब शुभकरण चौधरी को समर्थन, राजाराम मील बोले- बेनीवाल करता है बकवास - Lok Sabha Election 2024

विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी के रूप में उतरे और एक बार फिर भाजपा से बगावत करते हुए दिख रहे हैं. भाटी की रैलियों में दिखने वाली भीड़ इस बात का इशारा है कि इस चुनाव में उनको नजर अंदाज करना आसान नहीं होगा. खास तौर पर केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के लिए भाटी का खड़ा होना भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी जैसा होगा. हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम के लिए भी भाटी अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. ऐसी हालत में उन्हें किसी भी लिहाज से काम नहीं आंका जा रहा है. सही रहेगी प्रधानमंत्री इस लोकसभा क्षेत्र में एक रैली कर चुके हैं और दूसरी रैली भी प्रस्तावित है. इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा के लिए वह कितनी बड़ी चुनौती हैं.

वागड़ में मुश्किल है डगर : राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में यूं तो मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस के गठबंधन की राह से बाहर होने के बाद यहां कांग्रेस का प्रत्याशी ही उनके लिए चुनौती बना हुआ है. पार्टी के फरमान के बावजूद अरविंद डामोर ने नाम वापस नहीं लिया. पर यहां असली मुकाबला भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत और भारतीय जनता पार्टी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय के बीच में है.

पढ़ें : सोशल मीडिया पर छाया बाड़मेर-जैसलमेर सीट, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस, चर्चा में आया 26 साल का युवा - Lok Sabha Election 2024

31 साल के राजकुमार सबसे कम उम्र के विधायक बने और अब लोकसभा प्रत्याशी के रूप में भाजपा की राह में चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं. दो बार विधायक चुने जा चुके हैं. उनके नामांकन रैली में बागड़ के आदिवासियों की भीड़ में 25 सीटों पर जीत का सपना देख रही भाजपा की नींद उड़ा दी. लिहाजा, दूसरे चरण के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री इस लोकसभा क्षेत्र में भी रैली करते हुए अपना मैजिक चलाने की कोशिश करेंगे. आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर में बाप ने दो और बांसवाड़ा में एक सीट पर जीत हासिल की थी. ऐसे में इन चुनावों में भी आदिवासी पार्टी के मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है.

युवा महिला भी बन गई है चुनौती : भरतपुर संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस की प्रत्याशी संजना जाटव भी भाजपा की राह में चुनौती बनकर खड़ी हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में इस युवा प्रत्याशी को अलवर की कठूमर सीट से महज 409 वोट से शिकस्त मिली थी. ऐसे में साफ है कि भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली के लिए यहां राह आसान नहीं होने वाली है. एलएलबी पढ़ी हुई संजना जाटव जिला परिषद की सदस्य भी हैं. वे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान के जरिए प्रियंका गांधी के संपर्क में आईं और फिर पार्टी की च्वॉइस बन गई. संजना 25 साल की हैं और उनकी स्थिति पूर्वी राजस्थान में काफी मजबूत बताई जा रही है. ऐसे में अगर वह जीत जाती है तो राजस्थान में सबसे युवा संसद के रूप में सचिन पायलट का रिकॉर्ड भी तोड़ देंगी.

जयपुर. राजस्थान में 19 और 26 अप्रैल को दो चरणों में सांसद प्रत्याशी के चुनाव के लिए मतदान होगा 25 सीटों पर जहां लगातार तीसरी बार भाजपा जीतने की जुगत लगा रही है. वहीं, विपक्ष भाजपा के मिशन को रोकने में जुटा हुआ है. भाजपा के लिए पश्चिमी राजस्थान की जैसलमेर-बाड़मेर सीट परेशानी का सबब बनी हुई है. शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी इस सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बना चुके हैं.

