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सीकर में पिछले साल की तुलना में बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ, बढ़ते वाहनों की संख्या भी बढ़ा रही समस्या

सीकर जिले में वायु प्रदूषण का स्तर साल दर साल बढ़ता जा रहा है. जिला गुणवत्ता के मामले में रेड जोन में आ गया है.

Air Pollution in Sikar District
सीकर जिले में वायु प्रदूषण (Photo ETV Bharat Sikar)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

सीकर: सर्दी की शुरुआत के साथ ही जिले की आबोहवा खराब हो गई है. पिछले दस दिन में सीकर जिले में एक भी दिन प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं रहा है. दो दिन तक जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना खराब हो गया कि सीकर रेड जोन में आ गया. वायु में प्रदूषण बढ़ने से आंखों में जलन के साथ सांस संबंधी रोग बढ़ गए है. बीते एक सप्ताह से सीकर में एक्यूआइ का स्तर 200-300 के आस पास बना हुआ है. यह स्तर नवम्बर माह में पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा है. इसका असर सीधे सांस और नेत्र रोगों की समस्या से जूझ रहे लोगों पर नजर आ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों की बढ़ती संख्या सहित कई वजहों से आबोहवा खराब हो रही है. अब यहां के जिम्मेदारों को सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने की दिशा में प्रयास करने होंगे.

सीकर में तेज सर्दी का अहसास: सीकर में शनिवार सुबह भी 7 डिग्री से कम तापमान रहने के साथ ही तेज सर्दी पड़ रही है. सीकर के कृषि अनुसंधान केंद्र फतेहपुर पर शुक्रवार सुबह न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री दर्ज किया गया. इससे पहले गुरुवार को यहां पर न्यूनतम तापमान 6 और अधिकतम तापमान 28 डिग्री दर्ज किया गया. जबकि बुधवार को न्यूनतम तापमान 6.5 और अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री दर्ज किया गया था. जिले में भले ही पिछले दो-तीन दिनों से कोहरा कम छाया हो, लेकिन यहां सर्दी का असर लगातार बढ़ता जा रहा है.

पढ़ें: खतरनाक हुई अलवर व भिवाड़ी की आबोहवा, 400 के पार पहुंचा AQI लेवल, आखों मेें होने लगी जलन

बढ़ता प्रदूषण बिगाड़ रहा हवा: पर्यावरणविद अरुणा शेखावत के अनुसार सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण हवा के घनत्व का बढ़ना और तापमान का कम होना है. हवा के घनत्व के बढ़ने और तापमान के कम होने कारण प्रदूषण नीचे ही रह जाता है. ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है. कोहरे के साथ प्रदूषण और खतरनाक गैसें मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बना देती हैं. प्रदूषण के बहुत ही बारीक कण सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं. इस प्रकार के कण लंबे समय तक वातावरण में रहने से कैंसर तक का कारण बन जाता है.

हवा की दिशा बदली: गर्मी और सर्दी की हवा की दिशा में भी अंतर होता है. सर्दी के मौसम में हवा की दिशा बदलकर उत्तर-पश्चिम की ओर हो जाती हैं. ऐसे में रेगिस्तान और मैदानी इलाकों से आने वाली धूल भरी हवाओं के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा सर्दी में हवा की रफ्तार कम होने और घनत्व अधिक होने की वजह से गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल, पटाखों से निकलने वाले प्रदूषकों को जमने में मदद मिलती है. ऐसे में यहां आने वाले प्रदूषक तत्व भी सर्दी के मौसम में यहां फंसे रह जाते हैं, जिससे लोगों की सांसों पर संकट आता है.

पर्यावरणविद शेखावत का कहना है कि नमी बढ़ने से धूल-धुआं के कारण धुंध छा रही है. ठंड के मौसम में तापमान गिरने से नमी बढ़ जाती है. इससे हवा में पाल्यूटेंट का प्रसार धीमा हो जाता है. इससे उनका घनत्व बढ़ जाता है. निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल के अलावा वाहनों का धुआं, आग जलाने, साफ-सफाई सहित अन्य कारणों से प्रदूषण बढ़ जाता है.आगामी दिनों में मौसम शुष्क रहने से प्रदूषण का स्तर कम होने के आसार नहीं है. लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या भी खतरनाक है. वाहनों से उत्सर्जित धुआं प्रदूषण बढ़ा रहा है.

