ETV Bharat / state

'अब चिट्ठी ना कोई संदेश..' खत लिखने का ट्रेंड भूल रहे हैं लोग, सरकारी कार्यालयों तक सिमटा पत्र लेखन - World Letter Writing Day - WORLD LETTER WRITING DAY

How To Write Letter: विश्व पत्र लेखन दिवस हर साल 1 सितंबर को मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य लोगों को पत्र भेजने की सरल सुंदरता को दिखता है. तकनीकी प्रगति ने संचार को तेज और अधिक सुविधाजनक बना दिया है, जिससे पत्रों का चलन विलुप्त होता जा रहा है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

How To Write Letter
विश्व पत्र लेखन दिवस (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Sep 1, 2024, 5:19 PM IST

विश्व पत्र लेखन दिवस (ETV Bharat)

पटना: आज 1 सितंबर को विश्व पत्र लेखन दिवस मनाया जाता है. पहले संदेश भेजने का सबसे पहला साधन पत्र ही हुआ करता था. घर से दूर रहने वाले लोग अपने परिजनों को पत्र के माध्यम से अपनी कुशलता की जानकारी देते थे. उन्हें इंतजार रहता था कि उनके पत्र का जवाब उनके घर से कब आएगा. जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ती गई डिजिटल क्रांति मजबूत होती गई वैसे ही चिट्ठी का दौर खत्म होता गया. अब चिट्ठी सिर्फ सरकारी कार्यालयों तक सिमट कर रह गई है.

भावनात्मक लगाव का माध्यम: एक बेटे द्वारा लिखी गई चिट्ठी का पहला वाक्य जिसमें अपने पिता के प्रति पुत्र के मन में कितनी श्रद्धा है वह दिखती थी. पूरे परिवार को लेकर घर से दूर बैठे बेटे के मन में कितनी फिक्र होती थी वह दिखता था. पत्र की शुरुआत में जब बेटा अपने पिता को सादर प्रणाम लिखता था तो पिता के मुंह से पहला शब्द उनके आशीर्वाद होता था. पिता, पुत्र, मां बेटे, या भाई-भाई के बीच वह भावनात्मक लगाव उसे लिखे हुए पत्र के हर अक्षर में महसूस होता था.

पत्र के जवाब को लेकर डाकिये का इंतजार: अपने परिजनों को लिखे हुए पत्र में सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों के बारे में ही नहीं बल्कि उनके रहने वाले जानवरों का भी कुशलता, खेत खलिहान में काम करने वाले मजदूरों के द्वारा सही समय पर अनाज भेजा गया या नहीं भेजा गया इन तमाम बातों का जिक्र रहता था. एक पत्र के माध्यम से अपने परिजनों से दूर बैठा हुआ आदमी अपने घर के आसपास के तमाम लोगों की जानकारी एक लेने की कोशिश करता था. पत्र का जवाब पत्र के माध्यम से ही दिया जाता था. यदि कोई पत्र लिखता था तो उसे खत के जवाब का इंतजार बेसब्री से राहत था. पिता के नाम भेजे गए पत्र का जवाब पिता भी उसी भावना से देते थे.

WORLD LETTER WRITING DAY
वीरान पड़े पोस्ट ऑफिस (ETV Bharat)

प्रेम का इजहार करने का बड़ा माध्यम: चिट्ठी प्रेम के इजहार का एक बड़ा मध्य हुआ करता था. प्रेमी प्रेमिका पत्र के माध्यम से एक दूसरे से प्रेम का इजहार करते थे. घर से बाहर नौकरी करने वाला पति अपनी पत्नी से पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात का इजहार करता था. जिसमें अपने घर के लोगों के कुशलता से लेकर अपने ससुराल के लोगों के बारे में भी जानकारी हासिल करते थे. कई फिल्मों में भी प्रेमी प्रेमिका कैसे एक दूसरे के पत्र का इंतजार करते थे वह दिखाया गया है.

पत्र लेखन का इतिहास: पत्र लिखने की परंपरा हजारों साल पहले शुरू हुई. हजारों सालों से इतिहास में पत्रों की अहम भूमिका रही है. प्राचीन इतिहासकार हेलेनिकस के अनुसार, माना जाता है कि पहला हस्तलिखित पत्र फारसी रानी अटोसा ने लगभग 500 ईसा पूर्व लिखा था.

