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कांकेर के 11 आदिवासी गांवों में शराबबंदी, कहा- 'पहले गांव सुधारेंगे फिर सरकार से करेंगे बात' - Liquor ban in villages of Kanker

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक बड़ा मुद्दा बन गया है. पिछली कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के बाद शराबबंदी का वादा किया. 5 साल सरकार चलाने के बाद सत्ता से बाहर हो गई लेकिन शराबबंदी नहीं हुई. भाजपा सरकार ने प्रदेश में एक भी नई शराब की दुकान नहीं खुलने का ऐलान किया है यानी अप्रत्यक्ष रूप से नई सरकार भी शराबबंदी को लेकर गंभीर नहीं दिख रही है. ऐसे में सरकारों के वादों और दावों को दरकिनार करते हुए छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आदिवासी गांवों के लोगों ने गांव में शराबबंदी की घोषणा कर दी है. Liquor Ban In Chhattisgarh

Liquor ban
कांकेर में शराबबंदी
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 2, 2024, 2:29 PM IST

Updated : Feb 3, 2024, 9:03 AM IST

कांकेर के आदिवासियों ने गांवों में की शराबबंदी

कांकेर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के चारामा विकासखंड के 11 गांव के आदिवासी ग्रामीणों ने नशे के खिलाफ अनोखी पहल की है. ग्रामीणों ने आपसी सहमति से बैठक की और गांव में शराब पीने और महुआ की शराब बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया. शराब पीने और बनाने वालों पर जुर्माना भी तय किया गया है. साथ ही किसी को ऐसा करते हुए रंगे हाथों पकड़ने पर उसे इनाम देने की भी घोषणा की गई है.

इन गांवों में हुई शराबबंदी: चारामा विकासखण्ड अंतर्गत आदिवासी समाज के आरौद सर्कल अंतर्गत डोडकावाही, शाहवाड़ा, पलेवा, रानी डोंगरी, कोटेला, कुर्रूभाठ, टहंकापार, नवीन आरौद, आरौद, भैसाकट्टा, बंडाटोला गांव में शराबबंदी की गई है.

आदिवासी समाज को सुधारने की ठानी: ETV भारत शराबबंदी करने वाले गांव पहुंची और शराबबंदी करने का फैसला लेने वाले ग्रामीणों से बात की. गांव की महिला नीलम कुंजाम ने बताया "सरकार शराब बंद नहीं करा पाई इसी वजह से हम शराब बंदी किए है.हमारा आदिवासी समाज सुधरे इसलिए हमने ये फैसला लिया है. आदिवासी समाज में सबसे ज्यादा शराब बनाया जाता है. हमारे साथ दूसरा समाज भी सुधरे, गांव सुधरे, शराब सुधरे इसलिए शराब बंदी किया गया है. पीना पूरी तरह से अभी बंद नहीं हुआ है लेकिन स्थिति नियंत्रण में है.

गांव सुधरेगा तभी तो सरकार से बात करेंगे- नीलम कुंजाम, ग्रामीण महिला

छोटी उम्र में बच्चों को हो जाती थी शराब की लत: गांव की दुलेश्वरी ने बताया कि गांव में शराब पीना और बनाना काफी कंट्रोल हुआ है. शराब बनाना और बेचना भी बंद कर दिए हैं. पहले छोटी उम्र से ही बच्चे शराब पीना चालू कर देते थे. न स्कूल जाते थे न कॉलेज जाते थे. शराब पीकर घूमते थे.

शराब के कारण आदिवासी समाज के बच्चों की पढ़ाई पीछे हो जाती है इस वजह से हमारे बच्चों को नौकरी नहीं मिलती- दुलेश्वरी, ग्रामीण

शराब बेचने और बनाने पर जुर्माना: परगना मांझी श्रवण दर्रो ने बताया कि शराब बनाने, पीने औए बेचने वालों के ऊपर जुर्माना तय किया गया है. यही नही पीकर हुल्लड़बाजी करने वालो के ऊपर भी जुर्माना लगाया जाएगा. यह जुर्माना 11 गांव के बैठक में सबके सामने परिवार वालों के समाने पटाना पड़ेगा. शराब बनाने और बेचने वाले के लिए 10 हजार रुपए जुर्माना, पीने वाले के लिए 5 हजार रुपए जुर्माना और हुल्लड़बाजी करने वाले के लीए 20 हजार रुपए जुर्माना तय किया गया है. यही नही शराब बनाते, बेचते पीते अगर कोई फोटो वीडियो समाज को देता है तो उस व्यक्ति को 2 हजार रुपए पुरस्कार भी दिया जाएगा. उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा.

