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सफदरजंग अस्पताल में पहली बार किया गया अलग-अलग ब्लड ग्रुप का किडनी ट्रांसप्लांट

Kidney transplant Safdarjung Hospital: दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में पहली बार अलग-अलग ब्लड ग्रुप के किडनी का ट्रांसप्लांट किया गया. यह ट्रांसप्लांट सफल रहा.

safdarjung hospital in delhi
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 14, 2024, 12:25 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में हाल ही में ऐसा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है, जिसमें एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाली 28 वर्षीय महिला ने अपने 43 वर्षीय पति को किडनी डोनेट कर एक नया जीवन दिया. अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण विभाग की प्रभारी अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना चक्रवर्ती ने बताया कि यह किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा.

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दूसरे दिन तक किडनी के पैरामीटर सामान्य हो गए और मरीज को बिना किसी जटिलता के छुट्टी दे दी गई. वीएमएमसी और सफदरजंग हॉस्पिटल की प्रिंसिपल डॉ. गीतिका खन्ना ने ट्रांसप्लांट टीम के प्रयासों की सराहना की. वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण 2013 में शुरू हुआ था, लेकिन यह पहली बार था जब एक ऐसा किडनी प्रत्यारोपण किया गया, जहां डोनर और प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप अलग-अलग थे.

प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व करने वाले यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पवन वासुदेवा ने बताया कि दुर्भाग्य से मरीज को दो साल पहले किडनी फेल्योर का पता चला था और वह छह महीने से डायलिसिस पर था. पूरे ट्रांसप्लांट की जटिलता यह थी कि, जहां पत्नी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था, वहीं पति का ग्रुप बी पॉजिटिव था. इससे अनोखी चुनौतियां सामने आईं, क्योंकि पति के शरीर में पहले से ही एंटीबॉडीज थीं जो पत्नी की किडनी को अस्वीकार कर सकती थी. इससे ट्रांसप्लांट विफल हो सकता था.

यह भी पढ़ें-अब इलाज से मना नहीं करेंगे दिल्ली सरकार के अस्पताल, मरीज को दूसरे अस्पताल में रेफर करने पर देनी होगी जानकारी

वहीं नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर और यूनिट हेड डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि, पति में एंटीबॉडी के उच्च स्तर को कम करने के लिए डिसेन्सिस्टाइजेशन की एक प्रक्रिया की गई, ताकि प्रत्यारोपण का प्रयास किया जा सके. इस ट्रांसप्लांट का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. पवन वासुदेवा ने किया और नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर हिमांशु वर्मा और डॉ. राजेश कुमार ने किया. वहीं डॉ. सुशील गुरिया की अध्यक्षता वाली एक टीम ने मरीज को एनेस्थीसिया सहायता प्रदान की गई.

यह भी पढ़ें-प्रमोद की मौत मामले में जांच के दायरे में लोकनायक अस्पताल, जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई

नई दिल्ली: राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में हाल ही में ऐसा किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है, जिसमें एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप वाली 28 वर्षीय महिला ने अपने 43 वर्षीय पति को किडनी डोनेट कर एक नया जीवन दिया. अस्पताल में अंग प्रत्यारोपण विभाग की प्रभारी अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना चक्रवर्ती ने बताया कि यह किडनी प्रत्यारोपण सफल रहा.

उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के दूसरे दिन तक किडनी के पैरामीटर सामान्य हो गए और मरीज को बिना किसी जटिलता के छुट्टी दे दी गई. वीएमएमसी और सफदरजंग हॉस्पिटल की प्रिंसिपल डॉ. गीतिका खन्ना ने ट्रांसप्लांट टीम के प्रयासों की सराहना की. वहीं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वंदना तलवार ने बताया कि सफदरजंग अस्पताल में किडनी प्रत्यारोपण 2013 में शुरू हुआ था, लेकिन यह पहली बार था जब एक ऐसा किडनी प्रत्यारोपण किया गया, जहां डोनर और प्राप्तकर्ता के ब्लड ग्रुप अलग-अलग थे.

प्रत्यारोपण टीम का नेतृत्व करने वाले यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. पवन वासुदेवा ने बताया कि दुर्भाग्य से मरीज को दो साल पहले किडनी फेल्योर का पता चला था और वह छह महीने से डायलिसिस पर था. पूरे ट्रांसप्लांट की जटिलता यह थी कि, जहां पत्नी का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव था, वहीं पति का ग्रुप बी पॉजिटिव था. इससे अनोखी चुनौतियां सामने आईं, क्योंकि पति के शरीर में पहले से ही एंटीबॉडीज थीं जो पत्नी की किडनी को अस्वीकार कर सकती थी. इससे ट्रांसप्लांट विफल हो सकता था.

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वहीं नेफ्रोलॉजी के प्रोफेसर और यूनिट हेड डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि, पति में एंटीबॉडी के उच्च स्तर को कम करने के लिए डिसेन्सिस्टाइजेशन की एक प्रक्रिया की गई, ताकि प्रत्यारोपण का प्रयास किया जा सके. इस ट्रांसप्लांट का नेतृत्व यूरोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. पवन वासुदेवा ने किया और नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रोफेसर हिमांशु वर्मा और डॉ. राजेश कुमार ने किया. वहीं डॉ. सुशील गुरिया की अध्यक्षता वाली एक टीम ने मरीज को एनेस्थीसिया सहायता प्रदान की गई.

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