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दीपावली पर मां लक्ष्मी की इन सामग्रियों से करें पूजा और हवन, बदल जाएगा आपका भाग्य

Diwali 2024; दीपावली पर कमलगट्टा, कमल पुष्प शमी पत्र, हल्दी की गांठ, बिल्व की लकड़ी इन चीजों को माता लक्ष्मी को अर्पित करने से मनवांछित फल की प्राप्ति तो होती है. काशी के ज्योतिषाचार्य से जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि...

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दिवाली पर पूजन विधि. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

वाराणसी: इस साल दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है. वैसे तो दीपोत्सव का आगाज हो चुका है. ऐसे में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सही मुहूर्त में करना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि व्यापार, घर उद्योग हर जगह माता लक्ष्मी की कृपा से ही बरकत होती है. पूजन का विधान तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन कुछ ऐसी चीज भी हैं जो माता लक्ष्मी को अर्पित करने से विशेष कृपा मिलती है.

शुभ मुहूर्तः ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दिन में 3:12 पर लगेगी जो 1 नवंबर को शाम 5:13 तक रहेगी. 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:32 पर होगा कार्तिक अमावस्या सूर्यास्त से पहले 5:13 पर ही खत्म हो रही है और प्रतिपदा तिथि लग जा रही है. 1 नवंबर को प्रदोष काल व निशित काल दोनों में कार्तिक अमावस्या ना मिलने से 31 अक्टूबर को ही दीपावली शास्त्र सम्मत है और निर्णय सिंधु भी यही कहता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी (Video Credit; ETV Bharat)

स्थिर लग्न कल 6:27 से रात्रि 8:23 बजे तकः ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि 31 अक्टूबर को दीपावली के दिन बृहस्पतिवार का संयोग माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अति उत्तम है. क्योंकि ऐसा कम होता है कि गुरुवार को दीपावली पड़ रही हो. क्योंकि गुरुवार अपने आप में माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. यदि प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की आराधना की जाए तो निश्चित तौर पर धन-धान्य सौभाग्य सभी की प्राप्ति होती है. इस बार लग्न की प्रधानता को देखते हुए दीपावली का स्थिर लग्न कल 6:27 से रात्रि 8:23 तक होगा. यह सबसे उत्तम मुहूर्त है और इसी में पूजा करना विशेष फलदाई है. इसके बाद स्थिर लग्न मध्य रात्रि 12:53 से भर में 3:09 तक मान्य होगा इस समय भी माता लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदाई होती है. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि माता लक्ष्मी की आराधना का फल सही मुहूर्त में तो मिलता ही है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है माता लक्ष्मी को अर्पित की जाने वाली चीजें, जिसमें सबसे ज्यादा महत्व रखता है कमल पुष्प या कमल.

कमल पुष्प या कमलगट्टा: पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना कि माता लक्ष्मी को कमल पुष्प बेहद पसंद है. कमल पुष्प माता को इसलिए भी भाता है, क्योंकि वह इस पर विराजमान हैं और उनके हाथों में भी कमल पुष्प है. अति प्रिय कमल होने की वजह से माता लक्ष्मी को यदि 11, 21, 51 कमल पुष्प अर्पित किए जाएं तो निश्चित तौर पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कमलगट्टे की माला या कमलगट्टे का हलवा भी माता को अर्पित करें तो अति शुभ है. इतना ही नहीं कमलगट्टे की माला से माता लक्ष्मी का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है.

शमी पत्र: ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शमी पत्र माता को सबसे प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि यदि आपका कोई रुका हुआ कार्य है तो माता लक्ष्मी को शमी की पत्ती चढ़ाने से माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है. माता लक्ष्मी के साथ ही यदि आप अपने घर में चांदी के या स्वर्ण के सिक्कों का भी पूजन करते हैं तो पूजन के बाद जब आप मंत्र पुष्पांजलि के समय हाथों में पुष्प के साथ शमी पत्र को भी रखकर मां को अर्पित करें, इससे माता का आशीर्वाद मिलता है.

हल्दी की गांठ: पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक दीपावली की उपासना में देवी लक्ष्मी को हल्दी की गांठ भी चढ़ाई जाती है. हल्दी सबसे शुभ मानी जाती है और माता लक्ष्मी को हल्दी भी अति प्रिय है. इसलिए उनके चरणों में हल्दी की गांठ समर्पित करनी चाहिए. बाद में इस गांठ को अपने घर या अपने व्यापार स्थल के मुख्य द्वार पर बांध देना चाहिए, जिससे नेगेटिविटी खत्म होती है.

गुड़ और धनिया: गुड़ और धनिया माता लक्ष्मी की पूजा में जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि पैसों की तंगी को दूर करने के साथ ही माता लक्ष्मी को भोग लगाने में गुड़-धनिया का इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन घर में धनिया को बोने का भी चलन तेजी से बढ़ रहा है. माता लक्ष्मी को खड़ा गुड़ और खड़ा धनिया अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करना चाहिए.

विल्व लकड़ी से हवन: पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि दीपावली में माता लक्ष्मी और गणेश के पूजन के बाद बिल्व की लकड़ी से हवन भी किया जाता है. हवन के दौरान माता लक्ष्मी के नाम से आहुतियां देते हुए गाय के शुद्ध घी का प्रयोग आहुतियों में किया जाना चाहिए, अगर शीघ्र लाभ चाहिए तो कमलगट्टे को गाय के घी में डुबोकर उसकी आहुतियां दीजिए और भी ज्यादा लाभ मिलेगा.