पढ़ें: अलवर में प्रदूषण पर ब्रेक के लिए ग्रेप की पहल...5 दिन ही होगा औद्योगिक इकाइयों का संचालन

चिकित्सक बोले, समय रहते सुधार जरूरी: मेडिकल कॉलेज सीकर के श्वसन रोग विभाग के डॉ. परमेश पचार का कहना था कि वातावरण में प्रदूषण के कारण श्वसन रोग विभाग की ओपीडी में सांस संबंधी रोगों के मरीज बढ़ गए हैं. समय रहते स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्वच्छ हवा मिल पाना भी मुश्किल हो जाएगा. इसकी रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे.

यह बचाव जरूरी

  • घर से बाहर निकलने पर लगाएं मास्क
  • घर में आने पर साबुन से धोएं हाथ— मुंह
  • टूटी सड़कों को दुरुस्त करवाया जाए
  • रोड किनारे पौधे लगाए जाएं
  • सड़क किनारे जमी मिट्टी को साफ किया जाए.
  • जहां वायु प्रदूषण अधिक है, वहां एंटी स्मॉग गन से फोगिंग

    प्रदूषण के प्रमुख कारक
  • माइनिंग जोन
  • ईंट-भट्टों की चिमनियों से हर समय निकलता धुआं
  • बड़ी फैक्ट्री के धुएं से फैलता प्रदूषण
  • कचरे का तीक से निस्तारण नहीं कर खुले में जलाना
  • दिल्ली और एनसीआर के नजदीक होने से हवा के साथ आता जहरीला धुआ
  • आतिशबाजी से बढ़ता प्रदूषण
  • अचानक से तापमान में गिरावट
  • पूर्व-उत्तरी हवाओं के साथ प्रभावित इलाकों की दूषित हवा

किस दिन कितना रहा हवा में एक्यूआई

ति​थिएक्यूआई लेवल
11 नवम्बर278
12 नवम्बर182
13 नवम्बर171
14 नवम्बर223
15 नवम्बर183
16 नवम्बर188
17 नवम्बर349
18 नवम्बर328
19 नवम्बर223
20 नवम्बर283
21 नवम्बर228

सीकर: सर्दी की शुरुआत के साथ ही जिले की आबोहवा खराब हो गई है. पिछले दस दिन में सीकर जिले में एक भी दिन प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं रहा है. दो दिन तक जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स इतना खराब हो गया कि सीकर रेड जोन में आ गया. वायु में प्रदूषण बढ़ने से आंखों में जलन के साथ सांस संबंधी रोग बढ़ गए है. बीते एक सप्ताह से सीकर में एक्यूआइ का स्तर 200-300 के आस पास बना हुआ है. यह स्तर नवम्बर माह में पिछले वर्षों की तुलना में ज्यादा है. इसका असर सीधे सांस और नेत्र रोगों की समस्या से जूझ रहे लोगों पर नजर आ रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि वाहनों की बढ़ती संख्या सहित कई वजहों से आबोहवा खराब हो रही है. अब यहां के जिम्मेदारों को सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने की दिशा में प्रयास करने होंगे.

सीकर में तेज सर्दी का अहसास: सीकर में शनिवार सुबह भी 7 डिग्री से कम तापमान रहने के साथ ही तेज सर्दी पड़ रही है. सीकर के कृषि अनुसंधान केंद्र फतेहपुर पर शुक्रवार सुबह न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री दर्ज किया गया. इससे पहले गुरुवार को यहां पर न्यूनतम तापमान 6 और अधिकतम तापमान 28 डिग्री दर्ज किया गया. जबकि बुधवार को न्यूनतम तापमान 6.5 और अधिकतम तापमान 27.4 डिग्री दर्ज किया गया था. जिले में भले ही पिछले दो-तीन दिनों से कोहरा कम छाया हो, लेकिन यहां सर्दी का असर लगातार बढ़ता जा रहा है.

