ETV Bharat / state

नालंदा के लाल हरदेव ने कारगिल युद्ध में दिखया था जौहर, सरकार की फाइलों में गुम हो गया कुकुरबर को आदर्श गांव बनाने की घोषणा - Kargil Vijay Diwas 2024 - KARGIL VIJAY DIWAS 2024

Remembering Kargil Hero: नालंदा के लाल हरदेब ने कारगिल युद्ध में अपना जौहर दिखया था. आज उनकी शहादत को कारगिल दिवस पर पूरा देश याद कर रहा है. सरकार ने शहीद के गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी जो आज फाइलों में गुम होकर रह गई है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Kargil Hero Hardev Of Nalanda
नालंदा के शहीद हरदेव (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 26, 2024, 10:25 AM IST

नालंदा: कारगिल युद्ध में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए नालंदा के लाल हरदेव प्रसाद के गांव को आदर्श और स्मारक बनाने की कवायद सरकार की फाइलों से गुम हो गई है. उन्होने दुश्मनों को अपने सामने टिकने नहीं दिया था. कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें 12 दिसंबर 1999 को वीरगति प्राप्त हुई. उन्होने कई बार अपनी टीम का नेतृत्व किया था, इसके लिए उन्हें सम्मानीति भी किया गया था. वे सोमालिया भी एक बार गए थे और उन्हें संम्मानित किया गया था. युद्ध के दौरान शहीद होने के बाद शव जब उनके पैतृक गांव कुकुरबर गांव पहुंचा था तो उस समय बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देबी ने कुकुरबर गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव (ETV Bharat)

नहीं बना शहीद का एक स्मारक: हर साल शहीद के नाम पर कार्यक्रम किया जाता है लेकिन उनका एक स्मारक अभी तक नालंदा जिला में नहीं बन पाया है. मंत्री और अधिकारी कारगिल दिवस के अवसर पर शहीद को याद कर पुष्प अर्पित करते हैं. साथ ही शहीद हरदेव की पत्नी को शॉल और मोमेंटो देकर सम्मानित कर भूल जाते हैं. हरदेव की शहादत पर सरकार ने और भी कई वादें किए थे. इन बातों का दुख मुन्नी देवी को हमेशा रहती है.

फाइलों में सिमटी सरकारी घोषणाएं: उनके नाम से गांव में स्कूल, गैस एजेंसी, सरकारी नौकरी, पटना में भवन, एकंगरसराय चौराहे पर शहीद का स्मारक, यात्री शेड आदि घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई थी. हालांकि उसके बाद शहीद की पत्नी मुन्नी देवी को एकंगरसराय में तृतीय श्रेणी की नोकरी, कुकुरबर गांव के पास यात्री शेड, पटना में आवास, मुख्य सड़क से घर तक पीसीसी ढलाई, नगद के सिवा कुछ नहीं मिला. बाकी सरकारी घोषणाएं सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गई.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव की पत्नी (ETV Bharat)

परिवार ने छोड़ दिया गांव: ग्रामीण बताते हैं कि हरदेव प्रसाद बचपन से ही साहसी और दृढ़ निश्चयी थे. एक बार जो मन में ठान लेते वह पूरा किए बगैर नहीं रुकते थे. उन्हें बचपन से ही सेना में जाने का शौक था और देश की सेवा करने की तमन्ना थी. गांव में संसाधनों के अभाव के बीच अपनी मेहनत और लगन की बदौलत वो इस मुकाम तक पहुंचे थे. वो देश में जम्मू कश्मीर के अलावा पंजाब और लद्दाख तक अपनी सेवा दे चुके थे. शहीद हरदेव प्रसाद का परिवार अब गांव में नहीं रहता है. उनकी पत्नी मुन्नी देवी एकंगरसराय अस्पताल में कार्यरत थी और अब वो पटना चली गई हैं.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव का परिवार (ETV Bharat)

कई देशों में बने शांति सैनिक: शहीद हरदेव प्रसाद को 3 संतान है, जिनमें एक पुत्र सुधांशु कुमार जो दिल्ली पढ़ाई कर रहे हैं और दो पुत्री है उनमें एक की शादी हो चुकी है. बता दें कि हरदेव को पहली बार 1988 में बिहार रेजिमेंट दानापुर के प्रथम बटालियन में नियुक्ति मिली थी. इसके बाद वे आसाम, दिल्ली के अलावा भूटान और सोमालिया में शांति सैनिक के तौर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर 1994 में सम्मानित किए गए थे.