भारतीय सिनेमा में भी पत्र की अहमियत: हिंदी सिनेमा में कई ऐसे फिल्म बने जिसमें डाकिया एवं पत्रों के माध्यम से प्रेमी एवं प्रेमिका के बीच पत्राचार को दर्शाया गया है. जो आज भी लोगों के जेहन में है. चिट्ठी को लेकर कई ऐसे फिल्मी गीत बने जो आज भी लोगों के दिल मे अलग जगह बनाई हुई है. फिल्म शोले में 'इकबाल को लेकर लिखी गई चिट्ठी' हो, राजेश खन्ना द्वारा अभिनीत फिल्म 'डाकिया डाक लाया' अभी भी लोगों के जेहन में दौड़ता है. सलमान खान की फिल्म 'मैने प्यार किया' में 'कबूतर' द्वारा भेजे गए चिट्ठी वाला वह गाना आज भी लोग गुनगुनाते नजर आते हैं.

गजलों में चिट्ठी का जिक्र: कई ऐसी गजलें बनी जो चिट्ठी को लेकर आज भी अमर हो गई है. जगजीत सिंह द्वारा गया गया गजल "चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए" पंकज उधास द्वारा गया गया गजल "चिट्ठी आई है वतन की चिट्ठी आई है" अभी भी लोग इस अंदाज में सुनते हैं जो पहले सुना करते थे. पत्रों का ऐसा कृष्ण की प्रेमिका अपने प्रेमी को इंप्रेस करने के लिए खून से लिखे हुए पत्र भी भेजने लगी थी.

WORLD LETTER WRITING DAY
पत्र की संख्या में आई भारी कमी (ETV Bharat)

डाक विभाग द्वारा पत्राचार के प्रकार: भारत में जब डाक विभाग द्वारा पत्राचार का दौर शुरू हुआ. लोगों के बीच संदेश का सबसे बड़ा माध्यम डाक ही था. पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र, लिफाफा, बैरन पत्र, का स्वरूप बढ़ाते बढ़ाते स्पीड पोस्ट तक पहुंच गया. पहले पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या साधारण डाक द्वारा पत्र भेजने पर एक हफ्ता से 10 दिन तक लग जाता था लेकिन बाद में डाक विभाग में स्पीड पोस्ट सेवा की शुरुआत की ताकि लोगों को जल्द पत्र मिल सके.

धीरे-धीरे पत्रों का प्रचलन कम: 90 के दशक के बाद देश में संचार क्रांति में व्यापक परिवर्तन होने लगा. दूरसंचार के क्षेत्र में टेलीफोन का पदार्पण हुआ. गांव-गांव तक टेलीफोन की सुविधा बढ़ने लगी. जैसे-जैसे टेलीफोन का प्रभाव बढ़ने लगा वैसे-वैसे पत्र लिखने की परंपरा कम होने लगी. टेलीफोन के बाद 21वीं शताब्दी में मोबाइल आवश्यक आवश्यकता बन गई है. देश के हर दूसरे हाथ में मोबाइल है.

मोबाइल ने लाया काफी परिवर्तन: जब से मोबाइल का प्रचलन बढ़ा उसके बाद टेलीफोन और पत्र दोनों की अहमियत धीरे-धीरे कम होने लगी. अब मोबाइल पर अनेक ऐसे एप है जिसके माध्यम से सेकंड में अपना संदेश दुनिया के किसी कोने में भेज सकते हैं. इसके लिए पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ते. जब से व्हाट्सएप इंस्टाग्राम फेसबुक ट्विटर टेलीग्राम जैसे अनेक सोशल साइट हैं जिन पर लोग चंद सेकंड में अपना संदेश भेज देते हैं.

जेहन में अभी भी पत्र से जुड़ी यादें: पटना विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी पत्र लिखने के शौकीन थे. उन्होंने पत्र लिखने से जुड़ी हुई अनेक रोचक जानकारी ईटीवी भारत के साथ साझा की. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि मैं आपके साथ के दशक का किस्सा सुनाता हूं, 1964 पटना विश्वविद्यालय का छात्र था और जंक्शन हॉस्टल में रहता था इस समय के हॉस्टल के पते से मुझे जापान और जर्मनी से हर रोज मेरे पास पत्र आते थे. हमारे साथी कहा करते थे कि आपको हर रोज कहां से पत्र आता है, क्यों आता है. इसका बड़ा कारण था कि मैं पत्र लिखता था.

