किशनगंजः बिहार में सरकारी अस्पतालों की बदहाली किसी से छिपी नहीं है, लेकिन इस बदहाल व्यवस्था में अस्पताल के कर्मचारियों की कैसी चांदी है, किशनगंज से आई ये खबर बता रही है. दरअसल सदर अस्पताल के एक ब्लड बैंक का कर्मचारी 8 साल से स्वास्थ्य विभाग को चूना लगा रहा था और किसी को कानोंकान खबर तक नहीं थी. जब सदर अस्पताल की ऑडिट के दौरान 8 साल से चले आ रहे गड़बड़झाले का खुलासा हुआ तो 57 लाख 74 हजार 311 रुपये का घोटाला सामने आ गया.
9 साल तक प्रोसेसिंग फीस नहीं जमा कीः जानकारी के मुताबिक 2016 से 2024 के अप्रैल माह तक ब्लड बैंक की प्रोसेसिंग फी की राशि ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर ने जमा ही नहीं करवाई. ये राशि 8 साल में 57 लाख 74 हजार 311 रुपए हो चुकी थी. ऑडिट के बाद अस्पताल प्रशासन के दबाव के बाद कर्मचारी अशोक कुमार ठाकुर ने 12 लाख रुपए जमा करवा दिए हैं.
26 जुलाई तक जमा करने के थे निर्देशः कर्मचारी अशोक ठाकुर ने अभी तक बाकी 47 लाख 74 हजार 311 रुपए अबतक जमा नहीं किए हैं. जबकि सिविल सर्जन ने 26 जुलाई तक ही पूरी राशि जमा कराने के निर्देश दिए थे. बाकी रकम जमा नहीं कराने पर अशोक ठाकुर की सैलरी रोक दी गयी है और आगे की कार्रवाई की तैयारी की जा रही है.
"कुछ दिनों पहले ऑडिट के दौरान इस गड़बड़ी का पता चला. इसके बाद से हम लोगों ने रुपए की रिकवरी को लेकर कर्मचारी अशोक ठाकुर के ऊपर दबाव बनाया तो उसने 12 लाख रुपये जमा किए हैं और 26 जुलाई तक पूरी राशि जमा करने के निर्देश दिए गये थे, लेकिन अभी राशि जमा नहीं कराई गयी है. कर्मचारी की सैलरी रोक दी गयी और आगे कार्रवाई की जाएगी."- राजेश कुमार, सिविल सर्जन
25 मई को आई थी ऑडिट रिपोर्टः सदर अस्पताल में ऑडिट टीम ने 13 मई से 25 मई तक ऑडिट किया था, जिसमें इस गबन का खुलासा हुआ था. दरअसल ब्लड बैंक से ब्लड लेने के लिए प्रोसेसिंग फी के नाम पर 500 रुपये की रसीद काटी जाती है. इस राशि को सरकारी खाते में बैंक में जमा करवाया जाता है लेकिन ब्लड बैंक के कर्मी अशोक कुमार ठाकुर ने 2016 से इस राशि को जमा नहीं किया और अपने लिए इस्तेमाल करता रहा.