यह भी पढ़ेंः

करगिल युद्ध में गोलियां झेलने के बाद दुश्मनों को मार गिराया, जवान की कहानी खुद उन्हीं की जुबानी - Kargil WAR HERO SURENDRA SINGH

अरविंद पांडेय को मिली थी पहाड़ पर बैठे घुसपैठिए को खदेड़ने की जिम्मेदारी, गोली खाए पर खदेड़कर रहे - Kargil War 25 Years

नालंदा: कारगिल युद्ध में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए नालंदा के लाल हरदेव प्रसाद के गांव को आदर्श और स्मारक बनाने की कवायद सरकार की फाइलों से गुम हो गई है. उन्होने दुश्मनों को अपने सामने टिकने नहीं दिया था. कारगिल युद्ध के दौरान उन्हें 12 दिसंबर 1999 को वीरगति प्राप्त हुई. उन्होने कई बार अपनी टीम का नेतृत्व किया था, इसके लिए उन्हें सम्मानीति भी किया गया था. वे सोमालिया भी एक बार गए थे और उन्हें संम्मानित किया गया था. युद्ध के दौरान शहीद होने के बाद शव जब उनके पैतृक गांव कुकुरबर गांव पहुंचा था तो उस समय बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देबी ने कुकुरबर गांव को आदर्श गांव बनाने की घोषणा की थी.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव (ETV Bharat)

नहीं बना शहीद का एक स्मारक: हर साल शहीद के नाम पर कार्यक्रम किया जाता है लेकिन उनका एक स्मारक अभी तक नालंदा जिला में नहीं बन पाया है. मंत्री और अधिकारी कारगिल दिवस के अवसर पर शहीद को याद कर पुष्प अर्पित करते हैं. साथ ही शहीद हरदेव की पत्नी को शॉल और मोमेंटो देकर सम्मानित कर भूल जाते हैं. हरदेव की शहादत पर सरकार ने और भी कई वादें किए थे. इन बातों का दुख मुन्नी देवी को हमेशा रहती है.

फाइलों में सिमटी सरकारी घोषणाएं: उनके नाम से गांव में स्कूल, गैस एजेंसी, सरकारी नौकरी, पटना में भवन, एकंगरसराय चौराहे पर शहीद का स्मारक, यात्री शेड आदि घोषणाओं की झड़ी लगा दी गई थी. हालांकि उसके बाद शहीद की पत्नी मुन्नी देवी को एकंगरसराय में तृतीय श्रेणी की नोकरी, कुकुरबर गांव के पास यात्री शेड, पटना में आवास, मुख्य सड़क से घर तक पीसीसी ढलाई, नगद के सिवा कुछ नहीं मिला. बाकी सरकारी घोषणाएं सिर्फ फाइलों में सिमट कर रह गई.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव की पत्नी (ETV Bharat)

परिवार ने छोड़ दिया गांव: ग्रामीण बताते हैं कि हरदेव प्रसाद बचपन से ही साहसी और दृढ़ निश्चयी थे. एक बार जो मन में ठान लेते वह पूरा किए बगैर नहीं रुकते थे. उन्हें बचपन से ही सेना में जाने का शौक था और देश की सेवा करने की तमन्ना थी. गांव में संसाधनों के अभाव के बीच अपनी मेहनत और लगन की बदौलत वो इस मुकाम तक पहुंचे थे. वो देश में जम्मू कश्मीर के अलावा पंजाब और लद्दाख तक अपनी सेवा दे चुके थे. शहीद हरदेव प्रसाद का परिवार अब गांव में नहीं रहता है. उनकी पत्नी मुन्नी देवी एकंगरसराय अस्पताल में कार्यरत थी और अब वो पटना चली गई हैं.

Kargil Vijay Diwas 2024
नालंदा के शहीद हरदेव का परिवार (ETV Bharat)

कई देशों में बने शांति सैनिक: शहीद हरदेव प्रसाद को 3 संतान है, जिनमें एक पुत्र सुधांशु कुमार जो दिल्ली पढ़ाई कर रहे हैं और दो पुत्री है उनमें एक की शादी हो चुकी है. बता दें कि हरदेव को पहली बार 1988 में बिहार रेजिमेंट दानापुर के प्रथम बटालियन में नियुक्ति मिली थी. इसके बाद वे आसाम, दिल्ली के अलावा भूटान और सोमालिया में शांति सैनिक के तौर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन के बल पर 1994 में सम्मानित किए गए थे.

यह भी पढ़ेंः

करगिल युद्ध में गोलियां झेलने के बाद दुश्मनों को मार गिराया, जवान की कहानी खुद उन्हीं की जुबानी - Kargil WAR HERO SURENDRA SINGH

अरविंद पांडेय को मिली थी पहाड़ पर बैठे घुसपैठिए को खदेड़ने की जिम्मेदारी, गोली खाए पर खदेड़कर रहे - Kargil War 25 Years

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.