WORLD LETTER WRITING DAY
खत लिखने का ट्रेंड भूल रहे हैं लोग (ETV Bharat)

"मैं अपने परिजनों को पत्र लिखता था, यह केवल परिवार तक ही सीमित नहीं था. हमारे अनेक मित्र भी थे जो देश के बाहर विदेशों तक फैले थे. एक ऐसे व्यक्ति थे जो उम्र में मुझसे 40 साल बड़े थे और वेस्ट जर्मनी के स्पेशल एडवाइजर थे. कई पत्र अभी भी उनके पास संकलित हैं, जिनमें उन्होंने लिखा है कि वह अभी इंडिया के ऊपर से उड़ रहे हैं और आपको पत्र लिख रहे हैं. पत्र लिखना एक पर्सनल एलिमेंट होता था यह लोगों से जुड़ी हुई भावनात्मक अभिव्यक्ति होती थी."- नवल किशोर चौधरी, प्रोफेसर

85 पैसे का होता था एयरोग्राम: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि उसे समय पत्राचार करना महंगा होता था. 85 पैसे का एयरोग्राम होता था जो उसे समय इंग्लैंड भेजता था तो 15-20 दिन में वह पत्र वहां पहुंचता था. जॉन हिक्स के पत्नी जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी उनको उन्होंने एक पत्र लिखा था और हिक्स के सिद्धांत को काटा था तो उन्होंने उनके पत्र का जवाब भी दिया था. पत्र लिखना है के बारे में यही कहा जा सकता है कि यह भावना की अभिव्यक्ति थी और ज्ञान का आदान-प्रदान होता था. ऐसे मानवीय और सामाजिक संबंध स्थापित होते थे पत्रों के माध्यम से जिससे भाईचारे को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता था.

पत्राचार खत्म होने का कारण: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का मानना है कि धीरे-धीरे पत्र लिखने की परिपाटी खत्म होने के पीछे टेक्नोलॉजी का बीच में इंटरवेंशन हो गया और दूसरा सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था में परिवर्तन हो गया. पहले का समाज और आज का समाज भिन्न हो गया है. पहले लोग पत्र के माध्यम से एक-दूसरे से संपर्क में रहते थे. लोगों के प्रति कमर्शियल रिलेशनशिप डेवलप हो गया है, व्यक्तिगत संबंध में गिरावट आई है और यह व्यावहार हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है. टेक्नोलॉजी ने तो इसे और ज्यादा प्रभावित कर दिया है. आज अब फोन की बात क्या करें अब ईमेल का जमाना आ गया है और सेकंड में अपना संदेश दूसरे को भेज सकते हैं.

डाक माध्यम का बदलता स्वरूप: भले ही पत्र लिखने की परंपरा अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है लेकिन डाक वितरण के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है. भारत में डाक सेवा की व्यवस्था साल 1766 में स्थापित की गई और भारत में पहला डाकघर 1786 में मद्रास में स्थापित किया गया. 1877 में पार्सल सेवा, 1879 में पोस्ट कार्ड, 1880 में मनी आर्डर और 1911 में इलाहाबाद से पहली एयरमेल सेवा शुरू की गई. डाकिए द्वारा चिट्ठी बांटने से स्पीड पोस्ट और स्पीड पोस्ट से ई-पोस्ट के युग में पहुंच गया है.

1986 में शुरू हुआ स्पीड पोस्ट: सबसे पहले पोस्ट कार्ड 1879 में चलाया गया जबकि वैल्यू पेएबल पार्सल (वीपीपी), पार्सल और बीमा पार्सल 1977 में शुरू किए गए. भारतीय पोस्टल आर्डर 1930 में शुरू हुआ. तेज डाक वितरण के लिए पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिनकोड) 1972 में शुरू हुआ. तेजी से बदलते परिदृश्य और हालात को मद्दे नजर रखते हुए 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया. समय की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुई ओर 1994 में मेट्रो, राजधानी, व्यापार चैनल, ईपीएस और वीसैट के माध्यम से मनी आर्डर भेजा जाना शुरू किया गया.

