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जगन्नाथ पहाड़ियाः 4 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे, प्रदेश के पहले दलित मुख्यमंत्री बने, सीएम से हटे तो तीन बार हारे - Jagannath Pahadia - JAGANNATH PAHADIA

Jagannath Pahadia Political Journey, राजस्थान के सबसे कम उम्र के सांसद और प्रदेश के पहले दलित मुख्यमंत्री बनने वाले जगन्नाथ पहाड़िया का राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा. पहाड़िया 4 बार सांसद और 4 बार विधायक रहे. वहीं, एक समय ऐसा भी रहा, जहां वो एक के बाद एक कई चुनाव हार गए. आइये जानते हैं पहाड़िया की राजनीतिक कहानी....

CM Jagannath Pahadia
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 28, 2024, 4:26 PM IST

भरतपुर. राजनीति में कब किसकी किस्मत का सितारा बुलंद हो जाए और कब सिंहासन छिन जाए कोई नहीं जानता. राजनीति के इतिहास में ऐसे दर्जनों किस्से भरे पड़े हैं. भरतपुर जिले के भुसावर में साधारण परिवार में जन्मे जगन्नाथ पहाड़िया का राजनीतिक सफर भी कुछ इसी तरह के असाधारण किस्सों से भरा हुआ रहा. जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने चार बार लोकसभा चुनाव और चार बार विधानसभा चुनाव जीते. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया की जिंदगी में भी ऐसा दौर आया, जब उन्हें एक के बाद एक तीन लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली.

वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने बताया कि जगन्नाथ पहाड़िया का जन्म भुसावर में 15 जनवरी 1932 को हुआ था. वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव से पहले भरतपुर निवासी कांग्रेसी नेता मास्टर आदित्येंद्र ने जगन्नाथ पहाड़िया की मुलाकात दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से करा दी. बातों ही बातों में जगन्नाथ पहाड़िया को कांग्रेस का लोकसभा टिकट मिल गया और जगन्नाथ पहाड़िया महज 25 साल 2 माह की उम्र में सवाई माधोपुर लोकसभा से चुनाव जीत गए. पहाड़िया चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बने थे.

पढ़ें. इस साधारण परिवार के प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे मुख्यमंत्री, बाद में आईएएस को भी दी मात दी

4 बार सांसद, 4 बार विधायक : वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने बताया कि वर्ष 1957 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मानो जगन्नाथ पहाड़िया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद पहाड़िया वर्ष 1967, 1971 और 1980 का लोकसभा चुनाव भी जीते. बाद में 1980, 1985, 1999 और 2003 में विधानसभा चुनाव भी जीते.

सीएम की कुर्सी गई, तीन चुनाव हारे : उस वक्त जगन्नाथ पहाड़िया राजनीति में चमकते हुए सितारे थे. चार लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया गया. वो राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री थे, लेकिन कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताओं पर टिप्पणी करने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे इस्तीफा ले लिया. इस तरह सिर्फ 13 माह में ही जगन्नाथ पहाड़िया की मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई. इसके बाद जगन्नाथ पहाड़िया वर्ष 1991 व 1998 में भाजपा के गंगाराम कोली से और 1999 में भाजपा के बहादुर सिंह कोली से लोकसभा चुनाव हार गए. हालांकि, उन्होंने 1985, 1999 और 2003 का विधानसभा चुनाव जीत लिया था.

स्वर्णिम राजनीतिक सफर : जगन्नाथ पहाड़िया का राजनीतिक सफर बड़ा ही स्वर्णिम रहा. 4 बार सांसद, 4 बार विधायक और एक बार मुख्यमंत्री बनने के साथ ही वो वर्ष 1989 से 1990 तक बिहार के राज्यपाल भी रहे. 2009 से 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल रहे. इसके अलावा जगन्नाथ पहाड़िया, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे.

भरतपुर. राजनीति में कब किसकी किस्मत का सितारा बुलंद हो जाए और कब सिंहासन छिन जाए कोई नहीं जानता. राजनीति के इतिहास में ऐसे दर्जनों किस्से भरे पड़े हैं. भरतपुर जिले के भुसावर में साधारण परिवार में जन्मे जगन्नाथ पहाड़िया का राजनीतिक सफर भी कुछ इसी तरह के असाधारण किस्सों से भरा हुआ रहा. जगन्नाथ पहाड़िया राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने चार बार लोकसभा चुनाव और चार बार विधानसभा चुनाव जीते. पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया की जिंदगी में भी ऐसा दौर आया, जब उन्हें एक के बाद एक तीन लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली.

वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने बताया कि जगन्नाथ पहाड़िया का जन्म भुसावर में 15 जनवरी 1932 को हुआ था. वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव से पहले भरतपुर निवासी कांग्रेसी नेता मास्टर आदित्येंद्र ने जगन्नाथ पहाड़िया की मुलाकात दिल्ली में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से करा दी. बातों ही बातों में जगन्नाथ पहाड़िया को कांग्रेस का लोकसभा टिकट मिल गया और जगन्नाथ पहाड़िया महज 25 साल 2 माह की उम्र में सवाई माधोपुर लोकसभा से चुनाव जीत गए. पहाड़िया चुनाव जीतकर सबसे युवा सांसद बने थे.

पढ़ें. इस साधारण परिवार के प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे मुख्यमंत्री, बाद में आईएएस को भी दी मात दी

4 बार सांसद, 4 बार विधायक : वरिष्ठ पत्रकार राकेश वशिष्ठ ने बताया कि वर्ष 1957 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मानो जगन्नाथ पहाड़िया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद पहाड़िया वर्ष 1967, 1971 और 1980 का लोकसभा चुनाव भी जीते. बाद में 1980, 1985, 1999 और 2003 में विधानसभा चुनाव भी जीते.

सीएम की कुर्सी गई, तीन चुनाव हारे : उस वक्त जगन्नाथ पहाड़िया राजनीति में चमकते हुए सितारे थे. चार लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें राजस्थान का मुख्यमंत्री बना दिया गया. वो राजस्थान के पहले दलित मुख्यमंत्री थे, लेकिन कवयित्री महादेवी वर्मा की कविताओं पर टिप्पणी करने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे इस्तीफा ले लिया. इस तरह सिर्फ 13 माह में ही जगन्नाथ पहाड़िया की मुख्यमंत्री की कुर्सी चली गई. इसके बाद जगन्नाथ पहाड़िया वर्ष 1991 व 1998 में भाजपा के गंगाराम कोली से और 1999 में भाजपा के बहादुर सिंह कोली से लोकसभा चुनाव हार गए. हालांकि, उन्होंने 1985, 1999 और 2003 का विधानसभा चुनाव जीत लिया था.

स्वर्णिम राजनीतिक सफर : जगन्नाथ पहाड़िया का राजनीतिक सफर बड़ा ही स्वर्णिम रहा. 4 बार सांसद, 4 बार विधायक और एक बार मुख्यमंत्री बनने के साथ ही वो वर्ष 1989 से 1990 तक बिहार के राज्यपाल भी रहे. 2009 से 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल रहे. इसके अलावा जगन्नाथ पहाड़िया, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री भी रहे.

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