सीकर. राजस्थान के सीकर जिले में इस बार का लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक बनने जा रहा है. देश की आजादी के बाद से अब तक के लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह पहली बार चुनाव में नहीं दिखेगा. इंडिया गठबंधन में सीकर सीट माकपा को देने की वजह से ऐसा होगा. गठबंधन के चलते सियासी रण में हाथ का साथ पहली बार माकपा प्रत्याशी के साथ रहेगा. अब तक के 17 चुनाव में कांग्रेस ने 1957, 1962, 1971, 1984, 1991, 1996 और 2009 के चुनाव में कुल सात बार बाजी मारी है. इसके बाद भाजपा ने पांच बार तथा राम राज्य परिषद, भारतीय जन संघ, जनता पार्टी, जनता पार्टी एस तथा जनता दल ने एक-एक बार चुनाव मे परचम लहराया है.
आज तक नहीं जीती मकपा, कांग्रेस के गठबंधन से मिली मजबूती : माकपा सीकर लोकसभा सीट से अब तक 1967, 1971 व इसके बाद 1996 से 2019 तक लगातार कल 9 चुनाव में भाग्य आजमा चुकी है. लेकि वह अब तक जीत के स्वाद से दूर रही है. इंडिया गठबंधन में शामिल होने से माकपा इस बार मजबूत मानी जा रही है. हालांकि कांग्रेस समर्थकों को मन से साथ लेना माकपा के लिए चुनौती भी बनी हुई है क्योंकि चार महीने पहले तक दोनों दल विधानसभा चुनाव में एक-दूसरे के सामने ताल ठोक चुके हैं. इंडिया गठबंधन में सीकर लोकसभा सीट माकपा को मिलने पर कांग्रेस समर्थकों में मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है कुछ इंडिया गठबंधन के समर्थक अपनी जीत पक्की मान कर उत्साहित हैं तो कई चुनावी मैदान में कांग्रेस का उम्मीदवार नहीं होने से निराश भी है.
8 वीं बार मैदान में अमराराम : माकपा प्रत्याशी अमराराम इस बार लोकसभा चुनाव में आठवीं बार मैदान में हैं. वे 1996 से लगातार लोकसभा के चुनाव लड़ रहें हैं. 1996, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव भी माकपा प्रत्याशी अमराराम लड़ चुके हैं. इससे पहले 1967 व 1977 में त्रिलोक सिंह ने माकपा से भाग्य आजमाया था. त्रिलोक सिंह 1957 में 1962 के चुनाव में सीपीआई से भी प्रत्याशी थे.