पढ़ें-पत्र लेखन की विलुप्त होती कला, आपने अंतिम बार कब लिखा था पत्र, क्या याद है आपको ? - World Letter Writing Day

विश्व पत्र लेखन दिवस (ETV Bharat)

पटना: आज 1 सितंबर को विश्व पत्र लेखन दिवस मनाया जाता है. पहले संदेश भेजने का सबसे पहला साधन पत्र ही हुआ करता था. घर से दूर रहने वाले लोग अपने परिजनों को पत्र के माध्यम से अपनी कुशलता की जानकारी देते थे. उन्हें इंतजार रहता था कि उनके पत्र का जवाब उनके घर से कब आएगा. जैसे-जैसे आधुनिकता बढ़ती गई डिजिटल क्रांति मजबूत होती गई वैसे ही चिट्ठी का दौर खत्म होता गया. अब चिट्ठी सिर्फ सरकारी कार्यालयों तक सिमट कर रह गई है.

भावनात्मक लगाव का माध्यम: एक बेटे द्वारा लिखी गई चिट्ठी का पहला वाक्य जिसमें अपने पिता के प्रति पुत्र के मन में कितनी श्रद्धा है वह दिखती थी. पूरे परिवार को लेकर घर से दूर बैठे बेटे के मन में कितनी फिक्र होती थी वह दिखता था. पत्र की शुरुआत में जब बेटा अपने पिता को सादर प्रणाम लिखता था तो पिता के मुंह से पहला शब्द उनके आशीर्वाद होता था. पिता, पुत्र, मां बेटे, या भाई-भाई के बीच वह भावनात्मक लगाव उसे लिखे हुए पत्र के हर अक्षर में महसूस होता था.

पत्र के जवाब को लेकर डाकिये का इंतजार: अपने परिजनों को लिखे हुए पत्र में सिर्फ अपने परिवार के सदस्यों के बारे में ही नहीं बल्कि उनके रहने वाले जानवरों का भी कुशलता, खेत खलिहान में काम करने वाले मजदूरों के द्वारा सही समय पर अनाज भेजा गया या नहीं भेजा गया इन तमाम बातों का जिक्र रहता था. एक पत्र के माध्यम से अपने परिजनों से दूर बैठा हुआ आदमी अपने घर के आसपास के तमाम लोगों की जानकारी एक लेने की कोशिश करता था. पत्र का जवाब पत्र के माध्यम से ही दिया जाता था. यदि कोई पत्र लिखता था तो उसे खत के जवाब का इंतजार बेसब्री से राहत था. पिता के नाम भेजे गए पत्र का जवाब पिता भी उसी भावना से देते थे.

WORLD LETTER WRITING DAY
वीरान पड़े पोस्ट ऑफिस (ETV Bharat)

प्रेम का इजहार करने का बड़ा माध्यम: चिट्ठी प्रेम के इजहार का एक बड़ा मध्य हुआ करता था. प्रेमी प्रेमिका पत्र के माध्यम से एक दूसरे से प्रेम का इजहार करते थे. घर से बाहर नौकरी करने वाला पति अपनी पत्नी से पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात का इजहार करता था. जिसमें अपने घर के लोगों के कुशलता से लेकर अपने ससुराल के लोगों के बारे में भी जानकारी हासिल करते थे. कई फिल्मों में भी प्रेमी प्रेमिका कैसे एक दूसरे के पत्र का इंतजार करते थे वह दिखाया गया है.

पत्र लेखन का इतिहास: पत्र लिखने की परंपरा हजारों साल पहले शुरू हुई. हजारों सालों से इतिहास में पत्रों की अहम भूमिका रही है. प्राचीन इतिहासकार हेलेनिकस के अनुसार, माना जाता है कि पहला हस्तलिखित पत्र फारसी रानी अटोसा ने लगभग 500 ईसा पूर्व लिखा था.

