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मर्डर की पूरी सजा काटी, अब हाईकोर्ट ने बताया निर्दोष, पढ़ें- खौफनाक साजिश की कहानी

खंडवा में हत्या के मामले में जिस महिला ने जेल में पूरी सजा काट ली, वह निर्दोष साबित हुई. गवाहों व पुलिस पर गाज गिरी.

Khandwa Murder Case
मर्डर केस में महिला ने जेल में पूरी सजा काटी,अब निर्दोष साबित (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 24, 2024, 10:31 AM IST

जबलपुर। निर्दोष होने के बावजूद महिला को हत्या के अपराध में 14 साल की जेल काटनी पड़ी. मामले के अनुसार खंडवा निवासी सूरज बाई व उसकी भाभी भूरी बाई ने साल 2010 में देवर हरि सिंह की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. सूरज बाई अपने पति की मौत के बाद देवर हरी के साथ रहने लगी थी. हत्या की वारदात से 15 दिन पहले दोनों के बीच विवाद हुआ था. हरी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. अभियोजन के अनुसार 21 सितम्बर 2008 को हरी की डेडबॉडी मिली थी.

जहर देने के बाद गला दबाकर हत्या करने का आरोप

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि दोनों महिलाएं हरि को बैलगाडी से अस्पताल ले गई थीं. इस मामले की रिपोर्ट मृतक के भाई सुरेश ने दर्ज कराई थी, जिसके बयान पुलिस ने 5 माह बाद दर्ज किए. इसके अलावा अस्पताल के जिस कर्मचारी ने हरि को मृत घोषित किया था, पुलिस ने उसके बयान भी दर्ज नहीं किए. इस मामले में बताया गया था कि नाबालिग सहित दोनों महिलाओं ने हरि सिंह को जहर दिया और उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद आत्महत्या का रूप देने उसे पेड़ में लटका दिया.

गवाहों के अनुसार पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ था

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मृत्यु का कारण कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट है. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाहों के अनुसार 15 दिन पूर्व सूरजबाई तथा हरि के बीच झगडा हुआ था. हरि सिंह पर सूरज बाई तथा उसकी भाई भूरा बाई ने मिट्टी का तेल डाला था. इसके कारण हरि ने धारदार हथियार से सूरजबाई पर हमला किया था. इसकी रिपोर्ट सूरज बाई ने थाने में दर्ज करवाई थी. वहीं, रिकॉर्ड में इस बात का उल्लेख नहीं है कि दोनों महिलाओं ने उस पर मिट्टी तेल डाला था.

दुश्मनी के कारण गवाहों ने महिलाओं को फंसाया

एकलपीठ ने कहा "शत्रुता के कारण गवाहों ने दो महिलाओं के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करवाया. जबकि वे निर्दोष थीं." सूरज बाई की भाभी गर्भवती थी. उसे 1 साल की बेटी तथा 3 साल के बच्चे के साथ जेल जाना पड़ा. लगभग 3 तीन माह बाद उसे जमानत पर छोड़ा गया. वहीं सूरज बाई 14 साल तक जेल में बंद रही. हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित न्यायालय ने भी इन बिंदुओं पर विचार नहीं किया.

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गवाहों के साथ ही पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज होगा केस

हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाह मृतक की मां सुकमा बाई, बहन फूल बाई, सेवंती बाई, भाई सुरेश, थाना प्रभारी बीएस चौहान, पुलिसकर्मी एसआर रावत तथा एनके सूर्यवंशी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेश देते हुए सूरज बाई को रिहा करने के आदेश जारी किए.

जबलपुर। निर्दोष होने के बावजूद महिला को हत्या के अपराध में 14 साल की जेल काटनी पड़ी. मामले के अनुसार खंडवा निवासी सूरज बाई व उसकी भाभी भूरी बाई ने साल 2010 में देवर हरि सिंह की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. सूरज बाई अपने पति की मौत के बाद देवर हरी के साथ रहने लगी थी. हत्या की वारदात से 15 दिन पहले दोनों के बीच विवाद हुआ था. हरी ने उस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. अभियोजन के अनुसार 21 सितम्बर 2008 को हरी की डेडबॉडी मिली थी.

जहर देने के बाद गला दबाकर हत्या करने का आरोप

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि दोनों महिलाएं हरि को बैलगाडी से अस्पताल ले गई थीं. इस मामले की रिपोर्ट मृतक के भाई सुरेश ने दर्ज कराई थी, जिसके बयान पुलिस ने 5 माह बाद दर्ज किए. इसके अलावा अस्पताल के जिस कर्मचारी ने हरि को मृत घोषित किया था, पुलिस ने उसके बयान भी दर्ज नहीं किए. इस मामले में बताया गया था कि नाबालिग सहित दोनों महिलाओं ने हरि सिंह को जहर दिया और उसके बाद गला दबाकर हत्या कर दी. इसके बाद आत्महत्या का रूप देने उसे पेड़ में लटका दिया.

गवाहों के अनुसार पति-पत्नी के बीच झगड़ा हुआ था

एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मृत्यु का कारण कार्डियो रेस्पिरेटरी अरेस्ट है. एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि गवाहों के अनुसार 15 दिन पूर्व सूरजबाई तथा हरि के बीच झगडा हुआ था. हरि सिंह पर सूरज बाई तथा उसकी भाई भूरा बाई ने मिट्टी का तेल डाला था. इसके कारण हरि ने धारदार हथियार से सूरजबाई पर हमला किया था. इसकी रिपोर्ट सूरज बाई ने थाने में दर्ज करवाई थी. वहीं, रिकॉर्ड में इस बात का उल्लेख नहीं है कि दोनों महिलाओं ने उस पर मिट्टी तेल डाला था.

दुश्मनी के कारण गवाहों ने महिलाओं को फंसाया

एकलपीठ ने कहा "शत्रुता के कारण गवाहों ने दो महिलाओं के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करवाया. जबकि वे निर्दोष थीं." सूरज बाई की भाभी गर्भवती थी. उसे 1 साल की बेटी तथा 3 साल के बच्चे के साथ जेल जाना पड़ा. लगभग 3 तीन माह बाद उसे जमानत पर छोड़ा गया. वहीं सूरज बाई 14 साल तक जेल में बंद रही. हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित न्यायालय ने भी इन बिंदुओं पर विचार नहीं किया.

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हाईकोर्ट जस्टिस जी एस अहलूवालिया की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने अभियोजन पक्ष के गवाह मृतक की मां सुकमा बाई, बहन फूल बाई, सेवंती बाई, भाई सुरेश, थाना प्रभारी बीएस चौहान, पुलिसकर्मी एसआर रावत तथा एनके सूर्यवंशी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के आदेश देते हुए सूरज बाई को रिहा करने के आदेश जारी किए.

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