बाड़मेर. आज देश कारगिल युद्ध विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ मना रहा है. आज ही के दिन 26 जुलाई 1999 को देश के वीर जवानों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुऐ पाकिस्तान की फौज को धूल चटाते हुए विजय पताका लहराई थी. इस युद्ध में देश की रक्षा के लिए कई वीर जवानों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिये थे. उन्ही में से एक बाड़मेर का वीर सपूत भीखाराम जाट थे. जिन्होंने पाक सैनिकों की बर्बरता और यातनाएं सहीं, लेकिन अपना सिर नहीं झुकाया और महज 22 साल की आयु में ही देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया.
कारगिल दिवस के अवसर पर शहीद भीखाराम की पत्नी वीरांगना भंवरी देवी बताती हैं कि उनके पति 1999 में ऑपरेशन विजय में शहीद हुए थे. कारगिल युद्ध के पाक सेना ने 25 दिन तक उन्हें कैद करके रखा था. पाक सैनिकों ने बर्बरतापूर्वक उनके पति भीखाराम के सारे शरीर के अंग भंग कर दिए थे. वीरांगना भंवरी देवी कहती हैं कि उन्हें फक्र है कि वह एक शहीद की पत्नी है.
उन्होंने कहा कि अपने बेटे को भी यह शिक्षा देती हैं कि देश सेवा सबसे पहले है. उन्होंने कहा कि पत्नी के लिए तो पति सब कुछ होता है, लेकिन हमारे साथ पूरा देश है. वे देश के लिए शहीद हुए है. उनको देख लगता है हमारी जिंदगी कुछ भी नहीं है. हम हंसते-हंसते गुजार देंगे. उन्होंने कहा कि देश के लिए अगर मौके मिले तो हम भी सेना में जाने के लिए तैयार है. वीरांगना भंवरी देवी का कहना है कि सेना आज भी हमारा ख्याल रखने के साथ ही परिवार का हिस्सा मानती है.
उल्लेखनीय है कि बाड़मेर जिले के पातासर गांव का भीखाराम 26 अप्रैल 1995 को जाट रेजिमेंट में भर्ती हुए थे. 1999 में कारगिल में 14 मई को लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया व भीखाराम सहित छह जाबांजों को पाकिस्तान में बंधक बना लिया गया था. इन्हें अमानवीय यातनाएं दी गई थी, लेकिन भीखाराम सहित अन्य वीरों ने दुश्मन के आगे सिर नहीं झुकाया और शहीद हो गए.