नवादाः लोकसभा के पहले चरण में 19 अप्रैल को होनेवाली वोटिंग के लिए प्रचार का शोर थम गया है. बिहार की जिन 4 सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है उनमें नवादा बेहद ही खास है, क्योंकि इस सीट पर एनडीए और महागठबंधन में सीधी टक्कर की बजाय मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है. आरजेडी से बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े विनोद यादव ने मुकाबले को बेहद ही दिलचस्प बना दिया है.
जातीय समीकरण तय करेंगे परिणामः नवादा लोकसभा का चुनाव परिणाम में यहां के जातीय समीकरण की सबसे अहम भूमिका होती है. यहां घर का बेटा और बाहरी बेटा ,विकास और विश्वास के मुद्दे सब पीछे छूट जाते हैं. तभी तो इस बार भी "नहीं चाहिए बाहरी दूत हमें चाहिए घर का पूत" नारे के बावजूद नवादा से NDA ने बाहरी ही सही भूमिहार समाज पर ही भरोसा जताया है.
NDA का विवेक ठाकुर पर दांवः NDA ने यहां से विवेक ठाकुर को अपना कैंडिडेट बनाया है. विवेक ठाकुर बीजेपी के दिग्गज नेता डॉ. सी.पी. ठाकुर के पुत्र हैं और राज्यसभा के सांसद भी हैं . NDA को यहां भूमिहार वोटर्स के अलावा वैश्य समाज और अति पिछड़ों के वोट पर भरोसा है. इसके अलावा केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को भी बीजेपी कार्यकर्ता बड़ा फैक्टर मान रहे हैं.
आरजेडी ने श्रवण कुशवाहा को बनाया है उम्मीदवारः NDA ने जहां भूमिहार मतदाताओं पर भरोसा जताते हुए विवेक ठाकुर को कैंडिडेट बनाया है तो महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने स्थानीय नेता श्रवण कुशवाहा को मैदान में उतारा है. आरजेडी ने यादव, मुस्लिम और कुशवाहा वोटर्स को गोलबंद करने की रणनीति के तहत श्रवण कुशवाहा को यहां से मैदान में उतारा है.
लालू के समीकरण में विनोद की सेंधः लेकिन आरजेडी के समीकरण को आरजेडी के ही बागी विनोद यादव से बड़ा खतरा नजर आ रहा है. नवादा की राजनीति में अच्छी पकड़ रखनेवाले राजबल्लभ प्रसाद यादव के भाई विनोद कुमार यादव के मैदान में आ जाने से आरजेडी के सबसे बड़े कोर वोटर्स यादवों के आरजेडी से छिटकने का खतरा पैदा हो गया है. अगर ऐसा हुआ तो महागठबंधन के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है.
नवादा में जातिगत समीकरण : नवादा में मतदाताओं की कुल संख्याा 20 लाख 06 हजार 124 है. जिसमें 10 लाख 43 हजार 788 पुरुष मतदाता और महिला मतदाताओं की संख्या 09 लाख 02हजार 186 है. इसके अलावा थर्ड जेंडर के भी 150 मतदाता हैं. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां भूमिहार और यादव किसी की हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. कई क्षेत्रों में वैश्य समाज और मुस्लिम वोटर्स का दबदबा है, तो अति पिछड़े और दलित वोटर्स भी बड़ी संख्या में हैं.
2009 से NDA का बोलबालाः पिछले 3 लोकसभा चुनाव की बात करें तो यहां NDA का बोलबाला रहा है. 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भोला सिंह ने एलजेपी की वीणा देवी को हराया तो 2014 में बीजेपी के गिरिराज सिंह ने आरजेडी को राजबल्लभ प्रसाद को मात देकर लगातार दूसरी बार कमल खिलाया. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में NDA के बैनर तले एलजेपी के चंदन सिंह ने आरजेडी की विभा देवी को हराकर NDA की हैट्रिक पूरी की.