पटना : सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एनडीए का साथ छोड़ देना चाहिए. इस बयान के बाद से एनडीए नेताओं ने वार करना शुरू कर दिया है. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने भी अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया है.
''नेताजी (मुलायाम सिंह) की आत्मा कराह रही होगी. जिस 74 में नेताजी आंदोलन करके जेल गए. जिसके कारण जेल में रहना पड़ा. आज उनके बेटे उसी कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए हैं.''- ललन सिंह, केंद्रीय मंत्री
'JP के मूल्य को अखिलेश ने अपनाया?' : बता दें कि इससे पहले भी जेडीयू के अन्य नेताओं ने अखिलेश सिंह पर पलटवार किया था. उनकी बात सामने आने के बाद तुरंत जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा था कि अखिलेश यादव को देश को बताना चाहिए कि जय प्रकाश के कौन से मूल्य उन्हें प्रेरित करते हैं और क्या उन्होंने उनमें से किसी को अपनाया या उनकी पार्टी ने उन्हें अपनाया?
"समाजवादी पार्टी में कोई आंतरिक लोकतंत्र नहीं है. एक परिवार विशेष का कब्जा है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में उन जीवन मूल्यों को अपनाया है, हमारे यहां परिवारवाद की कोई गुंजाइश नहीं मिलेगी. केंद्र में हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के साथ हैं और बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए जेपी के जीवन मूल्यों के आधार पर काम कर रहा है, तो फिर हमें रिश्ते तोड़ने की सलाह देने का क्या मतलब है?"- राजीव रंजन, जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता
'अखिलेश यादव चिरकुट समाजवादी' : जेडीयू ही नहीं बीजेपी के रविशंकर प्रसाद से लेकर राजीव प्रताप रूडी ने भी अखिलेश सिंह के बयान पर हमला किया था. इतना ही नहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा ने यहां तक कह दिया था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अखिलेश यादव जैसे चिरकुट समाजवादी से सलाह लेने की जरूरत नहीं है.
क्या है पूरा मामला? : दरअसल, लोकनायक जयप्रकाश की जयंति के अवसर पर अखिलेश यादव ने कहा था लोकतंत्र और जेपी का अपमान करने वालों का साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़ देना चाहिए. क्योंकि नीतीश कुमार जेपी के आंदोलन से जुड़े हुए थे.
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