देहरादून: राजधानी देहरादून में प्रशासन ने एक बार फिर अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया है. एनजीटी के आदेशों के बाद मलिन बस्तियों से अतिक्रमण की कार्रवाई शुरू हुई है. साल 2016 के बाद किए गए निर्माण नियमानुसार अवैध करार दिए गए हैं. लेकिन कांग्रेस ने मलिन बस्तियों से अतिक्रमण हटाये जाने का विरोध करते हुए कहा है कि भले ही किसी का घर उजाड़ना बहुत आसान है, पर बसाना उतना ही मुश्किल है. ऐसे में सरकार को उजाड़ने की जगह बस्तीवासियों के रहने की व्यवस्थाएं करनी चाहिए थी.
कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने मलिन बस्तियों से हटाये जा रहे अतिक्रमण पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस राष्ट्र और राज्यों में रहने वाले नागरिकों की सुरक्षा करना, उनके पीने के पानी का प्रबंधन, शिक्षा स्वास्थ्य और उनके रहने की व्यवस्थाएं करना सरकार का दायित्व होता है. लेकिन आज ऐसे हालत हो गए हैं कि देश में शासको का शासन हो गया है और गरीब जनता का कोई रखवाला नहीं रह गया है.
उन्होंने कहा कि लोकप्रिय सरकार वो कहलाती है जो गरीबों और मजलूमों को बसाने की दिशा में पहले योजना लाती है, फिर उसके बाद योजना के तहत लोगों का पुनर्वास करती है. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार जिसे अतिक्रमण बता रही है उसमें एनजीटी का भी हवाला दिया जा रहा है, मगर देहरादून में पुलिस ऑफिसर कॉलोनी, विधानसभा अनेकों पूंजीपतियों के रिजॉर्ट नदियों के किनारे बने हैं. इसलिए सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इन पर सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. उन्होंने मलिन बस्तियों में अतिक्रमण हटाये जाने की कार्रवाई को 'अंधेर नगरी चौपट राजा' बताया है.