इसे भी पढ़ें-वाराणसी में दीपावली : पांच नहीं इस बार छह दिनों तक मनाया जाएगा प्रकाश पर्व, जानिए शुभ मुहूर्त

वाराणसी: इस साल दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है. वैसे तो दीपोत्सव का आगाज हो चुका है. ऐसे में दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सही मुहूर्त में करना बेहद जरूरी होता है. क्योंकि व्यापार, घर उद्योग हर जगह माता लक्ष्मी की कृपा से ही बरकत होती है. पूजन का विधान तो महत्वपूर्ण है ही, लेकिन कुछ ऐसी चीज भी हैं जो माता लक्ष्मी को अर्पित करने से विशेष कृपा मिलती है.

शुभ मुहूर्तः ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दिन में 3:12 पर लगेगी जो 1 नवंबर को शाम 5:13 तक रहेगी. 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:32 पर होगा कार्तिक अमावस्या सूर्यास्त से पहले 5:13 पर ही खत्म हो रही है और प्रतिपदा तिथि लग जा रही है. 1 नवंबर को प्रदोष काल व निशित काल दोनों में कार्तिक अमावस्या ना मिलने से 31 अक्टूबर को ही दीपावली शास्त्र सम्मत है और निर्णय सिंधु भी यही कहता है.

ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी (Video Credit; ETV Bharat)

स्थिर लग्न कल 6:27 से रात्रि 8:23 बजे तकः ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि 31 अक्टूबर को दीपावली के दिन बृहस्पतिवार का संयोग माता लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अति उत्तम है. क्योंकि ऐसा कम होता है कि गुरुवार को दीपावली पड़ रही हो. क्योंकि गुरुवार अपने आप में माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. यदि प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की आराधना की जाए तो निश्चित तौर पर धन-धान्य सौभाग्य सभी की प्राप्ति होती है. इस बार लग्न की प्रधानता को देखते हुए दीपावली का स्थिर लग्न कल 6:27 से रात्रि 8:23 तक होगा. यह सबसे उत्तम मुहूर्त है और इसी में पूजा करना विशेष फलदाई है. इसके बाद स्थिर लग्न मध्य रात्रि 12:53 से भर में 3:09 तक मान्य होगा इस समय भी माता लक्ष्मी की आराधना विशेष फलदाई होती है. ज्योतिषाचार्य का कहना है कि माता लक्ष्मी की आराधना का फल सही मुहूर्त में तो मिलता ही है. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है माता लक्ष्मी को अर्पित की जाने वाली चीजें, जिसमें सबसे ज्यादा महत्व रखता है कमल पुष्प या कमल.

कमल पुष्प या कमलगट्टा: पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना कि माता लक्ष्मी को कमल पुष्प बेहद पसंद है. कमल पुष्प माता को इसलिए भी भाता है, क्योंकि वह इस पर विराजमान हैं और उनके हाथों में भी कमल पुष्प है. अति प्रिय कमल होने की वजह से माता लक्ष्मी को यदि 11, 21, 51 कमल पुष्प अर्पित किए जाएं तो निश्चित तौर पर मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कमलगट्टे की माला या कमलगट्टे का हलवा भी माता को अर्पित करें तो अति शुभ है. इतना ही नहीं कमलगट्टे की माला से माता लक्ष्मी का जाप करना भी लाभकारी माना जाता है.

शमी पत्र: ज्योतिषाचार्य का कहना है कि शमी पत्र माता को सबसे प्रिय है. ऐसा माना जाता है कि यदि आपका कोई रुका हुआ कार्य है तो माता लक्ष्मी को शमी की पत्ती चढ़ाने से माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है. माता लक्ष्मी के साथ ही यदि आप अपने घर में चांदी के या स्वर्ण के सिक्कों का भी पूजन करते हैं तो पूजन के बाद जब आप मंत्र पुष्पांजलि के समय हाथों में पुष्प के साथ शमी पत्र को भी रखकर मां को अर्पित करें, इससे माता का आशीर्वाद मिलता है.

हल्दी की गांठ: पंडित ऋषि द्विवेदी के मुताबिक दीपावली की उपासना में देवी लक्ष्मी को हल्दी की गांठ भी चढ़ाई जाती है. हल्दी सबसे शुभ मानी जाती है और माता लक्ष्मी को हल्दी भी अति प्रिय है. इसलिए उनके चरणों में हल्दी की गांठ समर्पित करनी चाहिए. बाद में इस गांठ को अपने घर या अपने व्यापार स्थल के मुख्य द्वार पर बांध देना चाहिए, जिससे नेगेटिविटी खत्म होती है.

गुड़ और धनिया: गुड़ और धनिया माता लक्ष्मी की पूजा में जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि पैसों की तंगी को दूर करने के साथ ही माता लक्ष्मी को भोग लगाने में गुड़-धनिया का इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन घर में धनिया को बोने का भी चलन तेजी से बढ़ रहा है. माता लक्ष्मी को खड़ा गुड़ और खड़ा धनिया अर्पित करने के बाद इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण भी करना चाहिए.

विल्व लकड़ी से हवन: पंडित ऋषि द्विवेदी का कहना है कि दीपावली में माता लक्ष्मी और गणेश के पूजन के बाद बिल्व की लकड़ी से हवन भी किया जाता है. हवन के दौरान माता लक्ष्मी के नाम से आहुतियां देते हुए गाय के शुद्ध घी का प्रयोग आहुतियों में किया जाना चाहिए, अगर शीघ्र लाभ चाहिए तो कमलगट्टे को गाय के घी में डुबोकर उसकी आहुतियां दीजिए और भी ज्यादा लाभ मिलेगा.

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