भारतीय सिनेमा में भी पत्र की अहमियत: हिंदी सिनेमा में कई ऐसे फिल्म बने जिसमें डाकिया एवं पत्रों के माध्यम से प्रेमी एवं प्रेमिका के बीच पत्राचार को दर्शाया गया है. जो आज भी लोगों के जेहन में है. चिट्ठी को लेकर कई ऐसे फिल्मी गीत बने जो आज भी लोगों के दिल मे अलग जगह बनाई हुई है. फिल्म शोले में 'इकबाल को लेकर लिखी गई चिट्ठी' हो, राजेश खन्ना द्वारा अभिनीत फिल्म 'डाकिया डाक लाया' अभी भी लोगों के जेहन में दौड़ता है. सलमान खान की फिल्म 'मैने प्यार किया' में 'कबूतर' द्वारा भेजे गए चिट्ठी वाला वह गाना आज भी लोग गुनगुनाते नजर आते हैं.

गजलों में चिट्ठी का जिक्र: कई ऐसी गजलें बनी जो चिट्ठी को लेकर आज भी अमर हो गई है. जगजीत सिंह द्वारा गया गया गजल "चिट्ठी ना कोई संदेश जाने वो कौन सा देश जहां तुम चले गए" पंकज उधास द्वारा गया गया गजल "चिट्ठी आई है वतन की चिट्ठी आई है" अभी भी लोग इस अंदाज में सुनते हैं जो पहले सुना करते थे. पत्रों का ऐसा कृष्ण की प्रेमिका अपने प्रेमी को इंप्रेस करने के लिए खून से लिखे हुए पत्र भी भेजने लगी थी.

WORLD LETTER WRITING DAY
पत्र की संख्या में आई भारी कमी (ETV Bharat)

डाक विभाग द्वारा पत्राचार के प्रकार: भारत में जब डाक विभाग द्वारा पत्राचार का दौर शुरू हुआ. लोगों के बीच संदेश का सबसे बड़ा माध्यम डाक ही था. पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र, लिफाफा, बैरन पत्र, का स्वरूप बढ़ाते बढ़ाते स्पीड पोस्ट तक पहुंच गया. पहले पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय पत्र या साधारण डाक द्वारा पत्र भेजने पर एक हफ्ता से 10 दिन तक लग जाता था लेकिन बाद में डाक विभाग में स्पीड पोस्ट सेवा की शुरुआत की ताकि लोगों को जल्द पत्र मिल सके.

धीरे-धीरे पत्रों का प्रचलन कम: 90 के दशक के बाद देश में संचार क्रांति में व्यापक परिवर्तन होने लगा. दूरसंचार के क्षेत्र में टेलीफोन का पदार्पण हुआ. गांव-गांव तक टेलीफोन की सुविधा बढ़ने लगी. जैसे-जैसे टेलीफोन का प्रभाव बढ़ने लगा वैसे-वैसे पत्र लिखने की परंपरा कम होने लगी. टेलीफोन के बाद 21वीं शताब्दी में मोबाइल आवश्यक आवश्यकता बन गई है. देश के हर दूसरे हाथ में मोबाइल है.

मोबाइल ने लाया काफी परिवर्तन: जब से मोबाइल का प्रचलन बढ़ा उसके बाद टेलीफोन और पत्र दोनों की अहमियत धीरे-धीरे कम होने लगी. अब मोबाइल पर अनेक ऐसे एप है जिसके माध्यम से सेकंड में अपना संदेश दुनिया के किसी कोने में भेज सकते हैं. इसके लिए पैसे भी खर्च नहीं करने पड़ते. जब से व्हाट्सएप इंस्टाग्राम फेसबुक ट्विटर टेलीग्राम जैसे अनेक सोशल साइट हैं जिन पर लोग चंद सेकंड में अपना संदेश भेज देते हैं.

जेहन में अभी भी पत्र से जुड़ी यादें: पटना विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी पत्र लिखने के शौकीन थे. उन्होंने पत्र लिखने से जुड़ी हुई अनेक रोचक जानकारी ईटीवी भारत के साथ साझा की. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि मैं आपके साथ के दशक का किस्सा सुनाता हूं, 1964 पटना विश्वविद्यालय का छात्र था और जंक्शन हॉस्टल में रहता था इस समय के हॉस्टल के पते से मुझे जापान और जर्मनी से हर रोज मेरे पास पत्र आते थे. हमारे साथी कहा करते थे कि आपको हर रोज कहां से पत्र आता है, क्यों आता है. इसका बड़ा कारण था कि मैं पत्र लिखता था.