भाटी चुनाव से पहले भाजपा के संपर्क में रहे और भाजपा से टिकट हासिल करने की कोशिश की, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली. लिहाजा विधानसभा चुनाव की राह पर चलते हुए उन्होंने इस बार भी बगावत का रुख अख्तियार करते हुए निर्दलीय ताल ठोक दी. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के लिए भाटी चुनौती बनकर सामने आए हैं. 26 साल के रविंद्र भाटी को यूनिवर्सिटी में विद्यार्थी परिषद का बागी बनना पड़ा.

पढ़ें : ज्योति मिर्धा के बाद अब शुभकरण चौधरी को समर्थन, राजाराम मील बोले- बेनीवाल करता है बकवास - Lok Sabha Election 2024

विधानसभा चुनाव में भाजपा के बागी के रूप में उतरे और एक बार फिर भाजपा से बगावत करते हुए दिख रहे हैं. भाटी की रैलियों में दिखने वाली भीड़ इस बात का इशारा है कि इस चुनाव में उनको नजर अंदाज करना आसान नहीं होगा. खास तौर पर केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के लिए भाटी का खड़ा होना भाजपा के परंपरागत वोट बैंक में सेंधमारी जैसा होगा. हालांकि, कांग्रेस प्रत्याशी उम्मेदाराम के लिए भी भाटी अल्पसंख्यक वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं. ऐसी हालत में उन्हें किसी भी लिहाज से काम नहीं आंका जा रहा है. सही रहेगी प्रधानमंत्री इस लोकसभा क्षेत्र में एक रैली कर चुके हैं और दूसरी रैली भी प्रस्तावित है. इस बात से समझा जा सकता है कि भाजपा के लिए वह कितनी बड़ी चुनौती हैं.

वागड़ में मुश्किल है डगर : राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में यूं तो मुकाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, लेकिन कांग्रेस के गठबंधन की राह से बाहर होने के बाद यहां कांग्रेस का प्रत्याशी ही उनके लिए चुनौती बना हुआ है. पार्टी के फरमान के बावजूद अरविंद डामोर ने नाम वापस नहीं लिया. पर यहां असली मुकाबला भारतीय आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत और भारतीय जनता पार्टी के महेंद्रजीत सिंह मालवीय के बीच में है.

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31 साल के राजकुमार सबसे कम उम्र के विधायक बने और अब लोकसभा प्रत्याशी के रूप में भाजपा की राह में चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं. दो बार विधायक चुने जा चुके हैं. उनके नामांकन रैली में बागड़ के आदिवासियों की भीड़ में 25 सीटों पर जीत का सपना देख रही भाजपा की नींद उड़ा दी. लिहाजा, दूसरे चरण के चुनाव से पहले प्रधानमंत्री इस लोकसभा क्षेत्र में भी रैली करते हुए अपना मैजिक चलाने की कोशिश करेंगे. आदिवासी बाहुल्य डूंगरपुर में बाप ने दो और बांसवाड़ा में एक सीट पर जीत हासिल की थी. ऐसे में इन चुनावों में भी आदिवासी पार्टी के मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है.

युवा महिला भी बन गई है चुनौती : भरतपुर संसदीय क्षेत्र पर कांग्रेस की प्रत्याशी संजना जाटव भी भाजपा की राह में चुनौती बनकर खड़ी हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में इस युवा प्रत्याशी को अलवर की कठूमर सीट से महज 409 वोट से शिकस्त मिली थी. ऐसे में साफ है कि भाजपा प्रत्याशी रामस्वरूप कोली के लिए यहां राह आसान नहीं होने वाली है. एलएलबी पढ़ी हुई संजना जाटव जिला परिषद की सदस्य भी हैं. वे 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' अभियान के जरिए प्रियंका गांधी के संपर्क में आईं और फिर पार्टी की च्वॉइस बन गई. संजना 25 साल की हैं और उनकी स्थिति पूर्वी राजस्थान में काफी मजबूत बताई जा रही है. ऐसे में अगर वह जीत जाती है तो राजस्थान में सबसे युवा संसद के रूप में सचिन पायलट का रिकॉर्ड भी तोड़ देंगी.

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