पटना : आजकल वायरल वीडियो का जमाना खूब है. वायरल वीडियो की वजह से रंक से राजा बनते कई उदाहरण रोज देखने को मिल रहे हैं. कोई रिल्स बनाकर पैसे कमा रहा है तो कोई वीडियो बनाकर पैसे कमा रहा है. इसी बीच एक वीडियो ऐसा वायरल हुआ कि उस व्यक्ति की पूरी जिंदगी ही बदल गई. जी हां, हम बात कर रहे हैं बिहार में एमएलसी के लिए हुए तिरहुत उपचुनाव की.
एक वीडियो ने वंशीधर को 'माननीय' बना दिया : तिरहुत उपचुनाव में वंशीधर ब्रजवासी जीत गए. कहा जाता है कि इस जीत के पीछे उनके एक वीडियो ने खूब काम किया. वह वीडियो था लोगों से भावुक अपील का, वह वीडियो लोगों को दुहाई दे रहा था, उस वीडियो में वंशीधर ब्रजवासी ने ऐसी अपील की कि जहां करोड़ों-करोड़ों रुपए एक चुनाव में खर्च होते हैं वहां लोगों ने मुफ्त में पूरे मन से वंशीधर ब्रजवासी को तिरहुत स्नातक क्षेत्र के उप चुनाव में जीता दिया.
''सबसे बड़ा काम वंशीधर ब्रजवासी ने अपने एक इमोशनल वीडियो से कर दिया. इस वीडियो में वह फूट-फूट कर रोने लगे थे. ऐसे में शिक्षकों और स्नातकों ने इसे अपने दिल पर ले लिया और उन्हें खुलकर वोट दिया. आज नतीजा यह है कि वंशीधर ब्रजवासी तिरहुत स्नातक क्षेत्र से एमएलसी बन चुके हैं.''- कुमार राघवेंद्र, वरिष्ठ पत्रकार
दूसरे जिले के शिक्षक प्रचार कर रहे थे : तिरहुत एमएलसी स्नातक उपचुनाव के लिए वंशीधर ब्रजवासी ने प्रचार करने का अलग तरीका अपनाया था. वो लाओ-लश्कर में कभी नहीं चले. उन्होंने अपने चुनाव प्रचार में अपने परिवार का साथ लिया और उनके संघर्ष समय के जितने शिक्षक थे उन सभी को साथ रखकर चुनाव प्रचार किया.
चुनाव प्रचार के दौरान अपनी पत्नी, बेटी और बेटा को साथ रखकर स्नातकों से और शिक्षकों से अपील करते रहे कि उन्हें वोट दें. साथ ही उनके साथ संघर्ष में रहे शिक्षक भी लगातार तिरहुत क्षेत्र में प्रचार करते रहे. यह शिक्षक अलग-अलग जिलों से आकर यहां कैंप करते रहे और सभी स्नातक और शिक्षकों से वंशीधर ब्रजवासी को वोट देने की अपील करते रहे. इसी का नतीजा है कि बड़ी-बड़ी पार्टियों और रणनीतिकारों की सारी योजनाएं धरी की धरी रह गई और वंशीधर ने चुनाव जीत लिया.
शिक्षक ने स्नातक जीता : कभी ऐसा होता है कि कोई शिक्षक स्नातक क्षेत्र से चुनाव जीतता हो! बिहार विधान परिषद के चुनाव में शिक्षकों के लिए अलग चुनाव निर्धारित किया गया है लेकिन, वंशीधर ब्रजवासी शिक्षक होते हुए स्नातक क्षेत्र के चुनाव को जीत लिया.
मुजफ्फरपुर के मरवन प्रखंड के रकसा पंचायत के शिक्षक वंशीधर ब्रजवासी लगातार शिक्षकों के हक की लड़ाई लड़ते रहे. इस लड़ाई में उन्होंने अपनी नौकरी तक गंवा दी. बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने उन्हें बर्खास्त करवा दिया. इसके बावजूद उनके तेवर में कोई कमी नहीं आई. वह लगातार सड़कों पर शिक्षकों और स्नातकों की आवाज उठाते रहे. जिसका नतीजा यह रहा कि उनको एमएलसी उपचुनाव में भारी बहुमत से जीत मिली है.
'आने वाले समय के लिए राजनीति की बड़ी आहट' : वरिष्ठ पत्रकार कुमार राघवेंद्र बताते हैं कि वंशीधर ब्रजवासी का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतना आने वाले समय के लिए राजनीति की बड़ी आहट है. ब्रजवासी की जीत यह बता रही है कि जितने भी उस चुनाव में सुरमा उतरे थे उनकी रणनीति गलत थी.
'शिक्षकों के लिए कई लड़ाई लड़ी' : देखिए, जिस क्षेत्र से वंशीधर ब्रजवासी ताल्लुक रखते हैं वह एक बड़ा क्षेत्र है और चुनाव के लिए माकूल क्षेत्र है. वह संघर्षशील शिक्षक थे, लगातार शिक्षकों की आवाज उठाते थे, उन्होंने पटना से लेकर अपने जिला तक में शिक्षकों के लिए कई लड़ाई लड़ी है. ऐसे में उनके संबंध पूरे राज्य के शिक्षकों से बन गया था.
मैन-टू-मैन मिलकर प्रचार किया : यह चुनाव तो महज मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी और शिवहर के मतदाताओं के लिए था. लेकिन पूरे राज्य से शिक्षक तिरहुत में पहुंचकर मैन-टू-मैन मिलकर प्रचार किया. अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि जहां बड़े दलों के नेता मतदाताओं से मिल नहीं रहे थे. वहां ब्रजवासी के प्रतिनिधि हर एक मतदाताओं को चुनाव में वोट करने के लिए प्रेरित कर रहे थे.
ये भी पढ़ें :-
देवेश चंद्र ठाकुर की विरासत नहीं बचा पाए JDU के अभिषेक झा? हर राउंड में रहे नंबर 4
कौन हैं बंशीधर ब्रजवासी? जिन्होंने MLC उपचुनाव में नीतीश-तेजस्वी और प्रशांत किशोर को दी पटखनी
सस्पेंड हो गए लेकिन झुके नहीं! शिक्षकों के लिए KK पाठक से भी टकरा चुके हैं वंशीधर ब्रजवासी
तिरहुत MLC चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी ने कर दिया खेल, JDU, लालू और चुनावी चाणक्य भी हुए फेल