कुल्लू: देशभर में दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इसको लेकर लोगों ने अपने घरों को सजाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. अपने घरों को सजाने के लिए लोग बाजार से चाइनीज झालर खरीद रहे हैं. हर साल करोड़ों रुपये का कारोबार चाइनीज लाइटों के माध्यम से किया जाता है.
ऐसे में बिजली की जगमगाहट के बीच मिट्टी के दीपक की रोशनी गुम होती जा रही है लेकिन आज भी मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को उम्मीद है कि लोग फिर से अपनी पुरानी परंपरा को अपनाएंगे और चाइनीज झालरों से नहीं बल्कि मिट्टी के दिये से अपने घर को जगमगाएंगे.
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के रथ मैदान में बिलासपुर के कारीगर विपिन कुमार इसी आस को लिए मिट्टी के दीपक बेच रहे हैं. इतना ही नहीं विपिन कुमार ने मौके पर एक चाक लगाया है और लोगों को मिट्टी के दिये बनाकर दिखा रहे हैं.
विपिन कुमार का ढालपुर के रथ मैदान में चाक लगाने का मकसद ही यही है कि लोगों को भी पता चल सके कि आखिर एक मिट्टी का दिया बनाने में कितनी मेहनत लगती है. वहीं, वह मेले में आए लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वह खुद भी मिट्टी का दिया इस चाक पर तैयार कर सकते हैं.
विपिन कुमार चाहते हैं कि वर्षों पुरानी विरासत को संजोए रखा जा सके. लोग मिट्टी के दिये से दिवाली का त्योहार मनाएं. हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के रहने वाले कारीगर विपिन कुमार का कहना है कि वह खानदानी व्यवसाय को इसी उम्मीद से आगे ले जा रहे हैं ताकि लोग फिर से पुरानी परंपरा को अपनाएंगे.
विपिन कुमार का कहना है कि अब लोग मिट्टी के बर्तनों के प्रति जागरूक हो रहे हैं क्योंकि अब उन्हें मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने और खाने के गुणों को जान रहे हैं लेकिन अभी भी उनका यह कारोबार उभरता हुआ नजर नहीं आ रहा.
विपिन कुमार का कहना है कि इस व्यवसाय से जुड़े हजारों लोगों ने इसे अलविदा कह दिया है. अब आम जनता को भी चाहिए कि वह पुरानी परंपरा के संरक्षण के लिए आगे आएं और दिवाली के त्योहार पर मिट्टी के दिये जलाएं.
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