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केजीएमयू की यह बिल्डिंग का हाल बेहाल, कभी भी ढह सकती है

लखनऊ में केजीएमयू के डेंटल विभाग की बिल्डिंग (KGMU Dental building dilapidated) की हालत काफी खराब है. बिल्डिंग को देखकर ऐसा लगता है कि यह कभी भी गिर सकती है.

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केजीएमयू के डेंटल विभाग की बिल्डिंग
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 8:52 PM IST

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डेंटल विभाग की स्थिति इन दिनों काफी ज्यादा खराब है. डेंटल विभाग की बिल्डिंग काफी पुरानी है. यह अब जर्जर हो चुकी है. इस बिल्डिंग के पिछले हिस्से में दरारें पड़ गई है. इसके अलावा हर जगह सीलन लगा हुआ है. डेंटल विभाग की बिल्डिंग अलग बनी हुई है, जो कि 50 साल पुरानी है. बिल्डिंग को मॉडिफाई कर एसी और तकनीक की चीजें लगाई जा रही हैं. डेंटल विभाग में स्टूडेंट्स प्रैक्टिस करने के लिए भी आते हैं और यहां पर सबसे नीचे तल पर ऑयल डेंटल की ओटी भी है. रोजाना करीब 200 से अधिक मरीज दांत के इलाज के लिए आते हैं.

हादसे की दशा में बिल्डिंग: केजीएमयू दंत संकाय के पुराने भवन में सैकड़ों डॉक्टर, मेडिकल छात्र, कर्मचारी, मरीज और तीमारदारों की जान जोखिम में हैं. जर्जर भवन में डॉक्टर मरीजों को इलाज मुहैया कराने को मजबूर हैं. विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हो रहा है. हादसे की दशा में लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

ओटी भी इसी पुराने भवन में: केजीएमयू के दंत संकाय में नौ विभाग का संचालन हो रहा है. दो भवनों में सभी विभाग चल रहे हैं. इसमें ओरल पैथोलॉजी, आर्थोडॉन्टिक्स, कनजरवेटिव डेंटस्टरी, पब्लिक हेल्थ डेंटस्टरी और ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग हैं. ओरल मैक्सिलो फिएशल सर्जरी का ऑपरेशन थिएटर भी 50 साल पुराने भवन में चल रहा है. अधिकारियों के मुताबिक भवन में दो बेसमेंट हैं. इसके पिलर में दरारें आ चुकी हैं, जो कि भवन के लिए खतरा बन गई हैं. केजीएमयू प्रशासन की शिकायत के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. इसके बाद कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन देखा. इसके बाद पिलर में दरारे भी दिखीं, जो कि खतरनाक स्थिति में हैं.

इसे भी पढ़े-केजीएमयू में स्पेनिश फुटबाॅल खिलाड़ी की सफल सर्जरी, दो बार उखड़ा था दाहिना कंधा

विशेषज्ञों ने दी शिफ्ट करने की सलाह: वर्ष 2015 में रुड़की आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. नॉन डिस्ट्रेक्टिव टेस्ट (एनडीटी) जांच की भी सलाह दी. वर्ष 2018 में विशेषज्ञों ने नमूने लेकर एनडीटी की भी जांच की. 2019 में इसकी रिपोर्ट आई. जिसमें विशेषज्ञों ने भवन को भूकंप की दशा में खतरनाक बताया. लिहाजा, इस भवन को ध्वस्त करने की सलाह दी गई. विशेषज्ञों ने जल्द से जल्द भवन में संचालित विभागों को नई जगह शिफ्ट कराने की सलाह दी. लंबा समय गुजरने के बाद भी अभी तक विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हुआ है.

स्थिति बेहद खराब: केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि डेंटल विभाग की पुरानी बिल्डिंग बहुत जर्जर हो चुकी है. जिस पर हमारा ध्यान पहले से ही है. यहां तक कि वर्ष 2017 में जब आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स आए थे, तो उन्होंने भी इस बिल्डिंग को लेकर कुछ संकेत दिए थे. इसके बाद से शासन को लिखित तौर पर इस बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया था. विभाग के पीछे ही जमीन खाली है, जो डेंटल विभाग को दी गई है. भविष्य में डेंटल विभाग को नई बिल्डिंग इस जमीन पर बनी हुई दिखेगी.

