जयपुर. राजस्थान के करीब 30 लाख उपभोक्ताओं को सरकार की ओर से बिजली बिल में मिलने वाली रियायत का फायदा नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में अब कांग्रेस इस मुद्दे पर भजनलाल सरकार को घेरने में जुट गई है. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि जनहित की योजनाओं की समीक्षा के नाम पर सरकार कोई निर्णय नहीं कर पा रही है. प्रदेश की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी देनी शुरू की थी. इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य किया गया था.
प्रदेश में 1.29 करोड़ घरेलू बिजली उपभोक्ता हैं. इनमें से 98.24 लाख उपभोक्ताओं ने ही बिजली बिल में रियायत के लिए पंजीयन करवाया हुआ है, जबकि 30.86 लाख उपभोक्ताओं ने बिजली बिल में छूट के लिए पंजीयन नहीं करवाया था. अब सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने दोबारा रजिस्ट्रेशन शुरू नहीं किए हैं. इसके चलते इन उपभोक्ताओं को बिजली बिल में छूट का फायदा नहीं मिल पा रहा है.
वंचित परिवारों को मिले योजना का लाभ: डोटासरा ने कहा, 'भाजपा को सत्ता में आए 6 महीने हो चुके हैं, लेकिन जनहित योजनाओं की समीक्षा के नाम पर सरकार कोई निर्णय नहीं कर पा रही. लाखों घरेलू व कृषि उपभोक्ता बिजली बिल अनुदान योजना का लाभ लेने से वंचित हैं. रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाने वाले उपभोक्ता अब रजिस्ट्रेशन कराने के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन सरकार ने बिजली बिल अनुदान योजना को लेकर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है. उन्होंने कहा कि सरकार से उम्मीद है कि उपभोक्ताओं के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पुनः प्रारंभ किया जाएगा ताकि योजना के लाभ से वंचित परिवारों को भी राहत मिल सके.
100 यूनिट खपत तो बिजली बिल शून्य: पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 1 जून 2023 से बिजली बिल पर छूट शुरू की थी. इसमें 100 यूनिट तक बिजली खपत वाले 1.04 करोड़ उपभोक्ताओं का बिजली बिल शून्य हो गया. जिन उपभोक्ताओं की बिजली खपत 100 यूनिट से ज्यादा, लेकिन 200 यूनिट से कम हैं. उनसे केवल एनर्जी शुल्क लिया जा रहा है. इससे अधिक बिजली खपत वाले घरेलू उपभोक्ताओं को अधिकतम 750 रुपए की सब्सिडी मिल रही है. जिन उपभोक्ताओं ने उस समय महंगाई राहत शिविरों में पंजीयन करवाया था. उन्हें ही छूट का फायदा मिल रहा है.