शराबबंदी के लिए उड़नदस्ता टीम: गांव के राकेश नेताम ने बताया कि जो दंड निर्धारित किया गया है. उसको सार्वजनिक तौर पर जब 11 गांव के लोग बैठेंगे वहां देना पड़ेगा. जब से 11 गांव में शराब बंदी हुई है तब से अब गांव के नौजवान कहीं भी चौक चौराहा में नहीं दिखते हैं. यहां तक कि शराब पीने के बाद किसी प्रकार की हुल्लड़बाजी नहीं हो रही है. गांव में शराब बनाकर बेचने पीने और हुल्लड़बाजी रोकने के लिए 11 गांव के लोगों ने एक उड़न दस्ता टीम भी बनाया है. जिसमे रोज शाम को गांव की महिलाएं हाथों में डंडा पकड़ कर गलियों में घूमती है और घर के बाहर से ही लोगों को समझाइश देती है कि शराब गांव में पूर्णता शराब बंदी है. कृपया शराब न बनाएं और ना ही बेचे. 11 गांव में शराब बंदी से आसपास के गांव के लोग भी प्रेरणा लेने लगे हैं.

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इन गांवों में हुई शराबबंदी: चारामा विकासखण्ड अंतर्गत आदिवासी समाज के आरौद सर्कल अंतर्गत डोडकावाही, शाहवाड़ा, पलेवा, रानी डोंगरी, कोटेला, कुर्रूभाठ, टहंकापार, नवीन आरौद, आरौद, भैसाकट्टा, बंडाटोला गांव में शराबबंदी की गई है.

आदिवासी समाज को सुधारने की ठानी: ETV भारत शराबबंदी करने वाले गांव पहुंची और शराबबंदी करने का फैसला लेने वाले ग्रामीणों से बात की. गांव की महिला नीलम कुंजाम ने बताया "सरकार शराब बंद नहीं करा पाई इसी वजह से हम शराब बंदी किए है.हमारा आदिवासी समाज सुधरे इसलिए हमने ये फैसला लिया है. आदिवासी समाज में सबसे ज्यादा शराब बनाया जाता है. हमारे साथ दूसरा समाज भी सुधरे, गांव सुधरे, शराब सुधरे इसलिए शराब बंदी किया गया है. पीना पूरी तरह से अभी बंद नहीं हुआ है लेकिन स्थिति नियंत्रण में है.

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छोटी उम्र में बच्चों को हो जाती थी शराब की लत: गांव की दुलेश्वरी ने बताया कि गांव में शराब पीना और बनाना काफी कंट्रोल हुआ है. शराब बनाना और बेचना भी बंद कर दिए हैं. पहले छोटी उम्र से ही बच्चे शराब पीना चालू कर देते थे. न स्कूल जाते थे न कॉलेज जाते थे. शराब पीकर घूमते थे.

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शराब बेचने और बनाने पर जुर्माना: परगना मांझी श्रवण दर्रो ने बताया कि शराब बनाने, पीने औए बेचने वालों के ऊपर जुर्माना तय किया गया है. यही नही पीकर हुल्लड़बाजी करने वालो के ऊपर भी जुर्माना लगाया जाएगा. यह जुर्माना 11 गांव के बैठक में सबके सामने परिवार वालों के समाने पटाना पड़ेगा. शराब बनाने और बेचने वाले के लिए 10 हजार रुपए जुर्माना, पीने वाले के लिए 5 हजार रुपए जुर्माना और हुल्लड़बाजी करने वाले के लीए 20 हजार रुपए जुर्माना तय किया गया है. यही नही शराब बनाते, बेचते पीते अगर कोई फोटो वीडियो समाज को देता है तो उस व्यक्ति को 2 हजार रुपए पुरस्कार भी दिया जाएगा. उसका नाम गोपनीय रखा जाएगा.

शराबबंदी के लिए उड़नदस्ता टीम: गांव के राकेश नेताम ने बताया कि जो दंड निर्धारित किया गया है. उसको सार्वजनिक तौर पर जब 11 गांव के लोग बैठेंगे वहां देना पड़ेगा. जब से 11 गांव में शराब बंदी हुई है तब से अब गांव के नौजवान कहीं भी चौक चौराहा में नहीं दिखते हैं. यहां तक कि शराब पीने के बाद किसी प्रकार की हुल्लड़बाजी नहीं हो रही है. गांव में शराब बनाकर बेचने पीने और हुल्लड़बाजी रोकने के लिए 11 गांव के लोगों ने एक उड़न दस्ता टीम भी बनाया है. जिसमे रोज शाम को गांव की महिलाएं हाथों में डंडा पकड़ कर गलियों में घूमती है और घर के बाहर से ही लोगों को समझाइश देती है कि शराब गांव में पूर्णता शराब बंदी है. कृपया शराब न बनाएं और ना ही बेचे. 11 गांव में शराब बंदी से आसपास के गांव के लोग भी प्रेरणा लेने लगे हैं.

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Last Updated : Feb 3, 2024, 9:03 AM IST
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