भरतपुर. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान समिति पूरे जिले में शुक्रवार को वन्यजीव गणना पूरी हो गई. इस बार की वन्यजीव गणना में घना में तेंदुआ भी नजर आया. इतना ही नहीं, घाना के अंदर वर्षों बाद बड़ी संख्या में राजहंस यानी फ्लेमिंगो नजर आए. साथ ही ये फ्लेमिंगो यहां पर करीब तीन माह से डेरा डाले हुए हैं. वन्यजीव गणना में सारस, हाइना और जैकॉल का कुनबा भी बढ़ा है. हालांकि, अभी घना प्रशासन वन्यजीव गणना के आंकड़ों को संकलित करने में लगा हुआ है. संभवतः दो या तीन दिन में वन्यजीव गणना का सटीक आंकड़ा सामने आ जाएगा.
पहली बार 90 दिन तक रुके फ्लेमिंगो : घना के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि वन्य जीव गणना के दौरान उद्यान में 61 फ्लेमिंगो नजर आए हैं. सामान्य तौर पर उद्यान में फरवरी या मार्च महीने में फ्लेमिंगो आते हैं और अप्रैल में यहां से उड़ान भर जाते हैं, लेकिन इस बार में के अंत तक फ्लेमिंगो रुके हुए हैं. इससे स्पष्ट है कि फ्लेमिंगो को इस बार उद्यान की आबोहवा और पर्याप्त भोजन की उपलब्धता रास आ रही है.
छह माह से रुका हुआ है तेंदुआ : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इस बार की वन्यजीव गणना में तेंदुआ भी नजर आया है. घना की टीम को कोलाडेहर क्षेत्र में देखा गया है. यह तेंदुआ नवंबर 2023 से यहीं पर रुका हुआ है. हालांकि, घना में समय समय पर तुंदुआ का मूवमेंट देखा जाता है, लेकिन लगातार छह माह तक तेंदुआ का घना में रुकना बड़ी बात है.
हाइना, जैकॉल और सारस का कुनबा बढ़ा : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि वन्यजीव गणना के आंकड़े अभी संकलित किए जा रहे हैं, लेकिन यह बात निश्चित है कि घना में हाइना, जैकॉल का कुनबा बढ़ा है. साथ घना में 14 सारस अतिरिक्त नजर आए हैं. यानी सारस गणना के समय घना में 15 सारस देखे गए थे, जबकि अब इनकी संख्या 29 ही गई है. यानी अन्य क्षेत्रों से सारस यहां पहुंचे हैं.
गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 23 मई से 24 मई सुबह 8 बजे तक वन्यजीव गणना की गई थी. इस बार घना में वन्यजीव गणना के लिए 25 पॉइंट बनाए गए, जिन पर कुल 100 कर्मचारी तैनात किए गए थे, साथ ही पहली बार 100 ट्रैप कैमरे भी इस्तेमाल किए गए.