पढ़ें: खतरनाक हुई अलवर व भिवाड़ी की आबोहवा, 400 के पार पहुंचा AQI लेवल, आखों मेें होने लगी जलन

बढ़ता प्रदूषण बिगाड़ रहा हवा: पर्यावरणविद अरुणा शेखावत के अनुसार सर्दियों में प्रदूषण बढ़ने का मुख्य कारण हवा के घनत्व का बढ़ना और तापमान का कम होना है. हवा के घनत्व के बढ़ने और तापमान के कम होने कारण प्रदूषण नीचे ही रह जाता है. ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है. कोहरे के साथ प्रदूषण और खतरनाक गैसें मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बना देती हैं. प्रदूषण के बहुत ही बारीक कण सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचते हैं. इस प्रकार के कण लंबे समय तक वातावरण में रहने से कैंसर तक का कारण बन जाता है.

हवा की दिशा बदली: गर्मी और सर्दी की हवा की दिशा में भी अंतर होता है. सर्दी के मौसम में हवा की दिशा बदलकर उत्तर-पश्चिम की ओर हो जाती हैं. ऐसे में रेगिस्तान और मैदानी इलाकों से आने वाली धूल भरी हवाओं के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा सर्दी में हवा की रफ्तार कम होने और घनत्व अधिक होने की वजह से गाड़ियों से निकलने वाले प्रदूषक तत्व भवन निर्माण के दौरान उड़ने वाली धूल, पटाखों से निकलने वाले प्रदूषकों को जमने में मदद मिलती है. ऐसे में यहां आने वाले प्रदूषक तत्व भी सर्दी के मौसम में यहां फंसे रह जाते हैं, जिससे लोगों की सांसों पर संकट आता है.

पर्यावरणविद शेखावत का कहना है कि नमी बढ़ने से धूल-धुआं के कारण धुंध छा रही है. ठंड के मौसम में तापमान गिरने से नमी बढ़ जाती है. इससे हवा में पाल्यूटेंट का प्रसार धीमा हो जाता है. इससे उनका घनत्व बढ़ जाता है. निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल के अलावा वाहनों का धुआं, आग जलाने, साफ-सफाई सहित अन्य कारणों से प्रदूषण बढ़ जाता है.आगामी दिनों में मौसम शुष्क रहने से प्रदूषण का स्तर कम होने के आसार नहीं है. लगातार बढ़ती वाहनों की संख्या भी खतरनाक है. वाहनों से उत्सर्जित धुआं प्रदूषण बढ़ा रहा है.

पढ़ें: अलवर में प्रदूषण पर ब्रेक के लिए ग्रेप की पहल...5 दिन ही होगा औद्योगिक इकाइयों का संचालन

चिकित्सक बोले, समय रहते सुधार जरूरी: मेडिकल कॉलेज सीकर के श्वसन रोग विभाग के डॉ. परमेश पचार का कहना था कि वातावरण में प्रदूषण के कारण श्वसन रोग विभाग की ओपीडी में सांस संबंधी रोगों के मरीज बढ़ गए हैं. समय रहते स्थिति में सुधार नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्वच्छ हवा मिल पाना भी मुश्किल हो जाएगा. इसकी रोकथाम के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे.

यह बचाव जरूरी

  • घर से बाहर निकलने पर लगाएं मास्क
  • घर में आने पर साबुन से धोएं हाथ— मुंह
  • टूटी सड़कों को दुरुस्त करवाया जाए
  • रोड किनारे पौधे लगाए जाएं
  • सड़क किनारे जमी मिट्टी को साफ किया जाए.
  • जहां वायु प्रदूषण अधिक है, वहां एंटी स्मॉग गन से फोगिंग

    प्रदूषण के प्रमुख कारक
  • माइनिंग जोन
  • ईंट-भट्टों की चिमनियों से हर समय निकलता धुआं
  • बड़ी फैक्ट्री के धुएं से फैलता प्रदूषण
  • कचरे का तीक से निस्तारण नहीं कर खुले में जलाना
  • दिल्ली और एनसीआर के नजदीक होने से हवा के साथ आता जहरीला धुआ
  • आतिशबाजी से बढ़ता प्रदूषण
  • अचानक से तापमान में गिरावट
  • पूर्व-उत्तरी हवाओं के साथ प्रभावित इलाकों की दूषित हवा

किस दिन कितना रहा हवा में एक्यूआई

ति​थिएक्यूआई लेवल
11 नवम्बर278
12 नवम्बर182
13 नवम्बर171
14 नवम्बर223
15 नवम्बर183
16 नवम्बर188
17 नवम्बर349
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