बीकानेर : सनातन धर्म शास्त्रों में गाय को पूज्य माना गया है और माता का दर्जा दिया गया है. प्राचीनकाल में समुद्र मंथन से कामधेनु गाय की उत्पत्ति हुई थी. मान्यता है कि कामधेनु गाय मानव की सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करती थी. बहुत से घरों में बछड़े को दूध पिलाती कामधेनु गाय की पीतल की मूर्ति देखने को मिलती है. वहीं, प्रसिद्ध वास्तुविद राजेश व्यास बताते हैं कि इस मूर्ति को कब, कहां और कैसे रखनी चाहिए. यह जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि सही तरीके से मूर्ति को स्थापित करने पर ही इसका सुफल प्राप्त होता है.
जानें कब और कैसे रखनी है मूर्ति : कामधेनु गाय की मूर्ति आप किसी भी शुभ दिन शुभ मुहूर्त में घर लाकर रख सकते हैं. गोपद्म व्रत, गोवत्स द्वादशी व्रत, गोवर्धन पूजा, गोत्रि-रात्र व्रत, गोपाष्टमी, पयोव्रत, धनतेरस के पावन त्योहार पर भी इसे घर में लाकर रख सकते हैं. इसके अलावा आप चाहें तो किसी पंडित या ज्योतिष की सलाह से भी किसी शुभ मुहूर्त में इस मूर्ति को अपने घर में स्थापित कर सकते हैं.
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जानें कामधेनु गाय की मूर्ति कहां और कैसे रखनी चाहिए
- मूर्ति को घर की उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए.
- पूजा घर या फिर प्रवेश द्वार के उचित स्थान पर इसे स्थापित कर सकते हैं.
- चांदी, पीतल या तांबे की मूर्ति रखनी चाहिए.
- यदि प्रवेश द्वार पर रखनी है तो संगमरमर की मूर्ति रखें.
कामधेनु गाय की मूर्ति रखने के फायदे
- गाय की मूर्ति रखने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं.
- मानसिक शांति मिलती है.
- फेंगशुई में भी इसका महत्व बताया गया है.
- पढ़ाई में एकाग्रता के लिए भी इस मूर्ति को घर में स्थापित करते हैं.
- इस मूर्ति को घर में रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- सौभाग्य, धन, सुख और समृद्धि बढ़ती है.
- मां की तरह कामधेनु आपके घर से सभी बीमारियों को दूर रखती हैं.
- खराब स्वास्थ्य, मानसिक तनाव और आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा पाने में सहायक होती है.
- इसमें त्रिदेवियों के गुण हैं और यह वैतरणी नदी और भवसागर को पार कराने वाली है.
- स्वास्थ्य, संपत्ति, समृद्धि, शांति, सफलता और सकारात्मकता के लिए कामधेनु गाय की मूर्ति रखते हैं.