WORLD LETTER WRITING DAY
खत लिखने का ट्रेंड भूल रहे हैं लोग (ETV Bharat)

"मैं अपने परिजनों को पत्र लिखता था, यह केवल परिवार तक ही सीमित नहीं था. हमारे अनेक मित्र भी थे जो देश के बाहर विदेशों तक फैले थे. एक ऐसे व्यक्ति थे जो उम्र में मुझसे 40 साल बड़े थे और वेस्ट जर्मनी के स्पेशल एडवाइजर थे. कई पत्र अभी भी उनके पास संकलित हैं, जिनमें उन्होंने लिखा है कि वह अभी इंडिया के ऊपर से उड़ रहे हैं और आपको पत्र लिख रहे हैं. पत्र लिखना एक पर्सनल एलिमेंट होता था यह लोगों से जुड़ी हुई भावनात्मक अभिव्यक्ति होती थी."- नवल किशोर चौधरी, प्रोफेसर

85 पैसे का होता था एयरोग्राम: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी ने कहा कि उसे समय पत्राचार करना महंगा होता था. 85 पैसे का एयरोग्राम होता था जो उसे समय इंग्लैंड भेजता था तो 15-20 दिन में वह पत्र वहां पहुंचता था. जॉन हिक्स के पत्नी जो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थी उनको उन्होंने एक पत्र लिखा था और हिक्स के सिद्धांत को काटा था तो उन्होंने उनके पत्र का जवाब भी दिया था. पत्र लिखना है के बारे में यही कहा जा सकता है कि यह भावना की अभिव्यक्ति थी और ज्ञान का आदान-प्रदान होता था. ऐसे मानवीय और सामाजिक संबंध स्थापित होते थे पत्रों के माध्यम से जिससे भाईचारे को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता था.

पत्राचार खत्म होने का कारण: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का मानना है कि धीरे-धीरे पत्र लिखने की परिपाटी खत्म होने के पीछे टेक्नोलॉजी का बीच में इंटरवेंशन हो गया और दूसरा सामाजिक सांस्कृतिक व्यवस्था में परिवर्तन हो गया. पहले का समाज और आज का समाज भिन्न हो गया है. पहले लोग पत्र के माध्यम से एक-दूसरे से संपर्क में रहते थे. लोगों के प्रति कमर्शियल रिलेशनशिप डेवलप हो गया है, व्यक्तिगत संबंध में गिरावट आई है और यह व्यावहार हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है. टेक्नोलॉजी ने तो इसे और ज्यादा प्रभावित कर दिया है. आज अब फोन की बात क्या करें अब ईमेल का जमाना आ गया है और सेकंड में अपना संदेश दूसरे को भेज सकते हैं.

डाक माध्यम का बदलता स्वरूप: भले ही पत्र लिखने की परंपरा अब धीरे-धीरे खत्म हो रही है लेकिन डाक वितरण के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है. भारत में डाक सेवा की व्यवस्था साल 1766 में स्थापित की गई और भारत में पहला डाकघर 1786 में मद्रास में स्थापित किया गया. 1877 में पार्सल सेवा, 1879 में पोस्ट कार्ड, 1880 में मनी आर्डर और 1911 में इलाहाबाद से पहली एयरमेल सेवा शुरू की गई. डाकिए द्वारा चिट्ठी बांटने से स्पीड पोस्ट और स्पीड पोस्ट से ई-पोस्ट के युग में पहुंच गया है.

1986 में शुरू हुआ स्पीड पोस्ट: सबसे पहले पोस्ट कार्ड 1879 में चलाया गया जबकि वैल्यू पेएबल पार्सल (वीपीपी), पार्सल और बीमा पार्सल 1977 में शुरू किए गए. भारतीय पोस्टल आर्डर 1930 में शुरू हुआ. तेज डाक वितरण के लिए पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिनकोड) 1972 में शुरू हुआ. तेजी से बदलते परिदृश्य और हालात को मद्दे नजर रखते हुए 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया. समय की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुई ओर 1994 में मेट्रो, राजधानी, व्यापार चैनल, ईपीएस और वीसैट के माध्यम से मनी आर्डर भेजा जाना शुरू किया गया.

पढ़ें-पत्र लेखन की विलुप्त होती कला, आपने अंतिम बार कब लिखा था पत्र, क्या याद है आपको ? - World Letter Writing Day

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.