कुल्लू: जिला कुल्लू में पर्यटन के बाद सेब यहां की आर्थिकी में अपनी अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इस साल सेब के लिए विख्यात कुल्लू घाटी के बागवानों को मौसम की दोहरी मार पड़ रही है. पहले बारिश, ओलावृष्टि और अंधड़ से सेब की फसल को 40 फीसदी तक नुकसान हुआ है. अब बीते जून से चल रहे सूखे जैसे हालात से अब सेब आकार भी नहीं बढ़ रहा है. इसका नुकसान जिले के करीब 75 हजार बागवानो को उठाना पड़ रहा है. ऐसे में बागवानों को आर्थिक तौर पर और नुकसान झेलना पड़ सकता है.
जिला कुल्लू की बाह्य सराज घाटी में अब 15 से 20 जुलाई के बीच सेब का सीजन शुरू हो जाएगा. ऐसे में अब सेब के आकार में वृद्धि होने की संभावना भी काफी कम है. बागवानी विभाग के साथ साथ बागवानों का मानना है कि अगर अगले 2 सप्ताह भी कुल्लू जिले में बारिश नहीं हुई तो सेब उत्पादन के साथ इसकी गुणवत्ता में और अधिक असर पड़ेगा. घाटी के बागवान राम प्रसाद, लालचंद ठाकुर, किशोरी लाल, बेली राम, टेक सिंह तथा सुंदर सिंह का कहना है कि अप्रैल और मई में हुई बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि ने बागवानों की कमर तोड़ दी है. जून से लेकर अब तक सूखे जैसे हालात ने सेब के आकार को बढ़ने नहीं दिया, जिस कारण बगीचों में सेब का आकार नहीं बढ़ पाया है. इसके अलावा आनी उपमंडल के रघुपुर और जलोड़ी क्षेत्र के बागवानों के बगीचों में कहीं-कहीं सेब के दाने ही नजर आ रहे हैं.
सेब बगीचों में पर्याप्त नमी न होने से बीते साल की तरह इस बार भी सेब को फसल को 50 से 80 फीसदी तक नुकसान हुआ है. सेब का अच्छा आकार न होने से इसका असर मंडियों में मिलने वाले दामों पर पड़ेगा. इस साल बारिश, अंधड़ और ओलावृष्टि से 40 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा है. जिले में सेब के उत्पादन की क्षमता करीब एक करोड़ पेटियों की है. मौसम की बेरुखी से पैदावार साल दर साल घट रही है. कुल्लू में पिछले साल करीब 52 लाख सेब पेटियां हुई थीं. इस साल 45 से 50 लाख के आसपास पेटियां होने का अनुमान है.
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. बीएम चौहान ने बताया 'बारिश न होने से जिला कुल्लू में सेब की फसल को नुकसान की आशंका है. पिछले साल से सेब का उत्पादन कम है. एक हफ्ते तक बारिश नहीं होने पर उत्पादन में और भी गिरावट आएगी.'
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