लखनऊ: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डेंटल विभाग की स्थिति इन दिनों काफी ज्यादा खराब है. डेंटल विभाग की बिल्डिंग काफी पुरानी है. यह अब जर्जर हो चुकी है. इस बिल्डिंग के पिछले हिस्से में दरारें पड़ गई है. इसके अलावा हर जगह सीलन लगा हुआ है. डेंटल विभाग की बिल्डिंग अलग बनी हुई है, जो कि 50 साल पुरानी है. बिल्डिंग को मॉडिफाई कर एसी और तकनीक की चीजें लगाई जा रही हैं. डेंटल विभाग में स्टूडेंट्स प्रैक्टिस करने के लिए भी आते हैं और यहां पर सबसे नीचे तल पर ऑयल डेंटल की ओटी भी है. रोजाना करीब 200 से अधिक मरीज दांत के इलाज के लिए आते हैं.

हादसे की दशा में बिल्डिंग: केजीएमयू दंत संकाय के पुराने भवन में सैकड़ों डॉक्टर, मेडिकल छात्र, कर्मचारी, मरीज और तीमारदारों की जान जोखिम में हैं. जर्जर भवन में डॉक्टर मरीजों को इलाज मुहैया कराने को मजबूर हैं. विशेषज्ञों की चेतावनी के बावजूद विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हो रहा है. हादसे की दशा में लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

ओटी भी इसी पुराने भवन में: केजीएमयू के दंत संकाय में नौ विभाग का संचालन हो रहा है. दो भवनों में सभी विभाग चल रहे हैं. इसमें ओरल पैथोलॉजी, आर्थोडॉन्टिक्स, कनजरवेटिव डेंटस्टरी, पब्लिक हेल्थ डेंटस्टरी और ओरल मेडिसिन एंड रेडियोलॉजी विभाग हैं. ओरल मैक्सिलो फिएशल सर्जरी का ऑपरेशन थिएटर भी 50 साल पुराने भवन में चल रहा है. अधिकारियों के मुताबिक भवन में दो बेसमेंट हैं. इसके पिलर में दरारें आ चुकी हैं, जो कि भवन के लिए खतरा बन गई हैं. केजीएमयू प्रशासन की शिकायत के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. इसके बाद कानपुर आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन देखा. इसके बाद पिलर में दरारे भी दिखीं, जो कि खतरनाक स्थिति में हैं.

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विशेषज्ञों ने दी शिफ्ट करने की सलाह: वर्ष 2015 में रुड़की आईआईटी के विशेषज्ञों ने भवन की जांच की. नॉन डिस्ट्रेक्टिव टेस्ट (एनडीटी) जांच की भी सलाह दी. वर्ष 2018 में विशेषज्ञों ने नमूने लेकर एनडीटी की भी जांच की. 2019 में इसकी रिपोर्ट आई. जिसमें विशेषज्ञों ने भवन को भूकंप की दशा में खतरनाक बताया. लिहाजा, इस भवन को ध्वस्त करने की सलाह दी गई. विशेषज्ञों ने जल्द से जल्द भवन में संचालित विभागों को नई जगह शिफ्ट कराने की सलाह दी. लंबा समय गुजरने के बाद भी अभी तक विभागों को शिफ्ट करने का काम नहीं हुआ है.

स्थिति बेहद खराब: केजीएमयू कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने बताया कि डेंटल विभाग की पुरानी बिल्डिंग बहुत जर्जर हो चुकी है. जिस पर हमारा ध्यान पहले से ही है. यहां तक कि वर्ष 2017 में जब आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट्स आए थे, तो उन्होंने भी इस बिल्डिंग को लेकर कुछ संकेत दिए थे. इसके बाद से शासन को लिखित तौर पर इस बिल्डिंग के बारे में अवगत कराया गया था. विभाग के पीछे ही जमीन खाली है, जो डेंटल विभाग को दी गई है. भविष्य में डेंटल विभाग को नई बिल्डिंग इस जमीन पर बनी हुई दिखेगी.

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