नई दिल्ली: दिल्ली में प्रदूषण के चलते बने दमघोंटू माहौल और उस पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच बुधवार देर शाम दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा है. उन्होंने चार पेज के पत्र में अपनी बात रखी है और मुख्यमंत्री को उनकी जिम्मेदारी की भी याद दिलाई.
उपराज्यपाल ने जताई निराशा
उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि उन्हें बड़ी निराशा हो रही है कि दिल्ली को दुनिया में सबसे प्रदूषित शहर के रूप में चिन्हित किया जा रहा है. इस खतरनाक प्रदूषण का लोगों के जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ रहा है और उनका जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है. उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र में इस बात को भी याद दिलाया है कि वह समय-समय पर इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करवाते रहे, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकला. अपने पत्र की शुरुआत में उपराज्यपाल ने कहा है कि जैसे-जैसे हम त्योहारों के मौसम में प्रवेश कर रहे हैं, पहले दिल्ली में गुलाबी सर्दी का एहसास होता था. लेकिन अब मौसम में परिवर्तन तो आया है मगर वह एहसास गायब हो चुका है. अब हम एक बार फिर वायु प्रदूषण और भयानक घुटन भरे एहसास को देख रहे हैं, महसूस कर रहे हैं.
राजधानी में AQI 400 के पार
उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि दिल्ली के तकरीबन सभी इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के करीब पहुंच चुका है. दीपावली और छठ पूजा नजदीक है. छठ पूजा के समय में यमुना में प्रदूषण के दयनीय स्थिति है. दिल्ली के तमाम अस्पतालों में सांस की समस्याओं के शिकायत करने वाले मरीज बहुत संख्या में पहुंच रहे हैं. लोगों को घर के अंदर रहने की सलाह दी जा रही है. ऐसा पिछले एक दशक के दौरान ही देखने में आया है. दुनिया में दिल्ली को सबसे प्रदूषित शहर के रूप में प्रचारित किया जा रहा है. इस घातक वायु प्रदूषण के कारण शहर के लोग विशेष रूप से गरीबों की आयु न केवल कम हो रही है, बल्कि वे आजीविका का नुकसान भी झेल रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल ने नहीं समझी गंभीरता
उपराज्यपाल ने पत्र में लिखा है बीते सालों की तरह प्रदूषण पर ना तो कोई ठोस जवाब दिया जा रहा है ना ही कोई समाधान किया जा रहा है. उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा चलाए गए अपील, अभियान पर भी सवाल उठाए हैं और लिखा है इसमें सरकार जनता से ही सहयोग मांग रही है. सरकार को जिस संजीदगी के साथ प्रदूषण कम करने के उपाय करनी चाहिए, वह नहीं हो रहा है. उपराज्यपाल ने पत्र में अपने पिछले दो साल के अनुभव का जिक्र करते हुए कहा कि बतौर उपराज्यपाल उन्होंने अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए कई अवसरों पर स्थित की समीक्षा की. पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्री को निवेदन पत्र लिखे. अब जबकि राजधानी की प्रदूषित हवा जो आगे बढ़ने के साथ और भी बदतर हो जाएगी, उनका अनुभव यह रहा है कि इस स्थिति को पूरी तरह से टाला जा सकता है. उसका समाधान काफी हद तक हमारे हाथों में है. मगर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी कई बैठकों में भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया, उन्हें यह समझाने की पूरी कोशिश की, यह मुद्दे हल करने योग्य है और उनका समाधान किया जाना चाहिए. हालांकि उन्होंने सभी अनुरोधों पर ध्यान नहीं दिया.
सरकार को दिखानी चाहिए गंभीरता
पत्र में उपराज्यपाल ने लिखा है कि दिल्ली में प्रदूषण की मुख्य वजह धूल है. कई अध्ययनों में पता चला है कि शहर में वायु प्रदूषण का लगभग 36 प्रतिशत हिस्सा सड़कों पर उड़ने वाली धूल, निर्माण से उत्पन्न हुई धूल के कारण है. वहीं सड़क की धूल मुख्य रूप से, बिना मरम्मत की सड़कों, खुले फुटपाथों सेंट्रल वर्ज और टूटी-फूटी सड़कों के कारण होती है. इसके अलावा वायु प्रदूषण का लगभग 25 फीसदी हिस्सा वाहनों से होने वाले उत्सर्जन के कारण होता है. सॉलिड वेस्ट जलाने से 8 फीसदी और अन्य राज्यों में पराली जलाने से 26 प्रतिशत प्रदूषण होता है. 5 फीसदी चूल्हे, तंदूर और जनरेटर आदि जैसे विविध कार्य को के कारण होता है. पत्र में एलजी ने लिखा है कि दिल्ली को गैस चैंबर बनाने वाले धुएं में प्रमुख योगदान देने वाले देने के साथ ही धूल से एलर्जी और क्रॉनिक पलमोनरी डिजीज जैसी बड़ी स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं, यह समस्या गंभीर है और सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए.
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